ज्यादा पानी पीना कोई समझदारी की बात नहीं, होते हैं ये नुकसान

सर्दियों का समय चल रहा हैं और इन दिनों में शरीर को हाइड्रेड रखने के लिए पानी बेहद जरूरी है। लेकिन अक्सर देखा गया हैं कि लोग पानी की कमी के डर से जबरदस्ती पानी पीने लगते हैं जो कोई समझदारी की बात नहीं हैं। जी हां, आपने वह तो सुना ही होगा कि किसी भी चीज की अती खराब ही होती हैं। ऐसा ही कुछ पानी के साथ भी हैं। जरूरत से ज्यादा पानी पीना आपकी सेहत को फायदा पहुंचाने की जगह नुकसान पहुंचाने का काम करता हैं। आइये जानते हैं इसके बारे में।

अगर आप बिना प्यास लगने पर पानी पी रहे हैं तो इस आदत को छोड़ दें। आपको जब प्यास लगती है तो शरीर में पानी की जितनी मात्रा की जरूरत होती है वह मिल जाती है। अगर आपको प्यास महसूस नहीं हो रही है और आप तब भी पानी पी रहे है तो आपके शरीर में मौजूद इलेक्ट्रोलाइट्स का असंतुलन हो सकता है।

ज्यादा हाइड्रेड होने से शरीर में मौजूद इलेक्ट्रोलाइट्स जैसे की पौटेशियम, सोडियम और मैग्नेशियम का संतुलन बिगड़ सकता है। ये ही चीजें हमारी किडनी से लेकर हार्ट फंक्शन तक हर चीज का संचालन करती हैं। ऐसे में ज्यादा पानी पीने से शरीर में इनका संतुलन बिगड़ सकता है और आपका शरीर सही तरह से काम करना बंद कर सकता है। अगर आप ज्यादा शारीरिक श्रम करते हैं और गर्मी के मौसम में बाहर भागदौड़ करते हैं तब आपको ज्यादा पानी पीना जरूरी है, नहीं तो अपनी प्राकृतिक प्यास के आधार पर ही पानी पीएं।

आपको पता होना चाहिए कि अगर आपके पेशाब का रंग गहरा होता है तो यह डीहाइड्रेशन के लक्षण है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि आप इतना पानी पीएं की आपके पेशाब का रंग एकदम साफ हो। हाइड्रेशन का हेल्दी स्तर तब होता है जब आपके पेशाब का रंग हल्का पीला हो। अगर आपके पेशाब का रंग एकदम साफ है तो इसका मतलब है कि आप जरूरत से ज्यादा हाइड्रेड हैं और आपको अपने पानी पीने की मात्रा को कम करना चाहिए।

मेडिकल न्यू टुडे के मुताबिक, ज्यादातर लोग 24 घंटे में सात-आठ बार पेशाब करने जाते हैं। अगर आप बार-बार पेशाब करने जा रहे हैं और रात में भी उठकर पेशाब जाते हैं तो इसका मतलब है कि आप जरूरत से ज्यादा पानी पी रहे हैं। हालांकि इसके दूसरी वजह जैसे की पेशाब की नली में संक्रमण, डाइबिटीज और प्रोस्टेट समस्या भी हो सकती है। ज्यादा पानी पीने से आपको हाथ, पैर और होठों पर सूजन आ सकती है। दरअसल, ज्यादा पानी पीने से खून में सोडियम की मात्रा कम हो जाती है और शरीर को नुकसान पहुंचता है।