ब्रेस्टफीडिंग: क्या कोरोना संक्रमित मां से नवजात बच्चों में ट्रांसफर हो सकता है वायरस? नई रिसर्च में जानें जवाब

पूरी दुनिया में कोरोना के मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा हैं। इस बीच ब्रेस्टफीडिंग करा रही मां जो की कोरोना पॉजिटिव है उसके मन में एक सवाल उठ रहा है कि क्या वह अपने बच्चे को संक्रमित कर सकती है। इस सवाल के जवाब के लिए हाल ही में अमेरिकी वैज्ञानिकों ने एक रिसर्च की है। इसमें उन्होंने बताया है कि ब्रेस्टफीडिंग के जरिए संक्रमित महिला से उसके बच्चे में वायरस ट्रांसफर होने का अब तक कोई भी सबूत नहीं मिला है। वैज्ञानिकों के अनुसार, ब्रेस्ट मिल्क में बहुत ही कम मात्रा में कोरोना वायरस का जेनेटिक मटेरियल पाया गया है। हालांकि इस मटेरियल से वायरस मल्टीप्लाई होकर दूध पीते बच्चे को संक्रमित कर सकता है, इसका कोई क्लिनिकल सबूत नहीं मिला है। इस शोध को पीडियाट्रिक रिसर्च जर्नल में प्रकाशित किया गया है।

आपको बता दे, विश्व स्वास्थ्य संगठन भी कह चुका है कि मां के दूध और ब्रेस्टफीडिंग के माध्यम से कोरोना वायरस के ट्रांसमिशन का आज तक पता नहीं चल पाया है। इसलिए, ब्रेस्टफीडिंग से बचने या इसे रोकने का कोई कारण नहीं है।

यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के शोधकर्ताओं ने इस रिसर्च में 110 महिला वॉलंटियर्स के ब्रेस्ट मिल्क की जांच की। इन मांओं ने यूनिवर्सिटी रिसर्च के लिए अपने सैंपल्स डोनेट किए थे। इनमें से 65 महिलाएं डोनेशन के समय कोरोना पॉजिटिव थीं। वहीं 9 महिलाएं ऐसी थीं, जिनमें संक्रमण के लक्षण थे, लेकिन उनकी रिपोर्ट नेगेटिव थी। इसके अलावा, 36 महिलाएं ऐसी भी थीं, जिसमें लक्षण तो थे लेकिन उन्होंने अपना टेस्ट नहीं करवाया था।

वैज्ञानिकों को 110 में से 7 सैंपल्स यानी 6% ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली महिलाओं में कोरोना वायरस के मूल रूप (SARS-CoV-2) का जेनेटिक मटेरियल मिला। ये महिलाएं या तो कोरोना संक्रमित थीं या इनमें वायरस के लक्षण थे।

शोधकर्ताओं ने रिसर्च के दूसरे फेज में इन 7 महिलाओं के ब्रेस्ट मिल्क के दोबारा सैंपल्स लिए। 1 से 97 दिन के बीच लिए गए इन सैंपल्स में कोरोना का जेनेटिक मटेरियल नहीं पाया गया। इसका सीधा मतलब है कि ब्रेस्ट मिल्क में वायरस मल्टीप्लाई नहीं हुआ था।

रिसर्च के लीड वैज्ञानिक पॉल क्रोगस्टाड कहते हैं, 'मां का दूध शिशुओं के लिए पोषण का एक बहुत बड़ा सोर्स है। रिसर्च में हमें इस बात का कोई सबूत नहीं मिला कि कोविड-19 से संक्रमित मांओं के ब्रेस्ट मिल्क में कोरोना वायरस मल्टीप्लाई होता है। साथ ही इससे शिशुओं के संक्रमित होने का भी कोई सबूत नहीं मिला है, जिससे पता चलता है कि ब्रेस्टफीडिंग से उन्हें कोई खतरा नहीं है।'

ब्रेस्टफीडिंग शिशुओं के विकास के लिए बेहद आवश्यक होती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि मां का दूध शिशुओं के लिए एक संपूर्ण आहार है, जिसमें बच्चे के विकास के लिए सभी पोषक तत्व उचित मात्रा में पाए जाते है। मां का दूध बच्चे के लिए किसी अमृत से कम नहीं है। इसलिए ये बच्चे के लिए वैक्सीन के रूप में काम करता है, जो उन्हें बचपन में होने वाली कई सामान्य बीमारियों से बचाता है।

कोरोना पॉजिटिव होने पर ऐसे कराएं ब्रेस्टफीडिंग

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) कहता है कि कोरोना पॉजिटिव महिलाएं बच्चों को ब्रेस्टफीडिंग करा सकती हैं, लेकिन कुछ सावधानियां बरतनी बेहद जरुरी है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, ब्रेस्टफीडिंग कराने से पहले मां को कम से कम 20 सेकेंड तक साबुन और पानी से हाथ धोना चाहिए। पानी ना होने की स्थिति में, कम से कम 60% अल्कोहल की मात्रा वाले हैंड सैनिटाइजर का उपयोग किया जा सकता है। इसके अलावा, बच्चे के साथ किसी भी संपर्क में आने के दौरान और दूध पिलाते समय भी हमेशा मास्क का उपयोग करें।

मां को ब्रेस्टफीडिंग के फायदे

विशेषज्ञों के अनुसार, ज्यादातर माएं समझती हैं कि ब्रेस्टफीडिंग सिर्फ बच्चे के लिए जरूरी है, लेकिन ऐसा नहीं है। मांओं को भी इसके कई फायदे मिलते हैं। ब्रेस्टफीडिंग की वजह से महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर, प्री-मोनोपोज ओवेरियन कैंसर, डायबिटीज, हाइपरटेंशन और पोस्टपार्टम डिप्रेशन का खतरा कम हो जाता है। इसके अलावा, ब्रेस्टफीडिंग, गर्भाशय को पूर्व आकार में लाने में मदद करती है, जिससे प्लेसेंटा आसानी से बाहर निकल जाए।