कोरोनाकाल : नन्हे-मुन्नों को पहनाएं सुरक्षाचक्र! इन 4 तरीकों से बढ़ाई जा सकती है इम्यूनिटी

कोरोना वायरस से फैली महामारी के बाद दुनिया को रोगप्रतिरोधी प्रणाली यानी इम्यून सिस्टम के महत्व का अंदाज़ा हुआ। वैसे तो हमें स्कूली दिनों से ही इम्यून सिस्टम के बारे में पढ़ाया जाता रहा है, पर इस विषय में हमने कोविड 19 के बाद ध्यान देना शुरू किया। रोगप्रतिरोधी प्रणाली कोशिकाओं और प्रोटीन्स का एक जटिल नेटवर्क है, जो शरीर को संक्रमण से बचाता है। यह हर रोगाणु (माइक्रोब) का रिकॉर्ड रखता है, जिससे भविष्य में इस तरह के रोगाणु को पहचान कर उन्हें नष्ट कर देता है।

युवाओं और वयस्कों की रोगप्रतिरोधी प्रणाली काफ़ी मज़बूत होती है, जिसके चलते वे अक्सर संसर्गजन्य व संक्रामक बीमारियों का उतना शिकार नहीं होते, जितनी आसानी से ये बीमारियां छोटे बच्चों और बुज़ुर्गों को अपने कब्जे में ले लेती हैं। ख़ासकर छोटे शिशु विभिन्न बीमारियों और संक्रमणों के प्रति अतिसंवेदनशील होते हैं। इन चार उपायों से शिशु की इम्यूनिटी बढ़ाई जा सकती है।

1. स्तनपान

शिशु की रोगप्रतिरक्षा प्रणाली के बढ़ने में मदद करने के लिए स्तनपान दुनिया का सबसे अच्छा तरीक़ा है। मां के दूध में वे सभी महत्वपूर्ण तत्व होते हैं जो शिशु की रोगप्रतिरक्षा प्रणाली की मज़बूती के लिए महत्वपूर्ण हैं। मां के दूध में मौजूद वो तत्व हैं-प्रोटीन, वसा (फ़ैट), शर्करा (शुगर), ऐंटीबॉडीज़ और प्रोबायोटिक्स। मां के शरीर में मौजूद ऐंटीबॉडीज़, स्तनपान के दौरान दूध के माध्यम से शिशु के शरीर में ट्रान्स्फ़र होते हैं, जिसके चलते शिशु के सेहतमंद बने रहने में मदद मिलती है।


2. वैक्सिनेशन

शिशु के पैदा होने के बाद से उसके दो साल तक का होने तक समय-समय पर उसे कई वैक्सीन्स के डोज देने होते हैं। ये वैक्सीन्स नवजात शिशु को कई प्राणघातक बीमारियों में बचाने के लिहाज़ से बेहद प्रभावी होती हैं। इसलिए शिशु के पैदा होने के बाद मानक दिशानिर्देशों के अनुसार उसका टीकाकरण करवाएं। यह कई गंभीर बीमारियों से बचाने के लिए एक प्रभावी और सुरक्षित तरीक़ा माना जाता है।

3. स्वच्छता

यह तो आपने सुना ही होगा कि आधे से ज़्यादा संक्रामक बीमारियां स्वच्छता नहीं रखने के चलते होती हैं। यदि आप अपने नन्हे-मुन्ने बच्चे की स्वच्छता का सही प्रकार से ध्यान रखेंगे तो उसे कई तरह की बीमारियों से बचाने में क़ामयाब हो जाएंगे।

सिर्फ़ बच्चे की ही स्वस्छता पर फ़ोकस करने से काम नहीं बनेगा, उसके संपर्क में आने वाली हर चीज़ साफ़-सुथरी होनी चाहिए। ख़ासकर वो वस्तुएं, जो उसकी पहुंच में आसानी से आ सकती हैं और जिन्हें उठाकर वह अपने मुंह में डाल सकता है। बच्चों को खाना खाने के पहले और खाने के बाद हाथों की अच्छी तरह सफ़ाई की आदत ज़रूर डलवाएं, क्योंकि गंदे हाथ बच्चों को बीमार बना सकते हैं।

4. पर्याप्त नींद

नींद प्रकृति द्वारा दिया गया वह वरदान है, जो हमें हर दिन तरोताज़ा कर देती है। जब हम सो रहे होते हैं, तब हमारी डैमेज्ड कोशिकाओं का तेज़ी से रिपेयर वर्क चल रहा होता है। अत: पर्याप्त नींद शिशु की रोगप्रतिरोधी प्रणाली को दुरुस्त रखने के लिहाज से बेहद ज़रूरी है। जब हमारी या कहें बच्चों की भी नींद पूरी नहीं होती, तो शरीर में साइटोकिन्स नामक प्रोटीन के उत्पादन करने की क्षमता कम हो जाती है। वह साइटोकिन्स प्रोटीन ही है, जो शरीर को संक्रमण से बचाने और सूजन को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जहां, हम वयस्कों की नींद 6 से 8 घंटे में पूरी हो जाती है, वहीं बच्चों को प्रतिदिन कम से कम 8-10 घंटे की नींद ज़रूर लेनी चाहिए।