शोध / आंखों से भी शरीर में पहुंच सकता है कोरोना वायरस, आंसू से हो सकते है संक्रमित

कोरोना वायरस को समझने के लिए पूरी दुनिया में तरह-तरह के शोध हो रहे है। इन शोधों में इन चीजों का पता लगाया जा रहा है कि किन-किन तरीकों से ये हमारे शरीर में प्रवेश कर सकता है। ऐसे में ताजा शोध में पाया गया है कि ये वायरस आंसुओं के जरिए भी संक्रमण फैला सकता है। यह दावा अमेरिका की प्रतिष्ठित रिसर्च यूनिवर्सिटी जॉन्स हॉपकिन्स के शोधकर्ताओं ने किया है। उनका कहना है कि एसीई-2 नाम के एंजाइम रिसेप्टर की मदद से कोरोना वायरस शरीर की कोशिकाएं को जकड़कर इंसान की आंख से भी प्रवेश कर सकता है।

नई रिसर्च के नतीजों में सामने आया है कि आंखों में भी ACE-2 रिसेप्टर का निर्माण होता है। इनकी मदद से कोरोना का Sars-CoV-2 शरीर में पहुंच सकता है। अगर संक्रमित मरीज के खांसने या थूक की ड्रॉपलेट्स आंखों तक पहुंचते हैं तो भी कोरोना संक्रमण फैलने का खतरा हो सकता है। शोधकर्ताओं ने बताया कि कोरोना आंखों के जरिए शरीर में पहुंच सकता है इसलिए आंसुओं से संक्रमण फैल सकता है।

रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक, कोविड-19 (Covid-19) आंखों की प्रचलित बीमारी कंजंक्टिवाइटिस (Conjunctivitis) की वजह से भी हो सकता है। 30% मरीजों में भी ऐसे लक्षण पाए गए हैं। जब आंखों में सूजन आती है और वे लाल हो जाती हैं। कोरोना वायरस श्वसन मार्ग से भी आंखों तक पहुंच सकता है और ऐसी स्थिति बीमारी को और भी गंभीर बना देती है।

रिसर्च रिपोर्ट में कहा गया है कि एसीई-2 रिसेप्टर एक तरह से कोरोना का रास्ता है जिसकी मदद से ये वायरस आपके शरीर में प्रवेश कर सकता है। एसीई-2 (ACE-2) रिसेप्टर आंखों के कॉर्निया (Cornea) में पाया जाता है। रिसर्च टीम के प्रमुख शोधकर्ता लिन्गली झाउ के मुताबिक, शरीर में यह रिसेप्टर जितनी ज्यादा मात्रा में बनेगा संक्रमण का खतरा उतना ही ज्यादा होगा और वायरस आसानी से रक्त तक पहुंच जाएगा।

शोधकर्ताओं के मुताबिक, डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों में एसीई-2 रिसेप्टर स्वस्थ लोगों के मुकाबले अधिक पैदा होता है, इसलिए इन्हें संक्रमण का खतरा भी ज्यादा है। रिसर्च के दौरान ऐसे प्रमाण भी मिले हैं जो बताते हैं धूम्रपान करने वालों में भी यह ज्यादा बनता है। शोधकर्ताओं के मुताबिक, यदि शरीर की कोशिका में TMPRSS2 नाम का एंजाइम पाया है तो एसीई-2 (ACE-2) रिसेप्टर आसानी से संक्रमण फैलाने में कोरोना वायरस की मदद करता है। कोशिका में ये दोनों ही होने पर वायरस आसानी से शरीर में अपनी संख्या को बढ़ाता है।

चश्मे या शील्ड से आंखों का बचाव जरुरी

शोधकर्ता डॉ. लिन्गली झाउ के मुताबिक, संक्रमित इंसान के आंसुओं में वायरस के अंश हो सकते हैं इसलिए मास्क के साथ आंखों का बचाव भी जरूरी है। बचाव के लिए चश्मे या शील्ड का इस्तेमाल बेहद जरुरी है।