नवजात शिशु के लिए मां का दूध सबसे उत्तम आहार होता है। लेकिन कभी-कभी मां को दूध के उत्पादन में काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है, या फिर कभी-कभी बच्चे किसी कारणवश मां का दूध नहीं पी पाते हैं। ऐसे में बच्चों को पाउडर मिल्क दिया जाता है। मां का दूध नवजात का पहला आहार है, जिस पर उसका सम्पूर्ण विकास निर्भर करता है। मां के दूध से बच्चे की मांसपेशियों का निर्माण होता है, लेकिन कुछ मामलों में बच्चों को मिल्क पाउडर या पाउडर वाला दूध पिलाया जाता है। क्या मिल्क पाउडर का कोई नुकसान? आइए इस लेख से जानते हैं।
पचाने में होती है समस्या
मिल्क पाउडर को कृत्रिम रूप से तैयार किया जाता है। इसलिए नवजात शिशु इस दूध को आसानी से पचा नहीं पाते हैं। मिल्क पाउडर को पचाने में अधिक समय लगता है। इसलिए शिशु कभी-कभी दूध पीने के बाद उल्टी भी कर देते हैं।
एंटीबॉडी में आती है कमीशिशु के लिए मां के दूध से बेहतर कोई भी दूध नहीं हो सकता है। मां का दूध, एंटीबॉडी से भरपूर होता है। एंटीबॉडी शिशु की प्रतिरक्षा को बढ़ाकर उनको कई बीमारियों से बचाता है। वहीं, पाउडर वाले दूध में एंटीबॉडी की काफी कमी होती है, जिससे बच्चों में इम्यूनिटी कमजोर होती है। ऐसे में वे जल्दी-जल्दी बीमार पड़ सकते हैं।
दूध बनाने में लगता है समयब्रेस्ट मिल्क तैयार करने के लिए आवश्यकता नहीं होती है लेकिन पाउडर मिल्क को तैयार करने में थोड़ा समय लगता है। इसके साथ ही इसे बनाते समय पानी की सही मात्रा का भी ख्याल रखना होता है और इसे बनाने में थोड़ा समय भी लगता है जिसके कारण कई बार मां के साथ साथ बच्चे को भी थोड़ी परेशानी होती है।
सही मात्रा में दे फॉर्मूला मिल्कबता दे कि शिशु को एक दिन में छह से आठ बार फार्मूला दूध दिया जा सकता है। हालांकि इसकी मात्रा बच्चे की सेहत पर भी निर्भर करती है ऐसे में मां को यह सुनिश्चित करना चाहिए और डॉक्टर की सलाह लेना चाहिए। उसके बाद ही बच्चे को सही मात्रा में फॉर्मूला मिल्क देना चाहिए ताकि बच्चे का पेट भर सके और उसे कोई परेशानी ना हो।