हल्दी मानी जाती है मसालों की रानी, बतौर औषधि भी महिमा अपरंपार, जानें इसके फायदे

हल्दी को मसालों की रानी कहा जाता है क्योंकि गिने-चुने भारतीय व्यंजन ही इसके बिना बनते हैं। हल्दी को अपने देश में अनेक नाम से जाना जाता है। इसे हिंदी में हल्दी, तेलुगू में पसुपु, तमिल और मलयालम में मंजिल और कन्नड़ में अरिसिना कहा जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम कर्कुमा लॉन्ग है। भारत के अलावा, कई दक्षिण पूर्व एशियाई राज्यों में इसकी पैदावार होती है।


कैंसर से बचाव

हल्दी में मौजूद करक्यूमिन शरीर में कैंसर के विकास को रोकता है। करक्यूमिन कैंसर से लड़ता है और कीमोथेरेपी के प्रभाव को भी बढ़ाने में मदद करता है। यदि इसे काली मिर्च के साथ मिला दिया जाए तो इसका प्रभाव और भी बढ़ जाता है। कई शोध बताते हैं कि हल्दी में निहित सक्रिय घटक ट्यूमर के खिलाफ रक्षा प्रदान करने वाले आहारों में से एक है।


गठिया में लाभदायक

हल्दी के एंटी-इंफ्लेमेट्री गुण ऑस्टियो आर्थराइटिस और रह्यूमेटॉयड आर्थराइटिस के इलाज में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसमें निहित एंटी-ऑक्सिडेंट शरीर के उन मुक्त कणों भी नष्ट कर देता है, जो कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाते हैं। इस स्थिति से पीड़ित व्यक्ति को किसी भी तरह के हल्के दर्द और सूजन से राहत पाने के लिए इस मसाले का उपयोग रोजाना करना चाहिए। हालांकि यह भी समझ लेना चाहिए कि हल्दी किसी भी तरह से दवा का विकल्प नहीं हो सकता।


हृदय के लिए बेहतरीन

कोलेस्ट्रॉल का स्तर सही बनाए रखने से हृदय संबंधी कई रोगों को रोका जा सकता है। हल्दी में निहित करक्यूमिन और विटामिन बी 6 कार्डियोवास्कुलर स्वास्थ्य को सही रखता है। विटामिन बी6 होमोसिस्टीन को पैदा होने से रोकता है। यह होमोसिस्टीन सेल कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाती हैं। यह हृदय रोग का कारण है।


लिवर का संरक्षण

हल्दी जरूरी एंजाइम्स के निर्माण को बढ़ाती है, जो टॉक्सिन्स को कम करके हमारे लिवर में खून को डीटॉक्सिफाई करती है। ब्लड सर्कुलेशन को भी सुधार कर हल्दी लिवर को स्वस्थ रखने में मदद करती है।

अल्ज़ाइमर रोग से सुरक्षा

हल्दी में टरमैरोन भी होता है, जो यौगिक मस्तिष्क की कोशिकाओं को मरम्मत करने में मदद करता है। यह स्ट्रोक और अल्ज़ाइमर जैसे रोग को भी रोकने में मददगार है। करक्यूमिन भी अल्ज़ाइमर रोग में स्मरण की शक्ति को सुधारने में मददगार है। हल्दी मस्तिष्क में प्लाक के गठन को हटाने और ऑक्सीजन के प्रवाह को सुधारने में मदद करता है। इससे अल्ज़ाइमर रोग की गति धीमी हो जाती है।


डायबिटीज़ में फायदेमंद

हल्दी में निहित एंटी-इंफ्लेमेट्री और एंटी-ऑक्सिडेंट गुण प्री- डायबिटीज़ वाले लोगों में टाइप 2 डायबिटीज़ के आने में देरी कर सकते हैं। यह इंसुलिन स्तर को बनाए रखने में मदद करता है और डायबिटीज़ के इलाज वाली दवाओं के प्रभाव को बढ़ाता है।


पाचन को रखे दुरुस्त

पाचन की समस्या होने पर जब हल्दी का सेवन कच्चे तौर पर किया जाता है तो इससे पाचन तंत्र सुधरता है। हल्दी के प्रमुख घटक पित्त का उत्पादन करने के लिए पित्ताशय की थैली को उत्तेजित करते हैं, तुरंत पाचन तंत्र को सही करते हैं। इसे सूजन और गैस के लक्षणों को भी कम करने के लिए जाना जाता है।

चोट-घाव को करे ठीक

सालों पहले जब कहीं चोट लग जाती थी तो हमारी दादी-नानी हमें हल्दी का लेप लगाने की सलाह दिया करती थीं। ऐसा इसलिए क्योंकि हल्दी एक प्राकृतिक एंटीसेप्टिक और एंटी-बैक्टीरियल गुणों वाला मसाला होता है, जो इसे बेहतरीन और प्रभावी डिसइंफेक्टेंट बनाता है। पिसी हुई हल्दी को चोट वाली जगह पर छिड़क दें, चोट जल्दी ठीक हो जाती है।

इम्यूनिटी बूस्टर

हल्दी में लिपोपॉलीसैकराइड होता है, जो एंटी- बैक्टीरियल, एंटी- वायरल और एंटी-फंगल एजेंट होने की वजह से इंसानों के इम्यून सिस्टम को प्रोत्साहित करता है। रोजाना एक गिलास दूध में एक छोटा चम्मच हल्दी पाउडर मिलाकर पिएं, आप पाएंगे कि इससे आपको फ्लू लगने का खतरा कम हो गया है।

हल्दी-दूध के फायदे

शरीर के बाहरी या अंदरुनी हिस्से में चोट लगने पर हल्दी वाला दूध लाभदायक रहता है। शरीर में दर्द हो तो भी हल्दी वाला दूध रात में सोने से पहले पी लें। सर्दी या जुकाम होने की स्थिति में भी एक गिलास गरम दूध में एक छोटा चम्मच हल्दी मिलाकर पीने से फेफड़ों में जमा कफ निकल जाता है और व्यक्ति को राहत मिलती है। सांस की तकलीफ वाला व्यक्ति यदि रोजाना हल्दी वाला दूध पिएं तो उसके शरीर में गर्मी का संचार होगा और उसे आराम मिलेगा।

पानी के साथ हल्दी

सुबह उठने के तुरंत बाद हल्दी वाला गुनगुना पानी पीने से पेट और छाती की जलन कम होती है। जिन्हें सुबह उठते के साथ ही पेट में जलन होती है, उन्हें हल्दी पानी पीने से आराम मिलेगा। जिन्हें एसिडिटी की समस्या रोजाना रहती है, उन लोगों को यह पानी रोजाना पीना चाहिए।