महिलाओं में टेस्टोस्टेरॉन से टाइप 2 डायबिटीज का खतरा, पूरुषों में इसका उलट

टेस्टोस्टेरॉन ऐसा हरमों हैं जो महिलाओं और पुरुषों दोनों में पाया जाता हैं। लेकिन एक शोध में इसके चौकाने वाले नतीजे सामने आए हैं कि महिलाओं में टेस्टोस्टेरॉन से टाइप 2 डायबिटीज का खतरा बढ़ता हैं जबकि पुरुषों में इसके उलट खतरा घटाता हैं। ब्रिटेन में हुए एक ताजा शोध के मुताबिक यह हार्मोन महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर और पुरुषों में प्रोस्टेट कैंसर के खतरे को बढ़ाता है। शोध में यह भी पता चला कि टेस्टोस्टेरॉन महिलाओं में पीसीओएस (पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम) का कारण भी हो सकता है। अब तक माना जाता है कि पीसीओएस ही टेस्टोस्टेरॉन के ऊंचे स्तर का कारण है।

कैंब्रिज यूनिवर्सिटी द्वारा किए गए शोध में ब्रिटेन के 4.25 लाख से ज्यादा लोग शामिल थे। टेस्टोस्टेरॉन और इससे संबंधित एक प्रोटीन के असर के अध्ययन में पता चला कि आनुवांशिक रूप से टेस्टोस्टेरॉन के ऊंचे स्तर वाली महिलाओं को टाइप 2 डायबिटीज होने की आशंका 37 प्रतिशत ज्यादा होती है। वहीं, पुरुषों के शरीर में इस हार्मोन का ऊंचा स्तर टाइप 2 डायबिटीज के खतरे को 14 फिसदी कम करता है। टेस्टोस्टेरॉन पुरुष और महिला, दोनों के शरीर में मौजूद होता है। इसके ऊंचे स्तर का दोनों पर अलग-अलग असर होता है।

शोधकर्ताओं के लिए भी सबसे चौंकाने वाला नतीजा पीसीओएस से संबंधित है। अब पहले के शोधों में बताया गया है कि महिलाओं को पीसीओएस होने पर शरीर में टेस्टोस्टेरॉन का स्तर बढ़ जाता है, नए शोध में बताया गया है कि टेस्टोस्टेरॉन का ऊंचा स्तर हो तो पीसीओएस होने की आशंका 51% तक ज्यादा है। शोध के सह-लेखक जॉन पेरी ने बताया नतीजे से आश्चर्यचकित हैं। उन्होंने दोनों के बीच संबंध पर और शोध की जरूरत भी बताई।