अमेरिका की नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि कोरोना वायरस गर्भनाल के साथ कोख को नुकसान पहुंचा सकता है और ब्लड की सप्लाई को रोक कर कोख में पल रहे भ्रूण के लिए खतरा बढ़ा सकता है। शोधकर्ताओं ने रिसर्च में पाया है कि अगर कोरोना का संक्रमण गर्भनाल तक पहुंचता है तो प्री-मैच्योर डिलीवरी हो सकती है, भ्रूण के अंग नष्ट हो सकते हैं। ऐसे स्तिथि में कोख में ही बच्चे की मौत का खतरा बढ़ जाता है।
16 महिलाओं पर करी इस रिसर्च में शोधकर्ताओं ने पाया कि उनमे से 15 गर्भवतियों ने स्वस्थ बच्चों को जन्म दिया। लेकिन शोधकर्ताओं का मानना है कि कोरोना वायरस के समय में गर्भवती महिलाओं को काफी देखरेख की जरूरत है। दरअसल, शोध में सामने आया कि 12 गर्भवती महिलाओं की गर्भनाल में अलग तरह का जख्म देखा गया जो मां से बच्चे तक पहुंचने वाले रक्त के संचार को बाधित करता है। 16 में 6 महिलाओं के गर्भनाल में रक्त के थक्के देखे गए। शोधकर्ता और स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ एमिले मिलर का कहना है, हम लोगों को डराना नहीं चाहते हैं लेकिन यह परेशानी वाली बात है।
शोधकर्ता डॉ जेफरी गोल्डस्टीन का मानना है कि हालाकि रिसर्च काफी कम महिलाओं पर की गई थी इसलिए हो सकता है कि प्रेग्नेंट महिलाओं में बड़े नकारात्मक परिवर्तन नहीं दिखे लेकिन कोरोना वायरस गर्भनाल को नुकसान पहुंचा सकता है इसकी पुष्टि हुई है। अगर मां कोरोना संक्रमित है तो ध्यान देने की जरूरत है कि बच्चे में आगे चलकर कोई परेशानी न हो।
दरअसल, एक रिसर्च में सामने आया था कि 1918-19 की फ्लू महामारी में जिन बच्चों का जन्म हुआ था उनमे हृदय सम्बंधित रोगों का खतरा अधिक देखा गया है। शोधकर्ता डॉ गोल्डस्टीन का कहना है कि रिसर्च से अलग कोरोना के दूसरे 4 मामलों में गर्भपात हुआ है। इनमें 3 में कोरोना का सामान्य संक्रमण था और एक की हालत बेहद नाजुक थी।