जानें कैसे पता चलेगा कि हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर है?

भारत में कोरोना वायरस को हराने के लिए 16 जनवरी से वैक्सीनेशन अभियान शुरू हो चुका है। देश में अभी वैक्सीनेशन के लिए सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) की ऑक्सफोर्ड कोविशील्ड (Covishield) और भारत बायोटेक (Bharat Biotech) की स्वदेशी वैक्सीन कोवैक्सीन (Covaxin) लगाई जा रही है। देश में कल तक 3 लाख 81 हजार से ज्यादा लोगों को कोरोना वायरस की वैक्सीन लगाई जा चुकी है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने सोमवार को बताया कि देश में अब तक कुल 3 लाख 81 हजार 305 लोगों को कोरोना वायरस का टीका लगाया जा चुका है। इनमें से 1 लाख 48 हजार 266 लोगों को सोमवार को शाम पांच बजे तक टीका लगाया गया।

वैज्ञानिकों का दावा है कि वैक्सीन पूरी तरह से सुरक्षित है, हालांकि साथ में ये भी जोड़ा जा रहा है कि कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले लोग फिलहाल कोवैक्सीन लेना टालें। ट्रायल में ऐसे लोगों पर वैक्सीन का असर अपेक्षाकृत कम देखा गया है। विदेशों में भी अलग-अलग दवा कंपनियां यही बात दोहरा रही हैं।

आमतौर पर, कीमोथेरेपी करा रहे कैंसर के मरीज, एचआईवी पॉजिटिव लोग और स्टेरायड लेने वाले लोग इम्युनो-सप्रेस्ड होते हैं। यानी इनकी इम्युनिटी कमजोर होती है।

इसे ऐसे समझते हैं कि हमारा शरीर कई तरह की कोशिकाओं से मिलकर बना है, जिनका एक काम हमें पैथोजन्स यानी वायरस, बैक्टीरिया जैसी चीजों से बचाना है, जो हमारे शरीर को संक्रमित कर सकते हैं। जब कोशिकाओं का ये सिस्टम ठीक से काम नहीं करता है तो शरीर किसी भी बीमारी के लिए काफी संवेदनशील हो जाता है।

कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता की भी अलग-अलग डिग्री होती है। जिनकी क्षमता हल्की-फुल्की कमजोर होती है, वे मौसमी बीमारियों की चपेट में जल्दी आ जाते हैं। वहीं गंभीर रूप से प्रभावित रोग-प्रतिरोधक क्षमता वाले मरीजों के लिए सामान्य सर्दी भी निमोनिया में बदल सकती है। कई बार कुछ खास हालातों में शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता स्थायी तौर पर कमजोर हो जाती है।

क्रॉनिक मेडिकल हालात, जैसे दिल की बीमारी, फेफड़े की बीमारी, डायबिटीज, एचआईवी, कैंसर और रुमेटॉइड ऑर्थराइटिस जैसी बीमारियां इसी श्रेणी की हैं, जो शरीर के बीमारियों से लड़ने की ताकत हमेशा के लिए कमजोर कर देती हैं। इसी तरह से ऑर्गन ट्रांसप्लांट, उम्रदराज होना भी इसी श्रेणी में आता है। वहीं खराब खानपान या प्रेग्नेंसी के कारण कमजोर हुआ इम्यून सिस्टम वक्त के साथ सुधारा जा सकता है।

कैसे समझें कि हमारा इम्यून सिस्टम कमजोर है

इसके कई संकेत हैं, जिनमें सबसे पहला तो है बार-बार बीमार होना। अगर कोई लगातार और लंबे समय तक के लिए बीमार हो तो उसका इम्यून सिस्टम कमजोर माना जाता है।

ज्यादातर मामलों में कमजोर इम्युनिटी के कोई शारीरिक लक्षण नहीं होते हैं। तब भी कुछ ऐसे संकेत हैं, जिनपर ध्यान देना आपको इसे समझने में मदद कर सकता है।

बार-बार पेट खराब होना इसका बड़ा लक्षण है। अगर किसी को बार-बार डायरिया हो रहा है या फिर लगातार कब्जियत बनी हुई है तो ये कमजोर इम्यून होने का संकेत है।

अगर कुछ खाने-पीने से जल्दी ही इंफेक्शन हो जाता है, तब भी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो सकती है। पैनमेडिसिन के मुताबिक शोध में साफ हो चुका है कि ऐसे लगभग 70% मामलों में मरीज इम्यूनोकॉम्प्रोमाइज्ड पाया गया।

अगर जख्मों को भरने में सामान्य से ज्यादा समय लगे तो ये साफ है कि मरीज की बीमारियों से लड़ने की क्षमता कमजोर है।

अमेरिकन एकेडमी ऑफ एलर्जी अस्थमा एंड इम्युनोलॉजी ने इस बात को खतरे का संकेत बताते हुए लो-इम्युनिटी से जोड़ा। अगर किसी को साल में तीन से चार बार कानों से जुड़ा संक्रमण हो तो भी इसे नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। यह भी कमजोर इम्यून होने का संकेत है।

जांच से भी कर सकते है पता

इन संकेतों पर ध्यान देने के अलावा कई तरह की जांचें भी हैं जो ये पक्का कर सकती है कि कोई कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता का शिकार है। डॉक्टर प्रायः इसके लिए इम्युनोग्लोबुलिन टेस्ट करते हैं। साथ ही साथ वाइट ब्लड सेल काउंट भी देखा जाता है। अगर ये काउंट बढ़ा हुआ हो तो शरीर में कोई संक्रमण है, जिससे कोशिकाएं संक्रमण का मुकाबला नहीं कर पा रही है।

इन्हें नहीं लगवानी चाहिए वैक्सीन


आपको बता दे, भारत बायोटेक और सीरम की ओर से जारी फैक्टशीट में बताया गया है कि अगर आप रोजाना कोई दवा ले रहे हैं। कुछ दिनों से बुखार है। खून की कोई बीमारी है, तो आपको कोरोना वैक्सीन नहीं लेनी चाहिए। वहीं, प्रेग्नेंट महिलाएं और ब्रेस्ट फीडिंग कराने वाली महिलाओं को भी वैक्सीन की खुराक नहीं लेनी है।

- अगर आपको किसी दवा, खाने के चीज या किसी दूसरी वजह से कोई एलर्जी होती है, तो वैक्सीन बिल्कुल न लगाएं।
- अगर आपको बुखार या जुकाम है, तो भी वैक्सीन नहीं लगानी है।
- अगर थैलसिमिया के पेशेंट हैं या थी ब्लड की बीमारी है, तो आपको वैक्सीन नहीं लेनी है।
- अगर कोई महिला प्रेग्नेंट हैं या फिर बच्चा प्लान करने की तैयारी कर रही हैं, तो उन्हें वैक्सीन नहीं लगानी है।
- ब्रेस्ट फीडिंग करा रही मांओं को भी वैक्सीन की खुराक नहीं लेनी है।
- अगर आपने कोविड के खिलाफ पहले से कोई टीका ले लिया है, तो आपको कोविशील्ड नहीं लगानी है।
- इसके अलावा पहली डोज के बाद अगर कोई एलर्जी हुई तो उन्हें वैक्सीन की दूसरी डोज नहीं लेनी चाहिए।