सोयाबीन : पेड-पौधों से मिलने वाले प्रोटीन का सबसे अच्छा स्रोत, शरीर का ऐसे रखे ध्यान

सोयाबीन एक तरह का दलहन है, जिसका उपयोग खाने और तेल निकालने के लिए किया जाता है। यह पोषक तत्वों का खजाना है, जिसके सेवन से शरीर स्वस्थ रहता है। सोयाबीन को पेड़-पौधों से मिलने वाले प्रोटीन का सबसे अच्छा स्रोत माना गया है। इसलिए, शाकाहारी लोगों को इसे अपने आहार में जरूर शामिल करना चाहिए। इसमें प्रोटीन और आइसोफ्लेवोंस (एक तरह का बायोएक्टिव कंपाउंड) पाए जाते हैं, जो हड्डियों को कमजोर होने से रोकते हैं। इससे जल्दी फ्रैक्चर होने का खतरा नहीं होता।


सोयाबीन के फायदे

1.सोयाबीन में प्रोटीन के अलावा फाइबर, मिनरल्स और फाइटोएस्ट्रोजन्स होते हैं। इसके अलावा इसमें सेचुरेटेड फैट की मात्रा भी कम होती है। साथ ही इसमें न तो कोलेस्ट्रॉल होता है और न ही लैक्टोस। इस लिहाज से सोयाबीन सेहत के लिए फायदे की चीज है। सोयाबीन में आयरन, मैंगनीज, फॉसफोरस, कॉपर, पोटेशियम, जिंक और सेलेनियम भी प्रचुर मात्रा में होता है।


2. सोयाबीन हेल्दी वेट गेन और वेट लूज में भी मदद करता है, बशर्ते उसे सीमित मात्रा में खाया जाए तो। सोयाबीन में फाइबर और प्रोटीन अत्यधिक मात्रा में होता है। इसलिए यह उन लोगों के लिए भी फायदेमंद है जो वजन घटाना चाहते हैं और उन लोगों के लिए भी जो बढ़ते वजन को कम करना चाहते हैं।


3. सोयाबीन डायबीटीज और हार्ट डिजीज की रोकथाम करने में भी मदद करता है। इसमें मौजूद अनसेचुरेटेड फैट्स बैड कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में मदद करते हैं। इससे हार्ट संबंधी बीमारियों का खतरा कम हो जाता है।


4. इसके अलावा यह कई प्रकार के कैंसर से भी बचाव करता है। अमेरिका के कैंसर रिसर्च इंस्टिट्यूट के अनुसार, सोयाबीन में मौजूद फाइबर कोलोरेक्टल और कोलोन कैंसर के रिस्क को कम करता है।


5. सोयाबीन हड्डियों की मजबूती के लिए बेहद जरूरी है। अक्सर महिलाएं घुटनों और कमर के दर्द की शिकायत करती हैं। ऐसा कमजोर हड्डियों या फिर नसों पर दबाव की वजह से होता है। चूंकि सोयाबीन में विटामिन, मिनरल के अलावा कैल्शियम, मैग्निशियम और कॉपर जैसे पोषक तत्व होते हैं, इसलिए यह हड्डियों को मजबूत बनाने में मदद करता है।


6. सोयाबीन बर्थ डिफेक्ट्स को भी दूर करता है। इसमें मौजूद विटमिन बी कॉम्प्लेक्स और फॉलिक ऐसिड प्रेगनेंट महिलाओं के लिए बहुत जरूरी होता है। साथ ही यह भ्रूण के मानसिक विकास में भी मदद करता है। हालांकि सोयाबीन का सीमित मात्रा में ही सेवन करना चाहिए।


7. शुगर युक्त खाद्य पदार्थों के सेवन से मधुमेह की समस्या बढ़ सकती है। इसे लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स फूड की श्रेणी में गिना जाता है, जिसमें कार्बोहाड्रेट और वसा की कम मात्रा होती है। इसलिए, मधुमेह में सोयाबीन का सेवन लाभकारी साबित हो सकता है । इसमें पाया जाने वाला प्रोटीन ग्लूकोज को नियंत्रित करता है और इंसुलिन में आने वाली बाधा को कम कर सकता है। साथ ही सोयाबीन में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा कम होने के कारण इससे बने उत्पादों का सेवन मधुमेह के मरीज के लिए उचित माना गया है।

8. सोया उत्पादों में प्लांट एस्ट्रोजेन जैसे यौगिक होते हैं, जो शरीर में एस्ट्रोजेन हार्मोन के निर्माण में मदद करते हैं। इसके सेवन से मासिक धर्म नियमित रूप से आते हैं। साथ ही बांझपन और रजोनिवृत्ति से पहले होने वाली समस्याओं से भी राहत मिल सकती है। कुछ महिलाओं को मासिक धर्म के समय डिसमेनोरिया का सामना करना पड़ता है।

यह एक चिकित्सीय स्थिति है, जिसमें महिला को गर्भाशय में असहनीय दर्द होता है। इस संबंध में किए गए एक वैज्ञानिक के अध्ययन अनुसार, जो महिलाएं रेड मीट के मुकाबले अधिक सोया खाद्य पदार्थों का सेवन करती हैं, उन्हें डिसमेनोरिया से जल्द राहत मिल सकती है। साथ ही प्रीमेन्स्ट्रुअल से भी आराम मिलता है। मासिक धर्म से पहले होने वाली विभिन्न समस्याओं को प्रीमेन्स्ट्रुअल कहा जाता है।