तेज दिमाग पाने के लिए सिर्फ आधा घंटा करे ये काम, स्ट्रेस और डिप्रेशन भी होगा दूर

आपको ये जानकर हैरानी होगी कि गार्डनिंग यानी बागवानी करने से आपका दिमाग तेज हो सकता है। गार्डनिंग करने से दिमाग में गुड हार्मोंस का स्राव तेजी से बढ़ता है। गार्डनिंग से जहां शारीरिक मेहनत होती हैं, वहीं मस्तिष्क भी क्रियाशील होता है। अगर आप आधा घंटा गार्डनिंग यानी बागवानी करते है तो आप लगभग 250-275 कैलोरी तक बर्न कर सकते है। ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे है कि कैसे गार्डनिंग यानी बागवानी करना आपके दिमाग के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।

याददाश्त बेहतर होती है

याददाश्त कमजोर होना आज के समय में आम बात हो गई है। दिमाग में बढ़ते स्ट्रेस की वजह से हमारी याददाश्त कमजोर हो जाती है। ऐसे में शोध में पाया गया है कि गार्डनिंग यानी बागवानी करने से दिमाग कि क्रियाशीलता बढ़ती है जो आपकी याददाश्त बढ़ाने में मदद करता है। शोध बताते हैं कि गार्डनिंग करने वाले लोगों में भूलने की बीमारी की संभावना गार्डनिंग न करने वालों की तुलना में 36% तक कम होती है।

स्ट्रेस होता है दूर

आज की भागती-दौड़ती जिंदगी में स्ट्रेस जीवन का एक हिस्सा बन गया है लेकिन इस स्ट्रेस को आप गार्डनिंग यानी बागवानी करने से कम कर सकते है। गार्डनिंग करने से बॉडी रिलेक्स फील करती है। इससे आपके काम करने की क्षमता और दिमाग की सक्रियता बढ़ती है। गार्डनिंग करने से कार्टिसोल हार्मोन निकलना बंद हो जाते है जिसकी वजह से दिमाग रिलेक्स रहता है। गार्डनिंग करते हुए दिमाग क्रिएटिव कामों में लग जाता है, इससे तनाव दूर हो जाता है। गार्डनिंग एक तरह से खेल की तरह होता है। जिस तरह से खेलने पर दिमाग की सक्रियता बढ़ती है उसी तरह से गार्डनिंग से भी होता है।

ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है

गार्डनिंग करने से शरीर में ब्लड सर्कुलेशन भी बढ़ता है। बार-बार बैठना, उठना, झुकना, खड़े होने के साथ ही खुदाई, गुड़ाई, निराई, सिंचाई जैसी एक्टिविटी शरीर को एक्टिव करती है। इससे शरीर की अच्छी एक्सरसाइज होती है। एक शोध में पाया गया है कि अगर आपके दिमाग में ब्लड का सर्कुलेशन अच्छी तरह से नहीं होता तो आपके दिमाग पर इसका बुरा असर पड़ता है। ऐसे में गार्डनिंग करने से ब्लड पुरे शरीर में बेहतर तरीके से फ्लो करता है।

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कराता है खुशनुमा अहसास

गार्डनिंग करने के बाद फल, फूल या सब्जी आदि उगते हैं तो इससे मन में प्रसन्नता आती है। ये अपने आप इंसान को अपनी ओर आकर्षित करने लगता है। वहीं, धूल-मिट्‍टी में नेचुलर एंटी-डिप्रेसेंट होता है, जिसे मायकोबैक्टेरियम वैके कहते हैं। इससे एंटी-डिप्रेसेंट माइक्रोब साइटोकिन लेवल बढ़ता है जिससे सेरोटोनिन का स्राव बढ़ता है। ये ऐसा हार्मोन है जो खुशी को बढ़ता है।

शुद्ध हवा से फेफड़े रहते हैं स्वस्थ

गार्डनिंग करने का एक अप्रत्यक्ष फायदा होता है शुद्ध हवा का सेवन, दरअसल, गार्डनिंग करते वक्त हम पेड़-पौधों के बीच होते हैं ऐसे में हमें शुद्ध हवा मिलती रहती है। इससे फेफड़े भी स्वस्थ रहते हैं। मेडिसिनल प्लांट की खुशबू भी मन मस्तिष्क को प्रभावित करती है। वहीं आर्गेनिक फल-सब्जी भी खाने को मिलते हैं।

अगर आधा घंटा गार्डनिंग यानी बागवानी करने से हमे इतने फायदे होते है तो इतना समय तो हम हमारी अच्छी सेहत के लिए निकाल ही सकते है। डॉक्टर कहते है कि एक स्वस्थ दिमाग आपको कई तरह की परेशानियों से दूर रख सकता है।