World Thyroid Day: किन कारणों से होती है हाइपोथायरायडिज्म की समस्या, ये है घरेलू उपाय

स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक थायरॉयड ग्रंथि द्वारा पर्याप्त मात्रा में हार्मोन का उत्पादन न कर पाने की स्थिति में हाइपोथायरायडिज्म की समस्या हो सकती है। इस समस्या के कई कारक हो सकते हैं, यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भिन्न भी हो सकते हैं।

डॉक्टरों के मुताबिक हाइपोथायरायडिज्म का सबसे आम कारण एक ऑटोइम्यून विकार है जिसे 'हाशिमोटो थायरॉयडिटिस (Hashimoto's Disease)' के रूप में जाना जाता है। ऑटोइम्यून विकार की स्थिति में शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली अपने ही ऊतकों पर हमला कर देती है। कई शोधकर्ताओं का कहना है कि जीन और पर्यावरणीय कारण इस समस्या को ट्रिगर कर सकते हैं। इसके अलावा कुछ लोगों को थायराइड सर्जरी के बाद या फिर कई तरह की दवाइयों के इस्तेमाल के कारण भी हाइपोथायरायडिज्म की समस्या हो सकती है।

हाइपोथायरायडिज्म, आजीवन रहने वाली समस्याओं में से एक है। कई लोगों में दवा के साथ लक्षणों को कम किया जा सकता है। डॉक्टर आपको सिंथेटिक (मानव निर्मित) थायराइड हार्मोन T4 दे सकते हैं, इसके गोलियों का सेवन रोजना करना होता है। ऐसे रोगियों को नियमित रक्त परीक्षण के माध्यम से थायराइड हार्मोन के स्तर की जांच कराने की सलाह दी जाती है। इसी के आधार पर डॉक्टर दवा की खुराक को निर्धारित करते हैं। यदि हाइपोथायरायडिज्म के कारण शरीर का वजन बहुत ज्यादा बढ़ या घट गया हो तो डॉक्टर टीएसएच स्तर की जांच कराने को कह सकते हैं, जिससे अन्य दवाइयां दी जा सकें। इसके अलावा कुछ घरेलू उपायों की मदद से भी हाइपोथायरायडिज्म की समस्या को कम किया जा सकता है...

मुलेठी

थायराइड बीमारी से बचने के लिए मुलेठी का सेवन करना फायदेमंद होता है। मुलेठी थायरॉइड ग्लैंण्ड में संतुलन बना कर रखती है जिससे थायरॉइड के मरीजों में होने वाली थकान को एनर्जी में बदलती है।

अश्वगन्धा

थायराइड बीमारी के इलाज में अश्वगंधा बहुत फायदेमंद होता है। एंटी ऑक्सिडेंट गुण होने की वजह से अश्वगन्धा हार्मोन की सही मात्रा में उत्पादन कर थायरॉइड को रोकने का काम करता है। हार्मोन संतुलन के साथ यह प्रतिरक्षा प्रणाली में सुधार कर तनाव से मुक्ति दिलाता है।

गेंहूं का ज्वार

गेहूँ का ज्वारा में औषधीय और रोग निवारक गुण पाए जाते हैं। गेहूँ का ज्वारा रक्त व रक्त संचार संबंधी रोगों में काम आता है। गेहूं के पास थायराइड का रामबाण इलाज है।

अलसी

अलसी में ओमेगा-3 फैटी एसिड की मात्रा अधिक पाई जाती है। यह एसिड थायरॉइड ग्रन्थि के सही तरीके से काम करने में आवश्यक भूमिका निभाता है। हाइपोथायरायडिज्म से पीड़ित लोगों को अलसी और अलसी के तेल का प्रयोग जरूर करना चाहिए।

अदरक

हाईपोथायरायडिज्म से पीड़ित लोगों को अपने आहार में अदरक को शामिल करना चाहिए। अदरक जिंक, मैग्नीशियम और पोटेशियम का एक अच्छा स्रोत है। इसमें मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण थायरॉइड की कार्यक्षमता में सुधार लाने में मदद करते हैं। अदरक का प्रयोग आहार में भिन्न-भिन्न प्रकार से कर सकते हैं।

लौकी का जूस

हाइपोथॉयराडिज्म के मरीज सुबह खाली पेट लौकी का जूस पिएं। इसके बाद एक गिलास ताजे पानी में तुलसी की एक से दो बूंद और कुछ मात्रा में एलोवेरा जूस डालकर पिएं। इसके सेवन के बाद एक से आधे घण्टे तक कुछ भी खाने से बचें। रोजाना ऐसा करने से थायरॉइड की बीमारी में आराम मिलता है।

गाजर

गाजर में विटामिन-ए अधिक मात्रा में पाया जाता है। थायरॉइड के मरीज को अपने भोजन में विटामिन-ए की मात्रा बढ़ा देनी चाहिए।

काली मिर्च

काली मिर्च का सेवन करने से थायरॉइड की बीमारी ठीक हो जाती है।

हरा धनिया

थायरॉइड के मरीज के लिए हरा धनिया बहुत ही फायदेमंद होता है। इसलिए थायरॉइड को ठीक करने के लिए थॉयरायड का प्रयोग करने इसको नियंत्रण में किया जा सकता है।

नारियल पानी

नारियल पानी डिहाइड्रेशन से शरीर को बचाता है, इसके साथ ही यह हाइपोथॉयराडिज्म को भी कंट्रोल करने में मदद करता है।