कोरोना के इस कहर के बीच लोगों के रहन-सहन और आदतों में कई बदलाव आए हैं। इन्हीं आदतों में से एक हैं हाथ की सफाई के लिए हैंड सैनिटाइजर का उपयोग। हांलाकि साबुन से हाथ की सफाई करना श्रेष्ठ माना गया हैं लेकिन साबुन की सुविधा नहीं होने पर हैंड सैनिटाइजर का इस्तेमाल जरूरी हैं। WHO के मुताबिक़ 60 फीसदी एल्कोहल वाले हैंड सैनिटाइजर कोरोना को पनपने से रोकते हैं। लेकिन देखा जा रहा है कि कई लोग हैंड सैनिटाइजर्स में एल्कोहल का ऐसा रूप मिला रही हैं, जो सेहत के लिए खतरनाक है और जानलेवा भी हो सकता है।
स्वास्थ्य एजेंसियों के मुताबिक, मेथेनॉल एल्कोहल का एक ऐसा रूप है, जोकि बहुत जहरीला होता है। मेथेनॉल का इस्तेमाल आमतौर पर रेसिंग गाड़ियों के ईंधन में और एंटीफ्रीज के तौर पर किया जाता है। एफडीए के मुताबिक, मेथेनॉल इतना खतरनाक हो सकता है कि इसे त्वचा पर लगाने से यह सीधे त्वचा के अंदर चला जाता है और ये गंभीर मामलों में जानलेवा भी हो सकता है। मेथेनॉल युक्त सैनिटाइजर को हाथों पर लगाने से जहरीला प्रभाव फैल सकता है। यहां तक कि ऐसे एल्कोहल युक्त सैनिटाइजर को सूंघना भी खतरनाक हो सकता है।
मेथेनॉल युक्त सैनिटाइजर के क्या हैं खतरे?
- चक्कर आना, उल्टी आना, सिर दर्द होने की शिकायत हो सकती है।
- इससे आंखों से धुंधला दिखाई देना, अंधापन भी हो सकता है।
- शरीर में कंपकंपी और नर्वस सिस्टम डैमेज हो सकता है।
- व्यक्ति कोमा में जा सकता है और व्यक्ति की मौत हो सकती है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक अबतक प्राप्त साक्ष्यों के आधार पर एथेनॉल (Ethanol) और आइसोप्रोपेनॉल (Isopropanol) सिर्फ यही दो ऐसे एल्कोहल हैं, जो हैंड सैनिटाइजर के लिए सुरक्षित हैं। डबल्यूएचओ का यह भी कहना है कि सभी तरह के एल्कोहल ज्वलनशील होते हैं, यानी इनमें आग तुरंत पकड़ती है। इसलिए हैंड सैनिटाइजर के प्रयोग के तुरंत बाद आग से दूर रहना चाहिए। खासकर धूम्रपान(Smoking) करने वाले लोगों को ज्यादा खतरा रहता है। हैंड सैनिटाइजर इस्तेमाल करने के बाद अगर सिगरेट जलाने को लाइटर या माचिस का प्रयोग करें तो आग का खतरा रहता है।