
घूमने-फिरने के लिहाज से उत्तराखंड को एक बेहतरीन जगह माना जाता है। यह राज्य सिर्फ अपनी प्राकृतिक सुंदरता, हरी-भरी वादियों और बर्फ से ढकी चोटियों के लिए ही नहीं, बल्कि अपने धार्मिक स्थलों और आध्यात्मिक महत्व के लिए भी प्रसिद्ध है। यहां अनेक तीर्थस्थल और शक्तिपीठ हैं, जो श्रद्धालुओं और पर्यटकों दोनों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। यही वजह है कि इस राज्य को देवभूमि कहा जाता है। उत्तराखंड के गढ़वाल और कुमाऊं क्षेत्र में कई प्रसिद्ध देवी मंदिर स्थित हैं, जिनका पौराणिक और धार्मिक महत्व अत्यंत गहरा है। नवरात्रि के दौरान इन मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना होती है, जिससे भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ती है। यहां माता के विशेष अनुष्ठान, भजन-कीर्तन और धार्मिक आयोजन होते हैं, जो भक्तों को एक दिव्य अनुभव प्रदान करते हैं। अगर आप नवरात्रि के शुभ अवसर पर उत्तराखंड में देवी मां के दर्शन करना चाहते हैं, तो इस राज्य के इन पांच प्रसिद्ध देवी मंदिरों की यात्रा जरूर करें। ये मंदिर न केवल आपकी आध्यात्मिक तृप्ति का साधन बनेंगे, बल्कि आपको उत्तराखंड की सुरम्य वादियों और उसकी पवित्रता का अहसास भी कराएंगे।
# नैना देवी मंदिर, नैनीतालनैना देवी मंदिर खूबसूरत नैनी झील के किनारे स्थित है और इसे माता सती के 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, यहां माता सती की आंखें (नयन) गिरी थीं, इसलिए इस मंदिर का नाम नैना देवी पड़ा। यह मंदिर न केवल आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसकी लोकेशन भी बेहद आकर्षक है। यहां से नैनीताल झील का अद्भुत नजारा देखने को मिलता है। मंदिर के आसपास मार्केट और कई अन्य पर्यटक स्थल भी हैं, जहां भक्त दर्शन के बाद घूम सकते हैं।
# सुरकंडा देवी मंदिर, धनौल्टीउत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल जिले में स्थित सुरकंडा देवी मंदिर समुद्र तल से लगभग 2,757 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह मंदिर स्कंद पुराण में वर्णित 51 शक्तिपीठों में से एक है और माना जाता है कि यहां माता सती का सिर गिरा था। मंदिर तक पहुंचने के लिए भक्तों को 2 किमी की ट्रेकिंग करनी पड़ती है, जो घने जंगलों और हरे-भरे पहाड़ों से घिरी होती है। यहां से हिमालय की बर्फीली चोटियों का मनोरम दृश्य भी देखने को मिलता है। नवरात्रि और गंगा दशहरा के दौरान यहां विशेष रूप से श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है।
# चंद्रबदनी देवी मंदिर, टिहरीटिहरी जिले में स्थित चंद्रबदनी देवी मंदिर एक महत्वपूर्ण शक्तिपीठ है, जहां माता सती का धड़ गिरा था। यह मंदिर समुद्र तल से 2,277 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और घने जंगलों से घिरा हुआ है, जिससे यहां का वातावरण बेहद शांत और दिव्य महसूस होता है। मंदिर से चारों ओर फैली हिमालयी पर्वत श्रृंखलाओं का दृश्य बेहद मनमोहक होता है। यहां तक पहुंचने के लिए भक्तों को कांडीखाल से 10 किमी की ट्रेकिंग करनी पड़ती है। स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, यहां देवी की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
# नंदा देवी मंदिर, अल्मोड़ानंदा देवी उत्तराखंड की लोक देवी हैं और विशेष रूप से कुमाऊं क्षेत्र में उन्हें बेहद श्रद्धा के साथ पूजा जाता है। अल्मोड़ा में स्थित नंदा देवी मंदिर 1,000 साल पुराना बताया जाता है। यह मंदिर वास्तुकला की दृष्टि से भी बेहद आकर्षक है और यहां हर साल नंदा देवी महोत्सव का आयोजन किया जाता है, जिसमें हजारों श्रद्धालु भाग लेते हैं। इस मंदिर को कुमाऊं की रक्षक देवी का दर्जा प्राप्त है और यहां देवी को एक पुत्री के रूप में पूजा जाता है। नवरात्रि के समय इस मंदिर में विशेष अनुष्ठान किए जाते हैं, जिससे इसका धार्मिक महत्व और भी बढ़ जाता है।
# मनसा देवी मंदिर, हरिद्वारमनसा देवी मंदिर उत्तराखंड के हरिद्वार शहर में स्थित है और यह मंदिर श्रद्धालुओं के बीच विशेष रूप से लोकप्रिय है। यह मंदिर बिलवा पर्वत की चोटी पर स्थित है और देवी मनसा को समर्पित है, जिन्हें इच्छाओं की पूर्ति करने वाली देवी माना जाता है। यहां भक्त अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए मंदिर परिसर में पवित्र धागा बांधते हैं। मंदिर तक पहुंचने के लिए रोपवे की सुविधा उपलब्ध है, जिससे श्रद्धालु ऊपर पहुंचकर हरिद्वार शहर और गंगा नदी का भव्य दृश्य देख सकते हैं। नवरात्रि के दौरान इस मंदिर में विशेष पूजा और भजन-कीर्तन का आयोजन किया जाता है, जिसमें हजारों श्रद्धालु भाग लेते हैं।