विश्व स्वास्थ्य दिवस : मानसिक तनाव बनता है कई बीमारियों की वजह

हर साल 7 अप्रैल का दिन विश्व स्वास्थ्य दिवस के रूप में मनाया जाता हैं जिसकी शुरुआत 1948 को इस सिद्धांत के साथ हुई थी कि वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य मुद्दों को ध्यान में रखा जाए। वर्तमान में देखा जाता हैं कि लोग अपने काम और व्यस्तता के चलते मानसिक तनाव झेलने लगे हैं जो कि एक वैश्विक समस्या बनता जा रहा हैं। एक शोध में यह दावा किया गया हैं कि जो इंसान किसी मानसिक तनाव से ग्रस्त होता है उनका शारीरिक तापमान काफी बढ़ जाता है, जिसके कारण उसे बुखार भी हो सकता है।

शोधकर्ताओं ने बताया कि जब आप दर्शकों के सामने बोलने के लिए मंच पर जाने वाले होते हैं और आप प्रतीक्षा करते हैं तो आपका दिल तेज धड़कना शुरू हो जाता है, आपकी सांस तेज हो जाती है, आपका ब्लडप्रेशर भी बढ़ जाता है और आपकी हथेलियों से पसीना आता है। इन सब की वजह से आपके शरीर का तापमान बढ़ जाता है और आपको बुखार होने लगता है।

उन्होंने यह भी बताया कि कई बार भावनात्मक तनाव भी कई प्रजातियों में बुखार का कारण बन जाते हैं। शोधकर्ताओं ने कहा कि, यदि किसी का शरीर गर्म है तो जरूरी नहीं कि उसे सामान्य बुखार ही हो। यह हीट स्ट्रोक यानी हाइपर थर्मिया भी हो सकता है। हाइपर थर्मिया को साधारण बुखार मानना बड़ी भूल साबित हो सकता है।

तापमान के बढ़ने के साथ शरीर का तापमान भी बढ़ने लगता है, जिस कारण दिमाग की एक ग्रंथी हाइपो थैलेमस शरीर के हीट रेग्युलेटरी सिस्टम की तरह काम करती है। यह शरीर के तापमान को संतुलित रखने का काम करती है। तेज गर्मी के कारण कई बार इस ग्रंथी में कमजोरी आ जाती है और यह काम करना बंद कर देती है। ऐसे में तापमान का संतुलन बिगड़ जाता है। जब शरीर से अनावश्यक गर्मी बाहर नहीं निकल पाती तो इससे शरीर गर्म होने लगता है। शरीर में पानी की कमी यानी डीहाइड्रेशन से भी ऐसा होता है। यह काफी खतरनाक और जानलेवा भी हो सकता है। तंत्रिका तंत्र इस प्रक्रिया को हाइपर थर्मिया कहते हैं।

2004 में चूहों पर किए गए शोध से पता चलता है कि जब चूहों के मस्तिष्क का तापमान बढ़ाने के लिए ब्राउन वसा उत्तक को प्रवेश कराया जाता है तो उनके मस्तिष्क में कई तरह के बदलाव देखे जाते हैं। शोधककर्ताओं ने बताया कि ब्राउन वसा जरूरत पड़ने पर शरीर का तापमान बढ़ाने में काफी उपयोगी होता है।