मॉनसून का समय आ चुका हैं और इसकी खुशी सभी को होती हैं। क्योंकि यह मौसम अपने सुहावनेपन की वजह से दिल को बहुत भाता हैं। लेकिन इस मौसम में जितना सभी को मजा आता हैं उतना ही यह अस्थमा यानी दमे के रोगियों के लिए पीड़ादायक होता हैं। जी हाँ, बारिश के दिनों में नमी की वजह से अस्थमा रोगियों को अटैक आने की आशंका बढ़ जाती हैं। हांलाकि सावधानी बरती जाए तो इस खतरे को टाला जा सकता है। आज हम आपको कुछ ऐसे ही टिप्स बताने जा रहे है जो अस्थमा रोगियों के लिए बहुत फायदेमंद साबित होंगे। तो आइये जानते हैं इन टिप्स के बारे में।
- दिखाई देने वाले फंगल को साफ करें और ब्लीच तथा डिटर्जेंट जैसे पदार्थों से युक्त क्लीनिंग सोल्युशंस का उपयोग करें।
- ह्यूमिड या तेज हवा वाले दिन अंदर रहें, क्योंकि इस दिन पॉलेन ग्रेन की मात्र वातावरण में काफी हाई होती है।
- पॉलेन ग्रेन को रोकने के लिए खिड़कियों को बंद रखें।
- पिलो और कालीनों को एलर्जेन्स-रोधी बनाएं।
- नम और उमस भरे क्षेत्र को नियमित रूप से सुखाएं। उमस खत्म करने वाले इक्यूपमैंट्स के प्रयोग से ह्यूमिटी को 25 प्रतिशत से 50 प्रतिशत के बीच रखें।
- यदि संभव हो तो ए.सी. का उपयोग करें।
- बाथरूम की नियमित रूप से सफाई करें और इसमें ऐसे प्रॉडक्ट्स का इस्तेमाल करें, जो बैक्टीरिया को खत्म करने में सक्षम हों।
- एक्जॉस्ट फैन का उपयोग करें और घर में नमी न रहने दें।
- पौधों को बैडरूम से बाहर रखें।
- पेंटिंग करते समय पेंट में फंगल खत्म करने वाले केमिकल का उपयोग करें, जिससे फंगल को बढ़ने से रोका जा सकता है।
- पिलो व बैड को पंखों से दूर रखें। अपने बैड को सप्ताह में एक बार गर्म पानी से धोएं।
- कालीन का प्रयोग न करें। उसकी वैक्यूमिंग करते समय चेहरे पर मास्क लगाएं। अगर आपके घर में किसी को दमा की प्रॉब्लम है, तो उस समय वैक्यूम न करें, जब वह कमरे में हो।
- भीगे कपड़े से फर्श के धूल को साफ करें और साथ ही लैंपशेड्स तथा विंडोंसिल्स की भी सफाई करें।
- हीटर्स और एयर कंडिशनर्स के फिल्टर्स को नियमित रूप से बदलें।
- ऐसे फ्रैंड्स और रिश्तेदारों के यहां लंबे समय तक न रहें, जिनके पास पालतू जानवर हैं। यदि आप वहां जाते हैं तो यह तय कर लें कि दमा या एलर्जी की दवाएं आपके साथ हों।
- अपने पालतू जानवर को हफ्ते में एक बार अवश्य नहलाएं।