मुंबई में तेजी से फैल रहा खसरा, जानें क्या हैं लक्षण और कैसे होगा बचाव?

खसरा बेहद संक्रामक बीमारी है और खतरनाक भी। इस समय मुंबई में खसरा तेजी से फैलता जा रहा है।बृहन्मुंबई महानगर पालिका (BMC) के मुताबिक, इस साल अब तक 303 मामले सामने आ चुके हैं और 11 मौतें हो चुकीं हैं।आपको बता दे, पिछले साल मुंबई में सिर्फ 9 मामले सामने आए थे और दो मरीजों की मौत हुई थी। बीएमसी के मुताबिक, 24 में से 11 वार्डों की 22 जगहों पर खसरे का प्रकोप फैल रहा है। लेकिन 7 अलग-अलग वार्डों में भी कुछ मामले सामने आए हैं, जिनमें साउथ मुंबई का ए-वार्ड भी शामिल है। बीएमसी ने बताया कि रैशेस के साथ होने वाले बुखार के सभी मामलों में विटामिन-ए की दो डोज दी जाती हैं। दूसरी डोज 24 घंटे बाद दी जाती है। इस समय, खसरे के मरीज 8 जिला अस्पतालों- कस्तूरबा अस्पताल, शिवाजी नगर मटरनिटी होम, भारतरत्न डॉ। बाबासाहेब अंबेडकर अस्पताल, राजावाड़ी अस्पताल, शताब्दी अस्पताल, कुर्ला भाभा अस्पताल, क्रांतिज्योति सावित्रीबाई फुले अस्पताल और सेवन हिल्स अस्पताल में भर्ती हैं। मुंबई के बाहर भी खसरे के मामले सामने आ रहे हैं। मुंबई से सटे ठाणे के भिवंडी और नासिक के मालेगांव में भी कुछ मरीज सामने आए हैं। पूरे महाराष्ट्र की बात करे तो इस साल लगभग 550 मामले सामने आ चुके हैं। इतना ही नहीं अन्य राज्य भी इस समय खसरे का प्रकोप झेल रहे है। महाराष्ट्र के अलावा बिहार, गुजरात, हरियाणा, झारखंड और केरल में भी खसरे के कई मामले सामने आए हैं।

अमेरिका के सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल (CDC) के मुताबिक, इस साल अप्रैल 2022 से सितंबर 2022 के बीच भारत में खसरे के करीब साढ़े 9,000 मरीज सामने आ चुके हैं। भारत में खसरे का सबसे ज्यादा प्रकोप है उसके बाद दूसरे नंबर पर सोमालिया है, जहां करीब 8500 मामले सामने आए हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी चेतावनी दी है कि कोविड के कारण खसरे के वैक्सीनेशन पर असर पड़ा है और इस कारण दुनिया के लगभग हर हिस्से में खसरे का प्रकोप हो सकता है। WHO का अनुमान है कि लगभग 4 करोड़ बच्चे खसरे के वैक्सीनेशन से वंचित रह गए हैं। बीएमसी के एक अधिकारी ने बताया कि 2020 और 2021 में कोविड के कारण दूसरी बीमारियों के वैक्सीनेशन का काम प्रभावित हुआ है, जिसमें खसरा भी शामिल है। इस वजह से बड़ी संख्या में बच्चे खसरे की वैक्सीन लेने से चूक गए।

फैल क्यों रहा है खसरा?

हेल्थ एक्सपर्ट खसरा फैलने के कई कारण बताते हैं। हेल्थ एक्सपर्ट ने न्यूज एजेंसी को बताया कि रहने के लिए गंदी जगहें, बड़ा परिवार, स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी, साफ-सफाई और पोषण की कमी, कमजोर इम्युनिटी, वैक्सीन नहीं लगवाने जैसी वजहें हैं।

स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि इस साल सितंबर के आखिर से ही खसरे के मामलों में तेजी आ गई। सबसे ज्यादा संक्रमण गोवंडी, देवनर, कुर्ला और चूनाभट्टी जैसे इलाकों में फैल रहा है। यहां ज्यादातर झुग्गी-बस्तियां हैं, जहां न तो बेहतर स्वास्थ्य सुविधा है, न साफ-सफाई है और न ही अच्छा खान-पान है। स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि इन इलाकों में कई सारे फर्जी डॉक्टर भी हैं, जिस कारण मरीजों को सही इलाज भी नहीं मिल पाता।

सबसे ज्यादा संक्रमण एम-ईस्ट वार्ड में है। डॉक्टर सृष्टि जेटली ने न्यूज एजेंसी को बताया कि जब शहर बस रहा था तो इस वार्ड में डंपिंग ग्राउंड और स्कैप यार्ड बना दिया गया और समय के साथ लोग यहां बसते चले गए। इस वजह से यहां गंदगी बहुत है।

बचने का क्या है तरीका?

खसरा एक बेहद संक्रामक बीमारी है, जो 'पैरामाइक्सोवायरस' नाम के वायरस से फैलती है। अगर संक्रमित व्यक्ति खांसता या छींकता है तो थूक के कणों के जरिए वायरस आ जाता है और आसपास फैल जाता है। खसरे का कोई ठोस इलाज नहीं है। ज्यादातर मरीज सामान्य इलाज से ही ठीक हो जाते हैं। लेकिन वैक्सीनेशन से इससे बचा जा सकता है। इसका सबसे ज्यादा खतरा बच्चों को है, खासकर उन्हें जिन्होंने वैक्सीन नहीं ली है। साथ ही जिन बच्चों में विटामिन-ए की कमी होती है, उन्हें भी खसरे का सबसे ज्यादा खतरा रहता है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का कहना है कि 1963 में खसरे की वैक्सीन आने से पहले तक ये बीमारी बहुत खतरनाक थी। हर दो-तीन साल में ये महामारी बन जाती थी और इससे हर साल करीब 26 लाख मौतें होती थीं। हालांकि, वैक्सीनेशन ने इस बीमारी को कंट्रोल कर दिया।

भारत में खसरा-रूबेला की वैक्सीन दी जाती है। इसकी पहली डोज तब दी जाती है जब बच्चे की उम्र 9 से 12 महीने की होती है और दूसरी डोज 16 से 24 महीने के बीच दी जाती है। अगर बचपन में वैक्सीन ले ली है तो जीवनभर खसरे से सुरक्षित हो जाते हैं। मुंबई में बच्चों को विटामिन-ए की वैक्सीन की दो डोज दी जा रही है। क्योंकि संक्रमित होने पर शरीर डिहाइड्रेट होने लगता है और विटामिन-ए का स्तर गिर जाता है।

खसरे के लक्षण क्या हैं?

WHO के मुताबिक, खसरे की चपेट में आने पर सबसे पहले तेज बुखार आता है। इसके लक्षण दिखने में 10 से 12 दिन का समय लग सकता है।

- बुखार
- सूखी खाँसी
- बहती नाक
- गले में खराश
- आँखों में सूजन
- गाल और मुँह के अंदरूनी हिस्से में लाल सतह पर नीले-सफेद केंद्रों के साथ छोटे सफेद स्पॉट (दाग) - जिसे कोपलिक स्पॉट भी कहते हैं।
- त्वचा पर एक प्रकार के चक्कते (दाने) जो कि बड़े और सपाट ददोरे व धब्बों से बनते हैं और अक्सर एक दूसरे में प्रवाह करते हैं।

कितना खतरनाक है खसरा?

WHO का कहना है कि दुनियाभर में वैक्सीनेशन के बावजूद हर साल खसरे से लाखों मौत होती हैं।खसरा से होने वाली मौतों की सबसे बड़ी वजह इस बीमारी से होने वाली जटिलताएं हैं। 5 साल से छोटे बच्चे और 30 साल से ज्यादा उम्र के लोगों में जटिलताएं आम हैं। पिछले साल ही दुनियाभर में खसरे के 90 लाख से ज्यादा मामले सामने आए थे और 1।28 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी। 22 देश ऐसे थे जहां खसरे का प्रकोप सबसे ज्यादा था। मौत होने का खतरा तब ज्यादा बढ़ जाता है जब मरीज को गंभीर बीमारी हो जाती है। गंभीर बीमारी होने पर अंधापन, एन्सेफ्लाइटिस, गंभीर डायरिया, डिहाइड्रेशन, कानों में संक्रमण, सांस लेने में दिक्कत या निमोनिया हो सकता है।

जिन बच्चों को सही पोषण नहीं मिल रहा हो, विटामिन-ए की कमी हो या फिर एचआईवी एड्स या दूसरी बीमारी से इम्युन सिस्टम कमजोर हो गया हो उनको गंभीर संक्रमण होने का खतरा अधिक बन जाता हैं। खसरे का भले ही ठोस इलाज न हो, लेकिन वैक्सीनेशन से बचा जा सकता है। इसलिए वैक्सीन जरूर लें। अगर खसरे से संक्रमित हैं तो डॉक्टर 24 घंटे के अंतराल पर विटामिन-ए वैक्सीन की दो डोज देते हैं, ताकि विटामिन-ए का स्तर बना रहे।