कोरोना वायरस (Coronavirus) से दुनिया में अब तक 4 लाख 46 हजार 182 लोगों की मौत हो चुकी है। संक्रमितों का आंकड़ा 82 लाख 65 हजार 941 हो गया है। अब तक 43 लाख 23 हजार 83 लोग स्वस्थ हो चुके हैं। उधर इटली के शोधकर्ताओं ने कोरोना की तीन फेज बताई है इसके साथ ही हेल्थ वर्करों से गुजारिश भी की है कि कोरोना संक्रमित मरीजों का इलाज संक्रमण की स्टेज के आधार पर करें। रिसर्च करने वाली इटली की फ्लोरेंस यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं का कहना है कि रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद मरीज में संक्रमण तीन स्टेज में सामने आता है और सभी स्टेज में लक्षण बदलते हैं। जर्नल फिजियोलॉजिकल रिव्यू में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, कोरोना वायरस के हर फेज में कोरोना और शरीर की अंदरूनी क्रियाओं का कनेक्शन बदलता है। जरूरी नहीं हर बार कोविड-19 (Covid-19) ड्रॉप्लेट्स से ही फैले, कुछ मामलों में संक्रमित व्यक्ति के दूसरे असावधान लोगों से बात करने से भी कोरोना का संक्रमण फैल सकता है।
तीन स्टेज से समझें कोविड-19 कैसे बढ़ता हैपहली स्टेज : यह सबसे शुरुआती स्टेज होती है। कोरोनावायरस शरीर में अपनी संख्या बढ़ाना शुरू करता है और इस दौरान हल्के लक्षण दिखते हैं। जो अक्सर भ्रमित करते हैं कि मरीज फ्लू का रोगी है या कोविड-19 (Covid-19) का।
दूसरी स्टेज : इसे पल्मोनरी फेज भी कहते हैं, जब इम्यून सिस्टम पर संक्रमण का असर दिखता है तो सांस से जुड़ी दिक्कत पैदा करता है। जैसे लगातार सूखी खांसी, सांस लेने में तकलीफ, ऑक्सीजन का स्तर कम होना शुरू हो जाता है। कुछ मामलों में खून के थक्के भी बनना शुरू होते हैं।
तीसरी स्टेज : इसे हायरइंफ्लामेट्री फेज कहते हैं, जब रोगों से बचाने वाला इम्यून सिस्टम ही दिल, किडनी और दूसरे अंगों को नुकसान पहुँचाने लगता है। इसे सायटोकाइन स्टॉर्म कहते हैं, ऐसी स्थिति में शरीर खुद की कोशिकाओं और उतकों को नुकसान पहुंचाने लगता है।
शोधकर्ताओं का कहना है कि कोरोना वायरस के मरीजों को बेहतर इलाज देने के लिए कई तरह की दवाओं का ट्रायल हो रहा है। ऐसे प्रयोगों को स्टेज के मुताबिक किए जाने की जरूरत है। रिसर्च के रिव्यू में सामने आया कि कोरोना के मरीजों को पर्सनलाइज्ड ट्रीटमेंट की जरूरत है यानी हर मरीज को उसकी स्थिति के आधार इलाज देना बेहतर साबित हो सकता है।
स्टेज के अनुसार बदली जा सकती हैं दवाएंस्टेज-1 और 2 में रेमडेसविर जैसी एंटी-वायरल ड्रग कोरोना को रेप्लिकेट होने यानी इसकी संख्या बढ़ने से रोक सकती हैं।
स्टेज-2 में टिश्यू प्जाज्मिनोजेन एक्टिवेटर दवा का इस्तेमाल किया जा सकता है। यह स्ट्रोक के मरीजों को दी जाती है जो खून के थक्कों को तोड़ने में मदद करती है।
स्टेज-2 और 3 में सूजन को घटाने वाली दवाएं जैसे कॉर्टिकोस्टीरॉयड्स, टोसिलीजुमाब और सेरिलुमाब दी जा सकती हैं।
इसके साथ ही शोधकर्ताओं ने यह भी कहा कि कोरोना मरीज की कोई भी स्टेज हो ट्रीटमेंट के दौरान खून का थक्का रोकने वाली दवा 'हिपेरिन' मरीज को देना जरुरी है ताकी ये क्लॉट्स धमनियों में ब्लड सर्कुलेशन को बाधित न करें।