आपने कई लोगों को देखा होगा जो सिगरेट पीकर धुंआ उड़ाते हुए दिखते हैं। हांलाकि कई लोग आज के समय में धुंए वाली सिगरेट की जगह ई-सिगरेट का रूख करने लगे हैं। खासकर युवाओं में इसका शौक काफी ज्यादा बढ़ चुका है। अक्सर लोगों को लगता है कि ई-सिगरेट नॉर्मल सिगरेट की तुलना में बिल्कुल भी खतरनाक नहीं होती है। हालांकि यह बात पूरी तरह गलत है। आपको समझने की जरूरत हैं कि E-Cigarette भी आपकी सेहत के लिए बहुत घातक हैं। यह आपके फेफड़ों या दिल के साथ ही कई अन्य तरीके से भी नुकसान पहुंचाने का काम करती हैं। आज इस कड़ी में हम आपको ई-सिगरेट के बारे में बताने जा रहे हैं कि किस तरह यह काम करती हैं और शरीर को नुकसान पहुंचाती हैं।
क्या है ई-सिगरेटई-सिगरेट यानी इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट बैटरी के जरिए चलने वाला एक डिवाइस होता है, जिसमें निकोटिन के साथ ही केमिकल्स के घोल भरे होते हैं। जब इसे इस्तेमाल करने वाला शख्स ई-सिगरेट की कश को खींचता है तो डिवाइस के जरिए घोल भाप में बदल जाती है। इस प्रकार से ई-सिगरेट की कश खींचने पर धुएं की जगह भाप अंदर प्रवेश करती है। ई-सिगरेट में मौजूद लिक्विड निकोटिन जलता नहीं है, इसलिए इससे धुआं नहीं निकलता और सिगरेट जैसी गंध भी नहीं आती। लिक्विड निकोटिन गर्म होकर भाप बन जाता है। इसलिए जो लोग ई-सिगरेट पीते हैं वो धुंए की बजाय भाप खींचते हैं।
भारत में बैन है ई-सिगरेट
भारत में ई-सिगरेट पर पूरी तरह से बैन किया गया है। सरकार ने इसके निर्माण, वितरण, बिक्री पर प्रतिबंध लगाया है। ई-सिगरेट का चलन सबसे ज्यादा युवाओं में था, यहां तक कि स्कूल के बच्चे इसका ज्यादा उपयोग कर रहे थे, जिसके चलते सरकार ने इसे बैन कर दिया था। हेल्थ मिनिस्ट्री ने अध्यादेश में पहली बार नियम तोड़ने पर 1 साल की जेल और एक लाख रुपये जुर्माना लगाए जाने का प्रस्ताव रखा है। इसके अलावा एक से ज्यादा बार नियमों का उल्लंघन करने पर 3 साल की जेल और 5 लाख रुपये का जुर्माना प्रस्तावित किया है
फेफड़ों के लिए खतरनाकसैन फ्रांसिस्को की यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन लोगों ने ई-सिगरेट के साथ सामान्य सिगरेट भी पी है, उनमें फेफड़ों की गंभीर बीमारियां होने का खतरा उन लोगों से कहीं ज्यादा था जिन्होंने एक ही तरह के उत्पाद का सेवन किया। हालांकि, इन शोधों से स्पष्ट तौर पर यह पता नहीं चल पाया कि ई-सिगरेट के कारण गंभीर फेफड़ों की बीमारी होती है या फेफड़ों की बीमारी से पीड़ित लोगों ने ज्यादा ई-सिगरेट पी। शोधकर्ताओं ने ऐसे लोगों पर अध्ययन किया जिन्हें कोई फेफड़े की बीमारी नहीं थी। इस दौरान इनके ई-सिगरेट और सामान्य सिगरेट के पीने की मॉनिटरिंग की गई। इन प्रतिभागियों की तीन साल तक निगरानी की गई। शोधकर्ता स्टैनटन ग्लैनट ने कहा, हमें पता चला कि धूम्रपान को नियंत्रित करने के बाद भी ई-सिगरेट पीने के कारण प्रतिभागियों में फेफड़ों की बीमारी होने का खतरा एक तिहाई गुना तक ज्यादा था।
दिल की बीमारी का खतराअमेरिकन कॉलेज ऑफ कार्डियॉलजी में छपे
जर्नल के मुताबिक, ई-सिगरेट में निकोटिन की मात्रा भले ही कम हो लेकिन
इसमें मौजूद फ्लेवरिंग से ब्लड वसेल के काम करने की क्षमता प्रभावित होती
है जिसे दिल की बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन
के साइंटिफिक सेशन में प्रजेंट की गई एक स्टडी में खुलासा हुआ है कि ई
सिगरेट पीने के 15 मिनट के अंदर लोगों का हार्ट रेट अचानक बढ़ जाता है।
इससे बॉडी का ‘फाइट एंड फ्लाइट’ मोड ऑन हो जाता है। इससे हार्ट रेट और ब्लड
प्रेशर बढ़ जाता है। ऐसी कंडीशन में हार्ट पर दबाव बढ़ जाता है और उसे
ज्यादा ऑक्सीजन की जरूरत होती है। इससे आर्टरी वॉल्स डैमेज होने का खतरा
होता है।
निकोटीन की लतई-सिगरेट में निकोटीन और दूसरे हानिकारक केमिकल्स का घोल होता है। निकोटीन अपने आप में ऐसा नशीला पदार्थ है जिसकी लत लग जाती है। इसलिए विशेषकर हृदय रोगियों को ई-सिगरेट से दूर रहना चाहिए। वैज्ञानिक शोधों में यह कहा गया है कि यह दिल की धमनियों को कमजोर भी करता है। इसकी लत पड़ जाती है इसलिए इसे छोड़ने पर विदड्रॉल सिंड्रोम और डिप्रेशन की समस्या हो सकती है।
गर्भवती के लिए नुकसानदायकगर्भवती महिलाओं के लिए वेपिंग बहुत खतरनाक है इससे उनके गर्भस्थ शिशु पर बुरा असर पड़ता है। छाटे बच्चों के आसपास इसे पीना ठीक नहीं क्योंकि हानिकारक भाप उनके दिमागी विकास पर असर डालती है।
खुशबूदार केमिकल से कैंसर की आशंकाइसमें निकोटीन के अलावा जो खुशबूदार केमिकल भरा होता है वह गर्म होने पर सांस के साथ फेफड़ों में जाता है और फेफड़ों के कैंसर की आशंका बढ़ जाती है।