अपनी दिनचर्या में शामिल करें ये 7 योगासन, डायबिटीज से मिलेगा छुटकारा

स्वस्थ शरीर या निरोगी काया मानव का पहला सुख है। हर कोई इसे पाने की चाहत रखता है। लेकिन तेज लाइफस्टाइल, भागदौड़ भरी जिंदगी और गलत खानपान कई समस्याओं की वजह बन जाता है। इन्ही समस्याओं में से एक डायबिटीज भी है। आज के समय में डायबिटीज एक ऐसी बिमारी बनकर उभरी हैं जिसने बड़ों तो क्या बच्चों को भी अपनी गिरफ्त में ले लिया हैं। ज्यादातर देखा जाता हैं ओबेसिटी इसका मुख्य कारण होती हैं। योग शरीर और मन को शांत रखने के अलावा भी कई काम कर सकता है, खासतौर पर जब किसी को डायबिटीज की समस्या हो। ऐसे कई योगासन हैं जो, ब्लड प्रेशर और ब्लड शुगर लेवल को लो रखने में मदद करते है इसलिए आज हम आपके लिए कुछ ऐसे योगासन लेकर आए हैं जिन्हें अपनी दिनचर्या में शामिल कर आप डायबिटीज को नियंत्रित कर सकते हैं और बिना किसी परेशानी के अपना जीवन यापन कर सकते हैं। तो आइये जानते हैं इन योगासन के बारे में...



पश्चिमोत्तासन


इस आसन से जांघ और बांह की मांसपेशियां मजबूत होती हैं और पेट के रोगों से छुटकारा मिलता है। पश्चिमोत्तानासन में बैठकर आगे की तरफ झुकना होता है। ये योगासन किसी थेरेपी की तरह काम करता है। ये आसन ब्लड प्रेशर को कम करता है। वेट लॉस में मदद करता है। इस आसन के नियमित अभ्यास से एंग्जाइटी, सिरदर्द और थकान दूर करने में भी मदद मिलती है।अगर आप पूरी तरह नहीं छू पा रहे हैं तो जितना संभव है कोशिश करें। इस आसन को नियमित करने से मोटापा भी कम होता है।



विपरीत करणी योग

ये योगासन रीस्टोरेटिव योग का हिस्सा है जो, शरीर को हुए नुकसान की भरपाई करता है। इसमें शरीर को उल्टा रखना होता है। ये शरीर में स्ट्रेस के लेवल को कम करता है जिससे ब्लड प्रेशर और ब्लड शुगर का लेवल कम रहता है। ये सिरदर्द को दूर रखता है, एनर्जी को बूस्ट करता है और ब्लड सर्कुलेशन बढ़ाने में मदद करता है।


अर्धमत्स्येन्द्रासन

ये आसन फेफड़ों में स्वच्छ ऑक्सीजन की मात्रा को बढ़ाता है। इससे रीढ़ की हड़्डी मजबुत होती है और ब्लड सर्कुलेशन अच्छा रहता है।
अर्धमत्स्येन्द्रासन पेट के अंगों की अच्छी तरह मसाज करता है। इसे करने के लिए पैरों को सामने की तरफ फैलाकर इस प्रकार बैठें कि आपकी रीढ़ तनी हो और दोनों पैर एक-दूसरे से चिपके हुए हों। अब अपने बाएँ पैर को मोड़ें और उसकी एड़ी को हिप्स के दाएं हिस्से की और ले जाएं। अब दाएं पैर को बाएँ पैर की ओर लाएं और बायां हाथ दाएं घुटनों पर रख लें और दायाँ हाथ पीछे की ओर ले जाएं। कमर, कन्धों और गर्दन को इस तरह दाईं तरफ मोड़ें।


उष्ट्रासन


इसे करने के लिए वज्रासन में बैठ जाएं और फिर घुटनों के बल खड़े हो जाएं। अब पीछे की ओर झुकते हुए दाएं हाथ से दाहिनी एड़ी और बाएं हाथ से बायीं एड़ी को पकड़ें। इसके साथ ही सिर को पीछे की तरफ झुकाएं। इसी तरह रीढ़ की हड्डियों को भी पीछे की तरफ झुकाने की कोशिश करें।


सर्वांगासन


सर्वांगासन के लिए पीठ के बल लेट जाएं और दोनों हाथों को जमीन पर अगल-बगल रख लें। घुटना बिना मोड़े अब दोनों पैरों को उठाते हुए पैरों से समकोण बनाने की कोशिश करें। सिर, गर्दन और कंधे के सहारे उल्टे होकर किए जाने वाले इस योगासन का बड़ा महत्व है। इससे सर्कुलेशन सुधरता है और थायरॉयड ग्रंथि स्टिम्युलेट हेाती है। ये आसन दिमाग को शांत रखता है और स्ट्रेस को दूर करने में मदद करता है।



हलासन


लेटने के बाद टांगों को पीछे ले जाकर किया जाने वाला ये आसन थायरॉयड ग्लैंड को स्टिम्युलेट करता है। इसके अलावा ये सर्कुलेशन बढ़ाकर स्ट्रेस को कम करने में मदद करता है। हलासन कमर दर्द, सिरदर्द और ​अनिद्रा / इंसोम्निया की शिकायत को दूर करने में किसी थेरेपी की तरह ही मदद करता है।


शवासन


शवासन एक ऐसी मुद्रा है जिसमें शरीर को पूरी तरह विश्राम मिलता है। शवासन को रेस्टोरेटिव योगासन माना जाता है। इसके अभ्यास से ब्लड प्रेशर कम रहता है, शरीर को राहत मिलती है और दिमाग शांत रहता है। इसके नियमित अभ्यास से सिरदर्द, थकान, इंसोम्निया आदि से राहत मिलती है। शवासन को योग विज्ञान का सबसे कठिन आसन माना जाता है।इसे हमेशा योग सेशन के अंत में किया जाता है। इससे मन शांत होता है और शरीर में नई ऊर्जा