इस समय पूरी दुनिया के सामने कोरोना का कहर चल रहा हैं जिसका संक्रमण थमने का नाम ही नहीं ले रहा हैं। देश में कोरोना के मामले 29 लाख तक पहुंच चुके है। ऐसे में इसकी रोकथाम के लिए लगातार वैज्ञानिक समुदाय और अनुसंधान समूह इससे जुड़ी कई शोध कर रहे हैं। ऐसे में एक शोध सामने आई है जिसके अनुसार बच्चे कोरोना के साइलेंट स्प्रेडर बन रहे हैं और बिना लक्षणों के कोरोना का संक्रमण बढ़ा रहे हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, बाल मृत्यु दर पर कोरोना का सीधा प्रभाव उपलब्ध साक्ष्य के अनुसार बहुत सीमित दिखाई होता है। सामने आ रही रिपोर्टें यह भी बता रही हैं कि वयस्कों की तुलना में बच्चे कोरोनोवायरस से कम असुरक्षित हो सकते हैं, लेकिन जो संक्रमित होते हैं वे वयस्कों की तुलना में अधिक वायरल भार फैलाते हैं। हाल के एक अमेरिकी अध्ययन के अनुसार, बच्चे वास्तव में अत्यधिक संक्रामक संक्रमण के साइलेंट स्प्रेडर हो सकते हैं।
क्या कहता है अध्ययन
मैसाचुसेट्स जनरल हॉस्पिटल और मास जनरल हॉस्पिटल के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए अध्ययन में ये पाया गया कि 192 बच्चों में से 49 में नोवल कोरोनोवायरस टेस्ट पॉजिटिव पाया गया था और वयस्कों की तुलना में उनके वायुमार्ग में वायरल लोड की अधिक मात्रा पाई गई, खासकर तब, जब अस्पताल के इंटर्न केयर यूनिट में उन्हें भर्ती कराया गया था। अध्ययन के जर्नल ऑफ पीडियाट्रिक्स में प्रकाशित किए गए हैं।
शोध उन बच्चों पर किया गया था, जिन्हें या तो कोरोना होने का संदेह था या फिर उनमें कोरोना के लक्षण पाए गए थे। यूएसए टुडे में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, इन बच्चों की उम्र जन्म से 22 वर्ष के बीच थी और उनमें से कुछ के अंदर कोरोनोवायरस के कोई लक्षण नहीं दिखाए थे लेकिन जब उन्हें अस्पताल में लाया गया तो वे कोरोना के पॉजिटिव मामले के संपर्क में आए थे।
मैसाचुसेट्स जनरल अस्पताल और मास जनरल द्वारा किए गए अध्ययन और प्रैक्टिस की प्रमुख लेखक डॉ. लाहल योंकर कहती हैं कि अस्पताल में वयस्कों की तुलना में वायरल लोड का उच्च स्तर बच्चों में पाया गया। उन्होंने कहा कि हम सभी उम्र के बच्चों में वायरस के उच्च स्तर से आश्चर्यचकित थे, खासकर संक्रमण के पहले दो दिनों में।
योंकर ने कहा, “मैं वायरल लोड के इतने अधिक होने की उम्मीद नहीं कर रहा थी। आप एक अस्पताल के बारे में सोचते हैं, और गंभीर रूप से बीमार वयस्कों के इलाज के लिए बरती जाने वाली सभी सावधानियों के बारे में, लेकिन इन अस्पताल में भर्ती मरीजों का वायरल लोड एक 'स्वस्थ बच्चे' की तुलना में काफी कम है, जो उच्च SARS-CoV-2 वायरल लोड के साथ घूम रहा है।”
अध्ययन से क्या सामने आया
अध्ययन के वरिष्ठ लेखक डॉ। एलेसियो फसानो के अनुसार, हमें इस वायरस के लिए संभावित प्रसार के रूप में बच्चों को छूट नहीं देनी चाहिए। शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि उन 49 बच्चों में से जिन्हें कोरोना पॉजिटिव पाया गया था उनमें से केवल आधे बच्चों का ही बॉडी टेम्पेरचर जरूरत से ज्यादा था।
शोध के लेखकों का मानना है कि यह समझना कि बच्चे बीमारी का मूक वाहक हो सकते हैं नोवल कोरोनावायरस के प्रसार का मुकाबला करने में महत्वपूर्ण है। स्कूलों, डेकेयर केंद्रों और अन्य शैक्षणिक संस्थानों को खोलने के दौरान इसे भी ध्यान में रखा जाना चाहिए क्योंकि इससे कोरोनोवायरस महामारी की एक और लहर शुरू हो सकती है। चूंकि वे रोग के बिना लक्षण वाले वाहक होते हैं, इसलिए वे एक साथ कई घरों में संक्रमण फैला सकते हैं।