आज के समय में डायबीटीज एक बड़ा खतरा बनता हुआ नजर आ रहा हैं। डायबिटीज भी कई तरह की होती हैं और उनके इलाज भी अलग होते हैं। टाइप 2 डायबीटीज के इलाज के लिए कई तरह की दवाएं उपलब्ध हैं लेकिन टाइप 1 डायबीटीज वाले लोगों के लिए इंसुलिन ही इलाज का प्रमुख तरीका है। लेकिन अक्सर देखा जाता हैं कि कई मरीज इस इलाज को लेने से डरते हैं और बचते हुए नजर आते हैं। इसलिए आज हम आपको इंसुलिन से जुड़े 3 सबसे बड़े डर और उनके समाधान की जानकारी देने जा रहे हैं।
बड़ी सुइयों का डर
अधिकांश मरीजों के लिए सुइयों का डर इंसुलिन थेरपी का विरोध करने या डॉक्टरों की सलाह के हिसाब से नियमित रूप से इंसुलिन का उपयोग न करने के प्रमुख कारणों में से एक है। ऐसा इसलिए है क्योंकि सुइयों को देखकर लोगों को उनके बचपन के दिनों की याद आ जाती है जब टीके लगाने के लिए बड़ी दर्दनाक सुइयों का इस्तेमाल किया जाता था। आधुनिक इंसुलिन उपकरणों में बहुत महीन सुइयां होती हैं जो उन्हें मरीज़ों के अधिक अनुकूल बनाती हैं और इंजेक्शन की प्रक्रिया कम दर्दनाक होती है। कई मरीज़ इस बात को स्वीकार करते हैं कि इनसे इंसुलिन उपचार लगभग दर्द रहित हो जाता है। अब भारतीय बाजार में इंसुलिन देने के लिए कम दर्द वाले तरीके और बिना सुई के ग्लूकोज की जांच करने वाले उपकरण मौजूद हैं इसलिए मरीज़ों को इन विकल्पों के बारे में अपने डॉक्टर से पता कर लेना चाहिए। हाइपोग्लाइसीमिया
इंसुलिन थेरपी के साथ हाइपोग्लाइसीमिया (निम्न रक्त शर्करा स्तर) का छोटा जोखिम हमेशा जुड़ा होता है, खासकर जब इंसुलिन को सल्फोनीलुरेस जैसी कुछ दवाओं के साथ लिया जाता है। कमजोर और क्रॉनिक किडनी रोग वाले लोगों में इसका जोखिम अधिक होता है। इंसुलिन के उपचार के दौरान हर भोजन से पहले और बाद में ब्लड शुगर की नियमित निगरानी बहुत जरूरी है। इससे मरीज़ों को शुगर के स्तर में होने वाले उतार-चढ़ाव को रिकॉर्ड करके किसी असामान्य स्थिति में डॉक्टर से सलाह लेने में सहायता मिलती है।वजन बढ़ना
यह कुछ हद तक सही है कि इंसुलिन उपचार और वजन का बढ़ना एक साथ होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि इंसुलिन शरीर की ग्लूकोज़ अवशोषित करने की क्षमता को बढ़ाता है। कई लोगों में इस बढ़े हुए अवशोषण के कारण कोशिकाओं की ज़रूरत से ज्यादा ग्लूकोज़ शरीर में पहुंच जाता है बाद में यह अतिरिक्त ग्लूकोज़ वसा के रूप में जमा हो जाता है। हालांकि इंसुलिन उपचार के इस दुष्प्रभाव को आहार और जीवनशैली में कुछ बदलाव करके आसानी से रोका जा सकता है। मरीज़ों को मेरी सलाह है कि वे अपने डॉक्टर और आहार विशेषज्ञ से इंसुलिन थेरपी के दौरान वजन बढ़ने से रोकने के लिए जीवनशैली में किए जाने वाले सरल बदलावों की जानकारी ज़रूर लें।