कोरोना का संक्रमण लगातार बढ़ रहा हैं और यह घातक वायरस पूरी दुनिया के लिए परेशानी का कारण भी बना हुआ हैं। वैज्ञानिकों द्वारा लगातार इससे जुड़ी शोध की जा रही हैं ताकि इसको समझकर बढ़ने से रोका जा सकें। कोरोना के लक्षणों में खांसी-जुखाम भी आता हैं तो लोग कफ सिरप लेकर अपना इलाज करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कफ सिरप का कोरोना संक्रमण पर भी असर पड़ रहा हैं।
हाल ही में कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने इस बात पर परीक्षण किया कि अगर कोरोना से संक्रमित मरीज गले में दर्द और खांसी से राहत पाने के लिए कफ सिरप का सेवन करते हैं, तो उनके सेहत पर कैसा असर पड़ेगा।
कोरोना से संक्रमित अफ्रीकी बंदरों पर इस शोध को किया गया। क्योंकि बंदरों पर किसी भी दवाई का असर ठीक उसी तरह होता है, जैसे इंसानों को कोई दवाई खाने के बाद होता है। इस शोध में शोधकर्ताओं ने पाया कि कोरोना संक्रमित बंदरों में कफ सिरप के उपयोग से संक्रमण के मामले में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। ऐसे में यह बेहद जरूरी है कि कोरोना संक्रमण में बिना डॉक्टर के सलाह के कफ सिरप को इस्तेमाल में नहीं लाना चाहिए।
कफ सिरप को बनाने में डेक्सट्रोमेथॉर्फेन ड्रग का उपयोग किया जाता है। इस दवाई के वजह से कोरोना संक्रमित मरीजों में समस्या कम होने की जगह बढ़ने लगती है। हमारे शरीर में डेक्सट्रोमेथॉर्फेन ड्रग पहुंचने के बाद, जिस तरह से काम करती है, उससे कोरोना को रेप्लिकेशन में मदद मिल जाता है। यूं कहें तो इस ड्रग के शरीर में पहुंचते ही कोरोना वायरस की संख्या तेजी से बढ़ने लगती है।
शोधकर्ताओं के मुताबिक, कोरोना संक्रमित मरीजों अगर कफ सिरप लेते हैं, तो उनके शरीर में कोरोना वायरस बढ़ जाएंगे। लेकिन यह जरूरी नहीं है कि हर मरीजों में वायरस की संख्या में यह वृद्धि का असर एक जैसा दिखेगा।
शोधकर्ताओं की टीम इस बात पर रिसर्च कर रही है कि कोरोना से पहले इस तरह की बीमारियों को ठीक करने के लिए जिन दवाओं को उपयोग में लाया जाता है, उन दवाओं का असर कोरोना संक्रमित होने पर किस तरह से हो रहा है। टीम के द्वारा ऐसे ड्रग्स का कलेक्शन तैयार किया जा रहा है, जो वायरस को बढ़ने से रोकने का काम करती हैं।