क्या इस मच्छर का बैक्टीरिया कर देगा कोरोना का खात्मा! वैज्ञानिकों की शोध जारी

एक तरह जहाँ कोरोना अपना संक्रमण फैला रहा हैं, वहीँ दूसरी तरफ वैज्ञानिकों द्वारा लगातार कई शोध कर कोरोना वायरस का तोड़ निकालने की कोशिश की जा रही हैं। हांलाकि भाई तक इसकी कोई दवा या वैक्सीन तैयार नहीं हुई हैं। लेकिन कई शोध में सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। हाल ही में, चीन और अमेरिका के शोधकर्ताओं द्वारा मिलकर मच्छर में पाए जाने वाले ऐसे बैक्टीरिया खोजे गए हैं जो विशेष प्रकाए का प्रोटीन बनाते हुए डेंगू और एचआईवी एड्स के वायरस को भी निष्क्रिय करने की ताकत रखता हैं। शोधकर्ताओं के मुताबिक, एंटीवायरल ड्रग बनाने में इसका प्रयोग किया जाएगा।

हेल्थ जर्नल BioRxiv में प्रकाशित इस शोध के मुताबिक, शोधकर्ताओं को एडीज एजिप्टी प्रजाति के मच्छर के अंदर ये बैक्टीरिया मिले हैं। शोधकर्ताओं ने बैक्टीरिया के जीनोम सीक्वेंस का विश्लेषण किया और फिर उसमें से निकलने वाले प्रोटीन की पहचान की गई। शोधकर्ताओं का दावा है कि इस प्रोटीन में कई तरह के वायरस को निष्क्रिय करने की क्षमता है।

शोधकर्ताटों ने जिस बैक्टीरिया को खोजा है, उसका प्रोटीन, लाइपेज एंजाइम से लैस है। लाइपेज, प्रोटीन वायरस को निष्क्रिय करने में कारगर बताया जा रहा है। साल 2010 में भी एक शोध हुआ था, जिसमें पाया गया था कि लिपोप्रोटीन लाइपेज नाम का रसायन हेपेटाइटिस-सी वायरस को निष्क्रिय कर देता है।

साल 2017 में हुए एक शोध के मुताबिक, नाजा मोसाम्बिका नाम के सांप के जहर में भी फॉस्फो लाइपेज प्रोटीन मिला, जो हेपेटाइटिस-सी, डेंगू और जापानी इन्सेफेलाइटिस को निष्क्रिय करता है।

पिछले दिनों हुए एक शोध के मुताबिक, कोविड महामारी के इलाज के बावजूद भी कोरोना वायरस फेफड़ों में लंबे समय तक छिपा रह सकता है। चीन में ऐसे मामले सामने आ चुके हैं, जिसमें अस्पताल से छुट्टी के 70 दिन बाद भी मरीज पॉजिटिव मिले हैं। साउथ कोरिया, मकाऊ, ताइवान, वियतनाम में भी ऐसे मामले सामने आ चुके हैं।

इस रिसर्च में बीजिंग की शिंघुआ यूनिवर्सिटी, एकेडमी ऑफ मिलिट्री मेडिकल साइंस और शेंजेन डिसीज प्रिवेंशन एंड कंट्रोल सेंटर के शोधकर्ता शामिल हैं। इसके अलावा अमेरिका की कनेक्टिकट यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक भी रिसर्च में शामिल रहे हैं।