कुर्सी टेबल पर नहीं, जमीन पर बैठकर खाने से मिलते हैं जबरदस्‍त फायदे, हड्डियों से लेकर डाइजेशन तक रहता है ठीक

मॉर्डन लाइफस्टाइल के चलते आज कल हम कुर्सी टेबल पर बैठकर खाना खा रहे है। लेकिन पहले के समय में लोग जमीन पर बैठकर ही खाना खाते थे। भारत के कई हिस्सों, जैसे- दक्षिण भारत, पश्चिम बंगाल, बिहार, असम, झारखंड और पंजाब के घरों में या लंगर या भोग ग्रहण करने के दौरान जमीन पर बैठकर ही खाना खाया जाता है। जमीन पर बैठकर खाना खाने की परंपरा प्राचीन काल से ही चली आ रही है। क्योंक‍ि इससे हमारी सेहत पर कई सारे सकरात्मक असर होते हैं और तो और हम कई तरह की बीमार‍ियों से भी सुरक्ष‍ित रहते हैं। दरअसल, जमीन पर हम जिस तरह से एक पैर को दूसरे पर रखकर बैठते हैं, वो एक आसन की मुद्रा होती है। वह सुखासन या पद्मासन की मुद्रा है। इस मुद्रा में बैठकर खाना खाने से भोजन का पूरा फायदा मिलता है और पाचन क्रिया भी बेहतर रहती है। तो आइए जानते हैं बैठकर खाना खाने के फायदे...

- जमीन पर बैठकर खाना खाने से शरीर मजबूत होता है। इस मुद्रा में बैठने से पीठ के निचले हिस्से की मांसपेशियों, पेल्विस और पेट के आस-पास की मांसपेशियों में खिंचाव होता है। जिससे असहजता और दर्द की शिकायत में आराम मिलता है।

-जब हम कुर्सी पर बैठकर खाते हैं तो हिप्स टाइट और स्ट्रॉग हो सकते हैं जबकि जमीन पर बैठकर खाने से हिप्स के फ्लेक्सर्स को आसानी से स्ट्रैच सकते हैं।

- जमीन पर बैठकर खाने से आपको भोजन करने के लिए प्लेट की तरफ झुकना होता है, यह एक नैचुरल पोज है। लगातार आगे होकर झुकने और फिर पीछे होने की प्रक्रिया से आपके पेट की मांसपेशियां निरंतर कार्यरत रहती हैं, जिसकी वजह से आपकी पाचन क्रिया भी बेहतर बनती है और खाना जल्दी पचता है। इससे पाचक रस बेहतर तरीके से अपना काम कर पाते हैं।

- जमीन पर बैठकर खाना खाने से हृदय को भी कम मेहनत करनी पड़ती है। इस तरीके से बैठने से आपकी रीढ़ की हड्डी के निचले भाग पर जोर पड़ता है, इससे आपकी सांस की रफ्तार संयम‍ित होती है, मांसपेशियों का खिंचाव कम होता है और रक्तचाप में भी कमी आती है।

- परिवार के सभी सदस्य जब एक साथ जमीन पर बैठकर खाते हैं, तो उनके बीच का संबंध भी मजबूत बनता है। इस मुद्रा में बैठने से शरीर की कई तकलीफें दूर हो जाती हैं। आराम मिलने से खाने का स्वाद भी दोगुना हो जाता है।

- जमीन पर बैठकर खाना खाने से वजन संतुलित रखने में भी मदद मिलती है। जमीन पर बैठना और उठना, एक अच्छा व्यायाम माना जाता है। जिससे वजन अनियंत्रित नहीं हो पाता।

- जमीन पर बैठकर खाना खाते समय आप सिर्फ खाना ही नहीं खाते हैं बल्कि यह एक आसन की मुद्रा भी है। ये मुद्रा आपको शांत रहने में मदद करती है। इससे रीढ़ की हड्डी को भी आराम मिलता है।

- जमीन पर बैठकर खाने से हमारा बॉडी-पोश्चर भी बेहतर होता है। इससे व्यक्त‍ित्व में भी निखार आता है।

- जमीन पर बैठकर भोजन करने के लिए आपको अपने घुटने मोड़ने पड़ते हैं। इससे आपके घुटनों का भी बेहतर व्यायाम हो जाता है। जमीन पर बैठकर खाने से कूल्हे के जोड़, घुटने और टखने लचीले बनते हैं। इस लचीलेपन से जोड़ों की चिकनाई बनी रहती है, उनकी लचक बरकरार रहती है, जिस वजह से आप जोड़ों के दर्द की समस्या से बचते हैं।