शिल्पा शेट्टी-राज कुंद्रा बीती 15 फरवरी को सरोगेसी के जरिए दूसरी बार माता-पिता बने हैं। शिल्पा के घर नन्ही बच्ची समिषा शेट्टी कुंद्रा का जन्म हुआ है। शिल्पा की सरोगेसी की न्यूज के साथ ही एक बार फिर सरोगेसी चर्चा में है क्योंकि अब केन्द्र सरकार ने भी सरोगेसी रेग्युलेशन बिल को मंजूरी दे दी है जिसके तहत अब कोई भी महिला सरोगेट मदर बन सकेगी। केन्द्रीय कैबिनेट ने सरोगेसी बिल में कई बदलाव किए हैं जिसके बाद वैसे कपल्स जो मेडिकल कारणों से पैरंट्स नहीं बन सकते हैं वे सरोगेसी के जरिए पैरंट्स बन सकेंगे। सरोगेसी करवाने वाले कपल के करीबी रिश्तेदारों के अलावा कोई भी महिला जो इच्छुक है वह सरोगेट मदर बन सकती है। अब जब सरोगेसी को केंद्र सरकार से अनुमति मिल गई है तो हमारे मन में ये सवाल जरुर उठ रहे होंगे कि आखिर ये सरोगेसी है क्या और कौन इसे करवा सकता है।
क्या है सरोगेसी?तो हम आपको बता दे, सरोगेसी में कोई भी शादीशुदा कपल बच्चा पैदा करने के लिए किसी महिला की कोख किराए पर ले सकता है। यानी महिला के ओवरीज से निकलने वाले एग्स और पार्टनर के स्पर्म को लेकर इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन यानी IVF के जरिए कोई दूसरी महिला गर्भवती होती है और बच्चे को जन्म भी देती है। इस पूरी प्रक्रिया में लैब में एग और स्पर्म को मिलाकर भ्रूण तैयार किया जाता है और फिर उसे सरोगेट मदर के गर्भ में डाल दिया जाता है जहां से प्रेग्नेंसी शुरू होती है। सरोगेसी से बच्चा पैदा करने के पीछे कई वजहें हैं। जैसे कि अगर कपल के अपने बच्चे नहीं हो पा रहे हों, महिला की जान को खतरा है या फिर कोई महिला खुद बच्चा पैदा ना करना चाह रही हो।
आज हम आपको कुछ कारणों के बारे में बताने जा रहे है जिनकी वजह से सरोगेसी की मदद लेनी पड़ती है
गलत लाइफस्टाइलगलत लाइफस्टाइल, खानपान का ध्यान न रखने की वजह से इन्फर्टिलिटी यानी बांझपन की दिक्कत तेजी से बढ़ रही है और कपल्स नैचरल तरीके से गर्भधारण नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे में बहुत से पैरंट्स को सरोगेसी करवाने की जरूरत पड़ती है। अगर बार-बार कोशिश करने के बाद भी महिला गर्भवती ना हो पा रही हो तो किसी और की कोख को किराए पर लेकर सरोगेसी के जरिए पैरंट्स बनने का ऑप्शन होता है।
महिला के शरीर में यूट्रस ना होअगर महिला के शरीर में यूट्रस यानि गर्भाशय ही नहीं है तो जाहिर सी बात है कि वह चाहकर भी प्रेग्नेंट नहीं हो पाएगी। 10-12 हजार महिलाओं में से किसी 1 में ऐसा होता है कि उनके शरीर में यूट्रस ना हो। या फिर अगर किसी बीमारी की वजह से यूट्रस को सर्जरी करके निकाल दिया गया हो। ऐसी स्थिति में फैमिली शुरू करने के लिए सरोगेसी करवाने की जरूरत पड़ती है।
शारीरिक बनावटकई बार महिलाओं के शारीरिक बनावट की वजह से भी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। कई बार यूट्रस की बनावट में कोई विकृति होती है या फिर फैलोपियन ट्यूब में ब्लॉकेज या ऐसी कोई दिक्कत जिस वजह से महिला के लिए गर्भधारण करना या मां बनना मुश्किल हो या फिर वह पूरे 9 महीने बच्चे को अपने गर्भ में पालने में असमर्थ हो तो ऐसे में सरोगेसी का सहारा लिया जाता है।
बढ़ती उम्र 40 की उम्र आते-आते मेनॉपॉज शुरू होने की उम्र हो जाती है। ऐसे में प्रेग्नेंट होना और भी मुश्किल हो जाता है। हालांकि फर्टिलिटी से जुड़े कई ऑप्शन्स इन दिनों मौजूद हैं जिसकी मदद से महिला 40-50 साल की उम्र में भी प्रेग्नेंट हो सकती है लेकिन इस तरह की प्रेग्नेंसी रिस्की साबित हो सकती है। इसलिए अधिक उम्र में मां बनने की सोचने वाली महिलाएं सरोगेसी का सहारा लेती हैं।
हेल्थ से जुड़ी समस्याकई बार महिलाओं को हार्ट या किडनी से जुड़ी गंभीर बीमारियां होती है जिनकी वजह से मां बनने में दिक्कत हो सकती है और इसलिए लोग सरोगेसी करवाने के बारे में सोचते हैं। साथ ही इस तरह की क्रॉनिक बीमारियों में बहुत सारी दवाइयां भी खानी पड़ती है जिसका प्रेग्नेंसी और बच्चे पर बुरा असर पड़ सकता है। इसलिए लोग सरोगेसी का सहारा लेते हैं।
पहली प्रेग्नेंसी में समस्याअगर कोई महिला की पहली प्रेग्नेंसी में समस्या आई हो ऐसे में दूसरी बार मां बनना खतरनाक साबित हो सकता है। ऐसे में दूसरे बच्चे के लिए सरोगेसी का चुनाव बेहतर साबित होता है।
शारीरिक या मानसिक आघातअगर किसी महिला को पिछली प्रेग्नेंसी में शारीरिक, मानसिक या इमोशनल किसी भी तरह का कोई ट्रॉमा या आघात हुआ हो तो उसके लिए प्रेग्नेंसी डराने वाला अनुभव हो सकता है। इस तरह की सिचुएशन में सरोगेट मदर को चुनकर बच्चे को जन्म देने का ऑप्शन चुना जाता है।