कोरोना त्रासदी का सामना पूरी दुनिया कर रही हैं जिसके कारण से एक साल पहले लॉकडाउन लगाया गया था। लेकिन अभी भी कोरोना थमने का नाम नहीं ले रहा हैं और दुनिया में अब तक 12.38 करोड़ लोग कोरोना की चपेट में आ चुके हैं। 9.97 करोड़ लोग रिकवर हुए और 27.27 लाख लोगों की मौत हुई है। फिर से कई देशों में लॉकडाउन लगाया जा चुका हैं। लेकिन इस लॉकडाउन का बच्चों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर काफी नकारात्मक प्रभाव पड़ा हैं। मिशिगन मेडिसिन में बच्चों के स्वास्थ्य पर सीएस मॉट चिल्ड्रन हॉस्पिटल द्वारा किए गए नेशनल पोल के अनुसार करीब 46 फीसदी माता-पिता का कहना है कि उन्होंने बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य में नकारात्मक परिवर्तन देखा है। इसमें भी विशेषकर लड़कियों में तनाव और चिंता जैसे लक्षण ज्यादा देखने को मिले हैं।
पोल को लेकर किए गए अध्ययन के दौरान विशेषज्ञों ने पाया कि हर तीन में से एक लड़की जबकि हर पांच में से एक लड़के के मानसिक स्वास्थ्य पर लॉकडाउन का नकारात्मक असर देखने को मिल रहा है। माता-पिता ने पोल के दौरान बताया है कि उनके बच्चों को तनाव, चिंता और अवसाद के लक्षणों का अनुभव हो रहा है। इसके अलावा 24 फीसदी लड़कियों जबकि 21 फीसदी लड़कों के माता-पिता का मानना है कि बच्चों को नींद न आने की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। 8 फीसदी लड़कियों जबकि करीब 9 फीसदी लड़कों के व्यवहार में गुस्सैल रवैया भी देखने को मिल रहा है। इस आधार पर विशेषज्ञों का मानना है कि बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य में आए इस प्रकार के बदलाव का मुख्य कारण उनके भीतर किसी बात को लेकर डर और अनिश्चितता है। क्या करें माता पिता
बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य में दिख रहे इस प्रकार के नकारात्मक बदलाव को ठीक कैसे किया जा सकता है, इस बारे में डॉक्टरों का कहना है कि यहां सबसे बड़ा रोल माता पिता का हो सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार माता-पिता को लगातार अपने बच्चों से बात करते रहना चाहिए। उनकी समस्याओं को समझने की कोशिश करें, ऐसा माहौल बनाएं जिससे वह आपसे खुलकर बात कर सकें। इस प्रकार की समस्या से बचने के लिए यही सबसे आसान तरीका हो सकता है। मामला गंभीर दिखे तो किसी मनोरोग विशेषज्ञ से संपर्क जरूर करें।