बुखार-दस्त सहित इन बीमारियों में कारगर है पुदीना का सेवन

मिनरल्स से भरपूर पुदीना विटामिन-सी का भी अच्छा स्रोत है। इसकी कई वैरायटी हैं, जिसमें पिपरमिंट और स्पीयरमिंट सबसे ज्यादा उपयोग में लाया जाता है। आयुर्वेद में पुदीने को वायुनाशक जड़ी-बूटी के रूप में देखा जाता है, जो सीने में जलन, मितली आदि में राहत देता है। इसके पत्ते को चबाकर खाने से पेट दर्द और आंतों की ऐंठन में आराम मिलता है। तो आइये जानते है इनके बेशुमार फायदों के बारे में :—

पुदीना के इस्तेमाल से लगती है दस्त पर रोक

पुदीना के पंचांग का काढ़ा बना लें। इसे 10-20 मिली मात्रा में सेवन करें। इससे अपच और दस्त की समस्या ठीक होती है।

अस्थमा में फायदेमंद पुदीना

पुदीना अपने वात -कफ शामक गुण के कारण अस्थमा में भी लाभदायक होता है । इसकी तासीर गर्म होने के कारण फेफड़ों में जमे बलगम को पिघलाकर उसे बाहर निकालने में सहायता करती है । इससे इस बीमारी के लक्षणों के कम होने में सहायता मिलती है ।

इर्रिटेबल बॉवेल सिंड्रोम में फायदेमंद पुदीने का सेवन

इर्रिटेबल बॉवेल सिंड्रोम एक ऐसी अवस्था है जो अग्निमांद्य से उत्पन्न होती है जिसमें पाचन तंत्र की प्रक्रिया धीमी पड़ जाती है। इस स्थिति में शरीर में आम की उत्पत्ति शुरू हो जाती है जो कभी कभी मल के साथ निकलता हुआ भी दिखाई देता है । पुदीने का सेवन करने से यह अपने दीपन-पाचन गुण के कारण भोजन एवं आम को पचाता है और इसके लक्षणों को कम करने में सहायता करता है।

मासिक धर्म में ऐंठन और दर्द को दूर करने में पुदीना के फायदे

मासिक धर्म में दर्द और ऐंठन यानि क्रैम्प का कारण बढ़ा हुआ वात दोष होता है । पुदीना के सेवन से हम इस दर्द और ऐंठन को दूर कर सकते हैं, क्योंकि इसमें वातशामक और उष्ण गुण होते है जो दर्द और ऐंठन में राहत देते हैं।

मूत्र विकार में फायदेमंद पुदीने का प्रयोग

अगर पेशाब करते वक्त दर्द या जलन होता है तो पुदीने का इस तरह सेवन करने से लाभ मिलेगा- 500 मिग्रा पुदीना के पत्ते में 500 मिग्रा काली मिर्च को पीस लें। इसे छानकर मिश्री मिलाकर पुदीना की चाय की तरह पिएं। इससे मूत्र विकार ठीक होते हैं। पुदीना के पत्तों का काढ़ा बना लें। इसे 10-20 मिली की मात्रा में पीने से गठिया का दर्द कम होता है।

श्लीपद या हाथीपांव रोग में फायदेमंद पुदीना

श्लीपद या हाथीपांव होने पर पैर हाथी की तरह फूल जाता है और दर्द के कारण चलना-फिरना मुश्किल हो जाता है। हाथीपांव के दर्द से राहत पाने के लिए पुदीना का काढ़ा बना लें। इसे 15-20 मिली की मात्रा में सेवन करें।

घाव सुखाने के लिए पुदीना का प्रयोग

पुदीना के पत्ते को पीसकर लेप लगाने से ना सिर्फ घाव से आने वाली दुर्गंध कम होती है, बल्कि घाव भी जल्दी भरता है। इसके अलावा पुदीना के पंचांग का काढ़ा बना लें। इससे घाव को धोने से भी घाव जल्दी भरता है।

त्वचा रोग में पुदीना के फायदे

रैशेज, मुंहासे या घाव होने पर त्वचा पर काले-धब्बे पड़ जाते हैं। इससे छुटकारा पाने के लिए पुदीना के पत्तों को पीस लें। इसे दाग वाली जगह पर लगाने से काले धब्बे मिट जाते हैं। त्वचा संबंधी किसी भी समस्या में पुदीना के फायदे असरदार तरीके से काम करते हैं।

बुखार में फायदेमंद पुदीने का सेवन

मौसम के बदलाव के कारण बुखार आने पर पुदीना के पत्तों का काढ़ा बनाकर पिएं। इससे बुखार ठीक हो जाता है। इसके अलावा पुदीने की चटनी बनाकर खिलाने से भी बुखार और बुखार के कारण होने वाली भूख की कमी ठीक होती है। पुदीना के औषधीय गुण बुखार से जल्दी आराम दिलाने में मदद करते हैं।