शरीर को बेहतर तरीके से कार्य करने के लिए कई तरह के विटामिन की जरूरत होती है। इसमें ए, बी, सी जैसे कई विटामिन शामिल हैं, लेकिन क्या आपने कभी विटामिन एफ के बारे में सुना है। लिनोलिक एसिड और अल्फा-लिनोलेनिक एसिड जैसे फैटी एसिड को विटामिन एफ कहते हैं। जब शरीर में इन एसेंशियल फैटी एसिड की मात्रा कम हो जाती है, तो उसे Vitamin F की कमी कहा जाता है।
विटामिन एफ की कमी होने के कारण
- खाद्य पदार्थों में विटामिन एफ कम होना
- शरीर में विटामिन एफ का ठीक तरह से अवशोषित न हो पाना
- जन्मजात विकार
- सिस्टिक फाइबरोसिस (फेफड़ों और पाचन तंत्र को नुकसान पहुंचाने वाला विकार)
- फैट मालअब्सॉर्बशन
- अंतिम चरण की लिवर समस्या
- स्जोग्रेन-लार्सन सिंड्रोम (आनुवंशिक विकार)
- विटामिन एफ की कमी के लक्षण
- डर्मेटाइटिस यानी रूखी व पपड़ीदार त्वचा
- एक्जिमा (लाल और खुजलीदार त्वचा)
- इम्पेटाइगो ,एक संक्रामक स्किन इंफेक्शन, जिसमें त्वचा पर लाल घाव बनते हैं
- बालों का झड़ना व रूखा होना
- ग्रोथ रेट यानी विकास दर कम होना
- त्वचा, एलिमेंट्री ट्रैक्ट (पाचन तंत्र का हिस्सा) और यूरिनरी ट्रैक्ट में सेल्युलर हाइपरप्रोलिफरेशन
यानी नई कोशिकाओं का बनना
- प्रतिरक्षा को हानि
- घाव भरने की प्रक्रिया का धीमा होना
- मानसिक मंदता (मेंटल रिटार्डेशन)
- इचिथोसिस (Ichthyosis) आनुवंशिक त्वचा विकार
- प्रारंभिक चीजें सीखने में परेशानी
- चीजों का साफ न दिखना
- प्रोस्टाग्लैंडीन कंपाउंड का असामान्य चयापचय
विटामिन एफ के फायदे
इंफ्लेमेशन यानी सूजन कम करे
विटामिन
एफ यानी एसेंशियल फैटी एसिड सूजन को कम कर सकता है। दरअसल, समुद्र से
मिलने वाले ओमेगा 3 पॉलीअनसेचुरेटेड फैटी एसिड और गामा लिनोलेनिक एसिड को
उनमें मौजूद एंटी इंफ्लेमेटरी प्रभाव के लिए जाना जाता है। इससे संबंधित एक
रिसर्च में कहा गया है कि ये फैटी एसिड्स इंफ्लेमेटरी संबंधी विकार का
इलाज करने में मददगार साबित हो सकते हैं। इसके सेवन से रूमेटाइड गठिया जैसे
इंफ्लेमेटरी डिसऑर्डर से बचा जा सकता है।
हार्ट हेल्थ के लिए
वैसे
तो फैट को हृदय रोगों का कारण कहा जाता है, लेकिन ओमेगा-3 फैटी एसिड हार्ट
हेल्थ के लिए अच्छा हो सकता है। तीन मुख्य ओमेगा-3 फैटी एसिड यानी
अल्फा-लिनोलिक एसिड, इकोसापेंटेनोइक एसिड और डोकोसाहेक्सैनोइक एसिड को
हृदय स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद माना जाता है। अल्फा-लिनोलिक एसिड को
जैतून, सोयाबीन, कैनोला और अखरोट व अलसी के साथ ही इनके तेल में पाया जाता
है। ईपीए और डीएचए, समुद्र से मिलने वाली वसा युक्त मछलियों में मिलता है।
विकास में सहायक
विटामिन
एफ को शिशु के लिए भी जरूरी बताया जाता है। दरअसल, ओमेगा 3 और 6 फैटी एसिड
नवजात व शिशु के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसी वजह से
महिला को गर्भावस्था और स्तनपान जैसे समय में विटामिन एफ लेने की सलाह दी
जाती है। खासकर, ओमेगा 3 व 6 फैटी एसिड को डाइट में जगह जरूर देनी चाहिए।
मानसिक स्वास्थ्य
एसेंशियल
फैटी एसिड यानी विटामिन एफ का सेवन करने से मानसिक स्वास्थ्य भी अच्छा
रहता है। रिसर्च इन्हें रोजमर्रा के मानसिक और शारीरिक प्रदर्शन के लिए
जरूरी मानते हैं। अन्य शोध में कहा गया है कि ओमेगा-3 और 6 फैटी एसिड विशेष
रूप से डीएचए मस्तिष्क विकास में अहम भूमिका निभाता है। गर्भावस्था और
प्रारंभिक जीवन में इसे आहार में शामिल करने से शिशु के विकास और बौद्धिक
क्षमता पर अच्छा असर पड़ सकता है।
मधुमेह नियंत्रण
डायबिटीज
के जोखिम को कम करने में भी विटामिन एफ सहायक हो सकता है। रिसर्च बताती
हैं कि अल्फा लिनोलेनिक एसिड मधुमेह के जोखिम को कम कर सकता है। ओमेगा फैटी
एसिड युक्त आहार का सेवन करने से टाइप 2 मधुमेह की रोकथाम पर अच्छा प्रभाव
पड़ सकता है। एशियाई देशों में ओमेगा 3 सप्लीमेंट लेने से टाइप 2 मधुमेह
मरीजों की संख्या में कमी देखी गई है। रिसर्च में कहा गया है कि ऐसे में
ओमेगा 3 को प्रारंभिक सालों में ही आहार में शामिल करके मधुमेह की रोकथाम
हो सकती है।