कोरोना का कहर जारी हैं और लगातार यह आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा हैं। ऐसे में बच्चों, गंभीर बीमारियों से ग्रसित लोगों, गर्भवती महिलाओं और बुजुर्गों को घर में रहने की सलाह दी जा रही हैं ताकि इस खतरे से बचा जा सकें। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कोरोना कहर में होम आइसोलेशन बुजुर्गों में गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता हैं। जी हां, एक चौकाने वाली रिपोर्ट सामने आई हैं जिसके अनुसार अपने मित्रों और रिश्तेदारों से मिल नहीं पाने और बात नहीं होने से ये लोग खुद को बीमार महसूस करने लगे हैं। उनमें 45 साल से अधिक उम्र के एक तिहाई बुजुर्ग अकेलापन महसूस कर रहे हैं। वहीं 65 साल के एक चौथाई बुजुर्ग ऐसा महसूस कर रहे हैं। घर के एक कमरे में अकेले कैद होने से ये लोग बाहरी दुनिया को नहीं देख पा रहे हैं।
अकेलापन स्वास्थ्य के लिए कितना खतरनाक है ?
सेंटर फार डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन की खबर के अनुसार हाल ही में हुए रिसर्च में पता चला है कि अकेलापन आदमी को बीमार बना सकता है। रिसर्च में इस बात के प्रमाण मिले हैं कि 50 वर्ष तक की आयु वाले बुजुर्ग खुद को अकेला महसूस कर रहे हैं और मानसिक समस्या से जूझ रहे हैं। अकेलेपन से और किस- किस तरह की समस्याएं हो रही हैं इनको देखते हैं।
- सोशल आइसोलेशन से लोगों में अकाल मृत्यु का खतरा काफी बढ़ गया है। इसका एक कारण और है कि लोग अकेले रहकर पहले से ज्यादा धूम्रपान, और नशा कर रहे हैं। इससे गंभीर बीमारी और मौत दोनों का खतरा बढ़ गया है।
- सोशल आइसोलेशन से मनोरोग के खतरे 50% प्रतिशत बढ़ गये हैं। साथ ही 29% हृदय रोग का जोखिम बढ़ा है। 32% स्ट्रोक का जोखिम बढ़ा है।
- होम आइसोलेशन में लोग अकेलेपन अवसाद और चिंता के शिकार हुए हैं, जिसके चलते आत्महत्या की दर बढ़ी है।
- अकेलापन के कारण हार्ट फेल होने के रोगियों के मौत की संख्या लगभग 4 गुना बढ़ी है। अकेलेपन के कारण अस्पताल में भर्ती होने वाले 68% और आपातकालीन विभाग में 57% लोगों का आना बढ़ा है।
अप्रवासी और एलजीबीटी लोगों को खतरा ज्यादा
रिपोर्ट में बताया गया है कि अकेलेपन के कारण बीमारियों का खतरा जिन लोगों में बढ़ा है, उनमें अप्रवासी शामिल हैं। समलैंगिक, समलैंगिक, उभयलिंगी और ट्रांसजेंडर (LGBT) आबादी समस्या का सबसे ज्यादा शिकार हुए हैं। शोध में पता चला है कि अप्रवासी, और समलैंगिक, उभयलिंगी आबादी अन्य समूहों की तुलना में ज्यादा अकेलेपन महसूस कर रहे हैं।