मौसम के तापमान में बदलाव देखा जा सकता हैं और तापमान में उतार-चढ़ाव जारी हैं। सर्दियों के इस मौसम में अपने शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने की जरूरत होती हैं ताकि बिमारियों से बचा जा सकें। ऐसे में योग खुद को बीमार पड़ने से बचाने का सबसे बेहतरीन तरीका माना जाता हैं। इन्हीं में से एक है सूर्यभेदी प्राणायाम जो शरीर के तापमान को संतुलित करने का बेहतरीन तरीका हैं। आज हम आपको सूर्यभेदी प्राणायाम के फायदे और इसे करने के तरीके बताने जा रहे हैं। तो आइये जानते हैं इसके बारे में।
सूर्यभेदी प्राणायाम के फायदे
- अस्थमा, वात रोग व कफ से जुड़ी बीमारियों को दूर करता है।
- खून को साफ करता है और खून से जुड़ी बीमारियां भी दूर होती हैं।
- झुर्रियां हटती हैं, किसी भी तरह की स्किन प्रॉब्लम दूर होती है और त्वचा की रंगत भी निखरती है।
- पेट के कीड़े नष्ट होते हैं।
- पाचन तंत्र बेहतर होता है और पेट से जुड़ी बीमारियां ठीक होती हैं।
- लो ब्लड प्रेशर की समस्या दूर होती है।
- डिप्रेशन और ऐंग्जाइटी को दूर करने में सहयोग करता है।
कैसे करें सूर्यभेदी प्राणायाम
सूर्यभेदी प्राणायाम करने के लिए सबसे पहले सीधे बैठकर आंखें बंद कर लें। सीधे हाथ की प्राणायाम मुद्रा बनाएं। प्राणायाम मुद्रा के लिए तर्जनी और मध्यमा अंगुलियों को माथे पर रख लें और बाएं नाक की छेद को बाकि दो अंगुलियों से बंद कर, दाएं नाक की छेद से सांस को धीरे-धीरे बाहर निकाल दें। फिर दाएं नाक से आवाज़ करते हुए लंबी सांस भीतर लें, और उसके बाद थोड़ी देर के लिए सांस अंदर रोक लें। फिर बिना आवाज किए बाईं नाक से सांस बाहर निकाल दें। यह एक चक्र सूर्यभेदी प्राणायाम कहलाता है। इस प्रकार 15-20 बार इसका अभ्यास करें। अंत में बाईं नाक से सांस बाहर निकालकर हाथ नीचे लाएं व थोड़ी देर के लिए शांत भाव से बैठे रहे। वैसे तो यह प्राणायाम तीनों बन्धों के साथ किया जाता है, लेकिन प्रारम्भ में बिना लंबी सांस रोके ही इसका अभ्यास करें।
जरूर बरतें ये सावधानी
अगर आप हाई ब्लड प्रेशर के मरीज हैं, अगर आपको हृदय रोग है, मिर्गी के दौरे आते हैं या फिर अगर आप पित्त प्रवृत्ति वाले व्यक्ति हैं तो इस सूर्यभेदी प्राणायाम का अभ्यास न करें। साथ ही साथ गर्मी के दिनों में भी इस प्राणायाम का अभ्यास नहीं करना चाहिए क्योंकि इसको करने से शरीर का तापमान यानी बॉडी हीट बढ़ती है।