दुनिया में बढ़ते जा रहे मामले, WHO ने कहा - शायद कभी खत्म ही न हो कोरोना वायरस, इसके साथ जीना सीख लो

दुनिया में करोना वायरस से अब तक 44 लाख 28 हजार 236 लोग संक्रमित हो चुके हैं। 16 लाख 57 हजार 905 लोग ठीक हो चुके हैं। वहीं, 3 लाख के करीब मौते इस वायरस की वजह से हो गई हैं। अमेरिका में सबसे ज्यादा 85 हजार लोगों की जान जा चुकी है। इसके बाद ब्रिटेन में 33 हजार लोग जान गंवा चुके हैं। अमेरिका में 24 घंटे में 1813 लोगों की मौत हुई है और 21 हजार 712 संक्रमित मिले हैं। इस समय देश में 14 लाख 30 हजार 348 लोग संक्रमित हैं। वहीं, 85 हजार 197 लोगों की जान जा चुकी है। देश के सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य न्यूयॉर्क में तीन लाख 50 हजार से ज्यादा केस मिल चुके हैं, जबकि 27 हजार मौत हो चुकी है।

कोरोना कभी खत्म नहीं होने वाला

उधर, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के इमरजेंसी प्रोग्राम के प्रमुख डॉ. माइक रेयान ने कहा है कि कोरोना कभी खत्म नहीं होने वाली बीमारी बन सकती है। दुनिया को इसके साथ जीना सीख लेना चाहिए। डॉक्टर माइक ने कहा, 'मुझे लगता है कि लोगों के सामने यह बात लाना जरूरी है। हो सकता है कि यह वायरस हमारे बीच एक और स्थानीय वायरस बन कर रह जाए, ठीक वैसे ही जैसे कि एचआईवी जैसे अन्य रोग जो कभी खत्म नहीं हो सके लेकिन इनके प्रभावी उपचार उपलब्ध हैं।' रेयान ने कहा, 'मैं इन दोनों बीमारियों की तुलना नहीं कर रहा लेकिन हमें हकीकत समझनी चाहिए। कोई इसका अंदाजा नहीं लगा सकता कि कोरोना महामारी कब जाएगी।'

एक प्रेस ब्रीफिंग में डॉक्टर माइक रेयान ने कहा कि वैक्सीन के बिना पर्याप्त मात्रा में इम्यूनिटी बढ़ाने में लोगों को कई साल लग सकते हैं। WHO का कहना है कि संक्रमण के नए मामले सामने आ रहे हैं। ऐसे में अगर लॉकडाउन हटाया गया तो बीमारी नए सिरे से फैलने का खतरा बढ़ जाएगा। ऐसी स्तिथि में दोबारा लॉकडाउन लगाना पड़ सकता है। जब नए मामलों की दर निचले स्तर पर आ जाए और ज्यादातर संक्रमित ठीक हो जाएं तब ही लॉकडाउन हटाना चाहिए। ऐसी स्थिति में जब आप पाबंदियां हटाएंगे तो संक्रमण का खतरा कम होगा। अगर आप संक्रमण ज्यादा होते हुए पाबंदियां हटाते हैं तो यह तेजी से फैल सकता है।

वैक्सीन का असरदार होना जरूरी

WHO के इमरजेंसी प्रोग्राम के प्रमुख का कहना है कि जरूरी नहीं कि कोरोना का वैक्सीन आने के बाद भी इसका असर पूरी तरह खत्म हो जाए। मीजल्स जैसी बीमारियों का वैक्सीन है, फिर भी बीमारी खत्म नहीं हुई। कोरोना के 100 से ज्यादा वैक्सीन पर काम चल रहा है, लेकिन यह बहुत ज्यादा असरकारी होना चाहिए। यह सभी के लिए आसानी से उपलब्ध होना चाहिए।

3.2% तक घटा सकती अर्थव्यवस्था

इस बीच, संयुक्त राष्ट्र ने पूर्वानुमान लगाया है कि कोरोना वायरस महामारी विश्व अर्थव्यवस्था को इस वर्ष 3.2% तक घटा सकती है, जो 1930 के दशक की मंदी के बाद सबसे खराब आर्थिक गिरावट होगी। संयुक्त राष्ट्र की मध्यवर्षीय रिपोर्ट बुधवार को जारी की गई, जिसमें कहा गया है कि COVID-19 की वजह से वैश्विक आर्थिक उत्पादन में लगभग 8.5 ट्रिलियन डॉलर की कमी आने की उम्मीद है।

संयुक्त राष्ट्र के अनुसार ये गिरावट पिछले 2 साल की सभी आर्थिक फायदों पर भारी पड़ने वाली है। संयुक्त राष्ट्र विश्व आर्थिक स्थिति और संभावना रिपोर्ट में कहा गया है कि यह महामारी गरीबी और असमानता को भी बढ़ावा देगी। इसके अलावा 2020 में करीब 3 करोड़ 40 लाख लोगों के गरीबी रेखा से नीचे जाने की संभावना है। इनमें से 56% लोग सिर्फ अफ्रीका के हो सकते हैं। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार 2030 तक करीब 13 करोड़ लोग अत्यधिक गरीब श्रेणी में शामिल हो सकते हैं, जो गरीबी और भूख को मिटाने के वैश्विक प्रयासों के लिए एक बड़ा झटका साबित हो सकता है।