कोरोना वायरस जैसे संक्रामक और भयानक रोग ने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया हैं। पिछले साल चीन में इसकी शुरुआत हुई थी जिसने दुनिया के 190 से ज्यादा देशों में अपना असर दिखाया है। अब तक दुनियाभर में इसके 3,41,700 मामले सामने आ चुके हैं और मौत का आंकड़ा 14,700 से ज्यादा पहुंच चुका है। भारत में अब तक इस वायरस के कारण 8 लोगों की मौत हो चुकी है। किसी भी संक्रमित व्यक्ति के छींकने या खांसने से ये वायरस हवा में फैलता है, जिससे अगर पास में ही खड़ा कोई व्यक्ति सांस लेता है, तो ये वायरस उसके शरीर में प्रवेश कर जाता है। इसके अलावा किसी भी सतह पर इस वायरस की संक्रामकता 2 घंटे से लेकर 9 दिन तक एक्टिव रह सकती है।
हाल में ही Emerging Infectious Diseases नामक जर्नल में छपी एक अन्य स्टडी के मुताबिक ये वायरस औसतन 4 दिन में एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल जाता है, जिस तरह से फ्लू फैलता है, जबकि इबोला को एक व्यक्ति से दूसरे में फैलने में कम से कम सप्ताह भर का समय लगता है।वहीं ये स्टडी इस वायरस के बारे में एक और हैरानी वाली बात सामने लाती है। शोधकर्ताओं ने 10% मामले ऐसे पाए हैं, जिनमें कोरोना वायरस ऐसे लोगों से फैला है, जिनमें कोई भी लक्षण दिखाई नहीं दिए। इसका अर्थ यह है कि संभव है कि कोरोना वायरस होने के बाद भी कुछ लोगों में इसके लक्षण शुरुआती कुछ दिनों में स्पष्ट दिखाई न दें। इसके बावजूद उनके द्वारा कोरोना वायरस दूसरे लोगों में फैल सकता है।
इस अध्ययन के लेखक और UT Austin में बायोलॉजी इंटरग्रेटिव के प्रोफेसर लॉरेन एंसेल मेयर्स के अनुसार, इस अध्ययन से मिले सुबूत ये बताते हैं कि कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए बहुत बड़े स्तर के कंट्रोल की जरूरत है, जिसमें आइसोलेशन, क्वारंटाइन, स्कूलों और परिवहन सेवाओं का बंद होना और भीड़-भाड़ को रोकना मुख्य रूप से शामिल है। चूंकि बिना लक्षणों के यह वायरस फैल सकता है इसलिए इसके फैलाव को रोकना एक बड़ी चुनौती है। इस अध्ययन को हांगकांग, युनाइटेड स्टेट्स, चीन और फ्रांस के वैज्ञानिकों ने मिलकर किया है।