Hydroxychloroquine और Remdesivir के बाद अब स्वाइन फ्लू की दवा से होगा कोरोना मरीजों का इलाज, मिल सकती है मंजूरी

भारत में पिछले 24 घंटे में 8,909 नए मामले सामने आए हैं और 217 लोगों की मौत हुई है। इसके बाद देशभर में कोरोना पॉजिटिव मामलों की कुल संख्या 2,07,615 हो गई है, जिनमें से 1,01,497 सक्रिय मामले हैं, 1,00,303 लोग ठीक हो चुके हैं या उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है और अब तक 5,815 लोगों की मौत हो चुकी है। देश में कोरोना वायरस के मामले लगातार बढ़ रहे हैं, लेकिन राहत की बात ये है कि मरीजों के ठीक होने की संख्या भी बढ़ रही है।

स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने मंगलवार को बताया कि देश में कोरोना का रिकवरी रेट 48.07% हो गया है। लव अग्रवाल ने कहा कि हमारी कोशिश समय से कोरोना मामलों की पहचान और इलाज की है। हमारी रिकवरी रेट 48.07% है। 15 अप्रैल को रिकवरी रेट 11.42%, 3 मई को 26.59% और 18 मई को 38.29% थी। अग्रवाल ने बताया कि समय पर संक्रमण का पता लगाने और सही इलाज करने की वजह से हम बेहतर स्थिति में हैं। देश में कोरोना संक्रमण से जिन लोगों की मौतें हुई हैं, उनमें से 73% ऐसे थे जिन्हें पहले से ही गंभीर बीमारियां थीं। देश में कोरोना से मौतों की दर सिर्फ 2.82% है, जबकि दुनिया में ये दर 6.13% है।

लव अग्रवाल ने कहा था कि देश में कोरोना का रिकवरी रेट में सुधार के पीछे वजह है कि हमारे यहां डॉक्टरों ने कुछ ऐसी दवाओं के कॉम्बिनेशन की अनुमति दी है, जिससे मरीज जल्दी रिकवर हो रहे हैं। अब एक और दवा को कोरोना मरीजों के इलाज के लिए भारत में मंजूरी मिल सकती है।

रैपीवैब की मिल सकती है अनुमति


इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (Indian Council of Medical Research - ICMR) ने पहले हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन (Hydroxychloroquine) के उपयोग के लिए कहा, फिर इबोला (Ebola) को ठीक करने वाली रेमडेसिविर (Remdesivir) को भी मंजूरी दे दी है। अब हो सकता है कि आईसीएमआर एक अन्य दवा को भी अनुमति दे सकती है। इस दवा का नाम है पेरामिविर (Peramivir)। इसे बाजार में रैपीवैब (Rapivab) के नाम से भी जाना जाता है। इस दवा को अमेरिकी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) ने भी मान्यता दे रखी है। इस दवा का उपयोग स्वाइन फ्लू और उसके जैसी बीमारियों को रोकने में किया जाता है।

इमरजेंसी में होगा इस दवा का इस्तेमाल इस एंटीवायरल दवा का उपयोग केवल इमरजेंसी में किया जा सकता है, वह भी डॉक्टरों की निगरानी में। इस दवा को अमेरिकी कंपनी बायोक्रिस्ट फार्मस्यूटिकल्स नाम की कंपनी बनाती है। इस दवा को लेकर 2008 से ही ट्रायल शुरू हुए थे।
जिसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दिसंबर 2014 में मान्यता मिली है। यह एक बेहद असरदार एंटीवायरल दवा है, जिसका ज्यादातर उपयोग एच1एन1 इंफ्लूएंजा (H1N1) यानी स्वाइन फ्लू (Swine Flu) रोकने के लिए किया गया था। पेरामिविर दवा को जापान और दक्षिण कोरिया ने मान्यता दे रखी है। वहां पर इस दवा को पेरामिफ्लू के नाम से जाना जाता है।

डॉक्टर्स की निगरानी में दी जाती है ये दवा इस दवा के उपयोग से कुछ साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं। जैसे - डायरिया, सीरम ग्लूकोस का बढ़ना, नींद न आना, कब्ज, तनाव, रैशेस, वहम होना आदि शामिल है। इसलिए दुनिया भर में इस दवा को डॉक्टर्स की निगरानी में दिया जाता है। ये दवा संक्रमित कोशिकाओं से वायरस के दूसरे कोशिकाओं में जाने से रोकती है। साथ ही नए कोशिकाओं पर वायरस के हमले को रोकती है। अमेरिका में बनने वाली इस दवा को चीन, जापान और दक्षिण कोरिया में भी अनुमति मिली हुई है। बता दे, सरकार ने कोरोना के गंभीर मरीजों के इस्तेमाल के लिए रेमडेसिविर दवा को मंजूरी भी दे दी है।

भारत की दवा नियामक निकाय सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (CDCSCO) ने रेमडेसिविर के इस्तेमाल को लेकर इजाजत दे दी है। इस दवा को कोरोना के ऐसे मरीजों को दिया जाएगा, जो हॉस्पिटल में भर्ती हैं। इसमें वयस्क और बच्चे दोनों शामिल हैं। अमेरिका से इस दवा को मुंबई की एक कंपनी क्लिनेरा ग्लोबल सर्विसेज द्वारा आयात किया जाएगा। फिलहाल कोरोना के मरीजों पर इस दवा का इस्तेमाल सिर्फ 5 दिनों के लिए किया जाएगा।