आजकल के दौर में देखने को मिलता हैं कि जरा सी चोट लगने पर ही कई लोगों की हड्डियां टूट जाती हैं और फ्रेक्चर के मुश्किल दौर से गुजरना पड़ता हैं। हड्डियां हमारे शरीर का महत्वपूर्ण भाग होती हैं। यह हमारे शरीर के दिल और फेफड़ों और बाकी हिस्सो की रक्षा करती हैं। लेकिन आजकल खराब खानपान और गलत आदतों की वजह से हड्डियां कमजोर होने लगी हैं। ऐसे में आपको अपनी दिनचर्या में योगासन को शामिल करना चाहिए। योग सभी प्रकार की बीमारियों के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकता है। आज इस कड़ी में हम आपको कुछ ऐसे योगासन के बारे में बताने जा रहे हैं जो हड्डियों को मजबूत बनाने में मदद करेंगे। आइये जानते हैं इन योगासनों के बारे में...
त्रिकोणासनइस आसान में आपकी मुद्रा त्रिकोण के समान हो जाती है। अगर आप कमर दर्द से परेशान है तो यह आसन आपकी इस समस्या से छुटकारा दिला सकता है। त्रिकोणासन मोटापा दूर करने के साथ ही आपको डाइबिटीज की परशानी को भी बैलेंस रखता है । यह हड्डियों को मजबूती देने के साथ ही आपको एक्टिव रखता है। इस आसन में आप सीधे खड़े हो जाएं दोनों हाथों को कंधे की बराबरी में सीधा रखें अब दायी तरफ झुकते हुए पैरो के तलवो तक हाथ ले जाए इस मुद्रा में आप दो से तीन मिनट तक रहें। वापस आप रिलेक्स की अवस्था मे आएं।
भुजंगासनअगर आपकी कलाइयों या फिंगर्स के जॉइंट्स में दर्द रहता है तो आपको यह आसन जरूर करना चाहिये। इससे आप अपने लोअर बैक के दर्द से भी मुक्ति पा सकते हैं। भुजंगासन आपकी डबल चिन की परेशानी को भी जड़ से खत्म कर देता है। आप पेट के बल लेट जाए दोनों हाथों को कंधे के पास रखें दोनों पंजे साथ जुड़े रहे। अपने शरीर का पूरा भार हाथों पर रखे और अपने हाथों की सहायता से अपने शरीर का ऊपरी हिस्सा ऊपर उठायें। शरीर को स्ट्रेच करें कुछ देर इसी अवस्था में रहने के बाद रिलैक्स की मुद्रा में आएं। शुरुआत में आप यह दो से तीन बार दोहराएं
वृक्षासनइस आसन को करने से आपकी हड्डिया मजबूत बनती हैं साथ आपको मानसिक एकाग्रता की प्राप्ति होती है इससे मन शांत होता है। इस आसन के लिए आप सीधे खड़े हो जाये। दाएं पैर को मोड़ कर बाएं घुटने से लगाएं दोनों हाथों को ऊपर की ओर प्रार्थना की मुद्रा में जोड़ कर रखें। शरीर सीधा रखें और खुद को स्ट्रेच करें। शुरू में आप पांच मिनट तक इस मुद्रा में रहें धीरे-धीरे इस आसन को बीस मिनट तक करें।
सेतुबंधासनअपनी मांसपेशियों और अंगों को स्ट्रेच करते हुए, इस आसन से शरीर की हड्डियों में मजबूती आती है। नई सेल्स का विकास अच्छी तरह होता है। इस आसन को सेतु बंधासन इसलिए कहा जाता है क्योंकि इस आसन का अभ्यास करते समय शरीर पुल की आकृति बनाता है। सेतुबंधासन को करने के लिए सबसे पहले पीठ के बल लेटकर घुटनों को मोड़ लें। घुटने और पैर एक सीध में रखें। लेकिन ध्यान रखें कि दोनों पैरों के बीच फासला हो। हाथ शरीर से सटे हुए और हथेलियां जमीन पर हो। सांस लेते हुए, धीरे से अपनी पीठ के निचले, मध्य और फिर सबसे ऊपरी हिस्से को जमीन से उठाएं। धीरे से अपने कंधों को अंदर की ओर लें। इस दौरान शरीर के निचले हिस्से को स्थिर रखें। दोनों थाई एक साथ रहें। चाहें तो, इस दौरान आप अपने हाथों के सहारे शरीर के ऊपरी हिस्से को उठा सकते हैं। अपनी कमर को अपने हाथों का सहारा भी दे सकते हैं। आसन को 1 से 2 मिनट बनाएं रखें। सांस छोड़ते हुए आसन से बाहर आ जाएं।
वीरभद्रासनवीरभद्रासन योग का नियमित अभ्यास हड्डियों के घनत्व को बढ़ाता है और उन्हें स्वस्थ बनाए रखने में मदद करता है। इस आसन को करने के लिए अपने पैरों को कूल्हे की चौड़ाई से अलग करके खड़े हो जाएं। अब अपने बाईं ओर एक बड़ा कदम उठाएं और घुटनों को 90 डिग्री के कोण पर मोड़ दें। फिर दाहिने पैर को लगभग 15 डिग्री अंदर की ओर मोड़ें। वहीं दाहिने पैर की एड़ी बाएं पैर के केंद्र में रखें। इसके बाद दोनों हाथों को साइड में उठाएं और कंधों के स्तर पर ले जाएं। इस दौरान हथेलियां ऊपर की ओर होनी चाहिए। इसी अवस्था में रहते हुए गहरी सांस लें। अब सिर को बाईं ओर मोड़ें। कुछ देर बाद पुरानी अवस्था में आ जाएं।
हस्तपादासनयह आसन पीठ, गर्दन, कूल्हों की हड्डियों को मजबूत बनाता है। इसके अलावा दिमाग को शांत और एंग्जाइटी को घटाता है। इसके लिए सीधे खड़े होकर दोनों हाथों को हिप्स पर टिकाएं। सांस भरते हुए आगे की तरफ झुकें। हाथों को पैर के पंजे के बगल में जमीन पर रखने का प्रयास करें। 15-30 सेकेंड इसी पोजीशन में बने रहें। सांस छोड़ते हुए सामान्य अवस्था में आ जाएं।
फलकासनहर दिन इस योग का अभ्यास करने से फ्रैक्चर को रोकने और ऑस्टियोपोरोसिस के जोखिम को कम करने में मदद मिल सकती है। इसके लिए चटाई पर पेट के बल सीधे लेट जाएं। श्वास लें और धीरे-धीरे अपने हाथों को सीधा करके अपने शरीर को तख़्त मुद्रा में आने के लिए उठाएं और साथ ही अपने पैर की उंगलियों को नीचे करें। आपकी बाहें फर्श से होनी चाहिए और कंधे सीधे कलाई के ऊपर होने चाहिए। आपका शरीर सिर से एड़ी तक एक सीध में होना चाहिए। इस स्थिति में कुछ सेकंड के लिए रुकें और गहरी सांस लें। धीरे-धीरे वापस सामान्य स्थिति में आ जाएं।