ग्रीक शब्द 'हेपर' से हुई थी हेपेटाइटिस शब्द की उत्पत्ति, जाने इसके पांच प्रकारों के बारे में

हेपेटाइटिस का अर्थ है इन्फ्लेमेशन ऑफ लिवर यानी लिवर की सूजन या प्रदाह। इस शब्द की उत्पत्ति ग्रीक शब्द 'हेपर' से हुई है, जिसका अर्थ है लिवर। इन्फ्लेमेशन प्राय: किसी बैक्टीरिया, वायरस, ज्यादा शराब के सेवन, नशीली दवाओं के सेवन या ऑटोइम्यून डिजीज की वजह से हो सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कहा कि वायरल हेपेटाइटिस लिवर के सूजन से संक्रमित 10 फीसदी से कम लोगों को अपनी बीमारी के बारे में जानकारी है, जिससे उनके जीवन के लिए खतरनाक स्थिति पैदा हो जाती है।

हेपेटाइटिस वायरस के पांच प्रकार

हेपेटाइटिस वायरस के पांच प्रकार ए, बी, सी, डी और ई ज्ञात हैं। इनमें हेपेटाइटिस ए और ई संक्रमित भोजन और पानी से फैलते हैं। इनका मरीज आमतौर पर इलाज के बाद पूरी तरह ठीक हो जाता है। हेपेटाइटिस ई गर्भवती महिलाओं के लिए ज्यादा घातक होता है। हेपेटाइटिस ए से बचाव के लिए टीका भी उपलब्ध है। इसी तरह हेपेटाइटिस डी का खतरा उन मरीजों को ज्यादा रहता है, जिन्हें पहले से हेपेटाइटिस बी का संक्रमण हो। इसका पर्याप्त इलाज उपलब्ध नहीं है। बचाव ही इसका उपचार है।

हेपेटाइटिस बी रोगियों को स्वस्थ आहार खाना चाहिए और साथ ही अपने वजन को संतुलित बनाये रखना चाहिए

क्या खाए

- इस समस्या में कॉफ़ी का सेवन करना अच्छा रहता है। इसके लिए दिन में कम से कम 3 बार तो कॉफ़ी का सेवन करे। जिससे इस वायरस का विकाश नही हो सकेगा।
- हेपेटाइटिस बी में प्रोटीन युक्त आहर को शामिल किए जाना चाहिए। यह ऊतको की मरम्मत करते है। इसके लिए अंडा, सूखे मेवे, दही , दूध पनीर आदि का सेवन करना चाहिए।
- हेपेटाइटिस बी रोगी को प्राप्त मात्रा फल व सब्जी का सेवन करना चाहिए। फलो से मिलने वाला फाइबर और सब्जियों के पोष्टिक तत्व इस समस्या में शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करते है।
-हेपेटाइटिस बी खाना बार बार खाना चाहिए, इसमें चाहे खाने को थोडा थोडा कर के खा ले लेकिन खाए इससे शरीर में कमजोरी नही आती है।
-हेपेटाइटिस बी में पानी की कमी नही होने दे इससे शरीर में तरलता बनी रहती है और साथ स्वस्थ भी रहता है।

क्या नही खाए

-हेपेटाइटिस बी रोगी को फ़ास्ट फ़ूड जैसी चीजों का सेवन नही करना चाहिए।
-कार्बोहाइड्रेट वाली चीजों से परहेज बना ले क्यूंकि यह शरीर में वसा की मात्रा को बढ़ा देते है जो इस दौरान सही नही होती है।
-हेपेटाइटिस बी के रोगी को मीठे से परहेज बना लेना चाहिए। क्यूंकि मीठा लीवर में पचता नही है और इस समस्या को बढ़ा देता है।
-हेपेटाइटिस बी के रोगी को डेयरी के किसी भी उत्पाद से बने खाद्य पदार्थ का सेवन नही करना क्यूंकि इनमे लेक्टोज पाया जाता है लीवर के लिए सही नही होता है।