गर्मी से राहत दिलाने वाली बारिश की बूँदें सभी को पसंद आती हैं। लेकिन ये बारिश की बूँदें अपने साथ कई प्रकार के संक्रमण और बीमारियां लेकर आती हैं, जो कि बेहद खतरनाक हो सकता हैं। खासकर गर्भवती महिलाओं को इस मौसम में बहुत सावधानी बरतने की जरूरत होती हैं क्योंकि इस मौसम में संक्रमण का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। इससे मां और गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए खतरा बढ़ा जाता है। इसलिए आज हम गर्भवती महिलाओं को ध्यान में रखी जाने वाली बातों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिससे आप इस मौसम में स्वस्थ भी रहें और इस मौसम का मजा ले सकें।
* स्वच्छ भोजन करेंलेप्टोस्पाइरोसिस एक ऐसा रोग है जो बैक्टीरिया से फैलता है और सामान्य दिनो की अपेक्षा इस रोग के होने की संभावना बारिश के मौसम में सबसे ज्यादा होती है। तभी इसका सबसे ज्यादा संक्रमण फैलता है। यह रोग ऐसा है जो खुद ही कई और रोगों को पैदा करने का कारण भी हो सकता है। लेप्टोस्पाइरोसिस, एक जीवाणु के द्वारा पनपता है जो इंसान या जानवर किसी के भी द्वारा गर्भवती महिला के गर्भ तक पहुंच सकता है। लेप्टोस्पाइरोसिस संक्रमण गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए जानलेवा भी हो सकता है। संक्रमित भोजन, पानी या त्वचा के संपर्क से भी यह बीमारी फैलती है। इसलिए गर्भवती को स्वच्छ भोजन और पानी पीना चाहिए।
* पानी की पर्याप्त मात्रामानसून में आमतौर पर पानी का सेवन कम हो जाता है। पानी से बचने से आप डिहाइड्रेट हो सकते हैं। इसलिए गर्भवती को खुद को डिहाइड्रेशन से बचाना के लिए भरपूर मात्रा में पानी पीना बहुत जरूरी होता है। इसके अलावा साफ व कीटाणु मुक्त पानी पीयें।
* जंक फूड से बचेंवैसे तो जंक फूड गर्भवती शरीर के लिए किसी भी मौसम में अच्छा नहीं होता, लेकिन मानसून में गर्भवती की पाचन क्रिया धीमी होने के कारण यह शरीर के लिए बहुत हानिकारक होता है। कमजोर पाचन होने पर भारी भोजन करने से पचाने में कठिनाई होती है और जंक फूड खाने से कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए गर्भवती को हानिकारक (जंक) खाद्य और पैकेजिंग वाले खाने से दूर रहना चाहिए, खासतौर पर मानसून के दौरान।
* विटामिन सी का सेवनगर्भवती को मानूसन में उन खाद्य पदार्थों को अपनी डाइट में शामिल करना चाहिए, जिनमें प्रचूर मात्रा में विटामिन सी पाया जाता है। जैसे मौसमी, नींबू, संतरा, टमाटर, आंवला। विटामिन सी गर्भवती की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, जो मानसून में बहुत जरूरी है। इसके अलावा यह शिशु की मांसपेशियों व कोशिकाओं के विकास में मदद करता है।
* स्वच्छता का खयाल रखेंनहाने के बाद अपने बदन को अच्छे से सुखाएं। नंगे पैर घर से बाहर न निकलें, भले ही यह घर का आंगन या लॉन ही क्यों न हो। लॉन में बरसात के गंदे पानी से आपको इंफेक्शन हो सकता है। इसके साथ ही पैर में कुछ चुभ भी सकता है। अपने हाथ-पैरों को गुनगुने पानी में साबुन से धोते रहें। खासतौर पर बाहर से घर लौटने पर। बरसात में इस्तेमाल करने वाले अपने सामान, छाता, रेनकोट, जुराबें, जूते और कपड़ों आदि की सफाई पर भी पूरा ध्यान दें। इनमें कीटाणु रहने पर आपकी सेहत को नुकसान हो सकता है।