क्या भारत में फिर बढ़ गया कोरोना का खतरा?, जवाब में AIIMS के पूर्व डायरेक्टर गुलेरिया ने कही ये बात

चीन में कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए भारत में भी कोरोना का खतरा काफी ज्यादा बढ़ गया है। कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए भारतीय सरकार एक्शन में आ चुकी है। हाल ही में एक बैठक में भारत के स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना के संबंधित कई अहम फैसले लिए गए।

गुरुग्राम स्थित मेदांता अस्पताल में इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनल मेडिसिन एंड रेस्पिरेटरी एंड स्लीप मेडिसिन एंड डायरेक्टर के चेयरमैन रणदीप गुलेरिया ने एक इंटरव्यू में कहा कि भले में चीन में कोविड-19 के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है लेकिन भारत में नैचुरल इंफेक्शन और वैक्सीन कवरेज के हाई रेट के कारण चीन जैसी स्थिति नहीं होगी।

उन्होंने बताया कि भारत में टेस्टिंग में कमी आई है। सर्दियों के मौसम में अक्सर लोग सर्दी, जुकाम या बुखार आने पर इसका टेस्ट नहीं कराते हैं। ऐसे में अगर कोरोना के टेस्ट होते रहेंगे तो म्यूटेशन का पता चल पाएगा।

रणदीप गुलेरिया ने बताया कि पूरी दुनिया खासतौर पर चीन और इटली में कोरोना महामारी जिस तरह से अपने पीक पर थी और कोरोना के लाखों मामले सामने आ रहे थे, उसे देखते हुए हमने महसूस किया कि इस स्थिति से बचने के लिए ज्यादा तैयार रहनाबेहतर है।

रणदीप गुलेरिया ने बताया कि भारत में कोरोना महामारी के शुरुआती दौर में ही लॉकडाउन लगा दिया गया था ताकि स्थिति को नियंत्रित किया जा सके। भले ही इस दौरान बहुत से लोगों ने यह भी तर्क दिया कि यह लॉकडाउन समय से पहले था। लेकिन इससे लोगों में जागरुकता पैदाकरने में मदद मिली और साथ ही हमें तैयारी करने के लिए अधिक समय मिल पाया। इस दौरान, हमने मरीजों को संभालने के लिए बुनियादी ढ़ांचे को बदलने , पुनर्गठन आदि का काम किया। इन्हीं सब चीजों के चलते पश्चिमी देशों की तुलना में हमनेअच्छा काम किया।

रणदीप गुलेरिया ने बताया, जब यह महामारी आई तो हमारे लोगों में इस वायरस से निपटने के लिए कोई इम्यूनिटी नहीं थी, जिस कारण कुछ लोगों को इस दौरान गंभीर इंफेक्शन का सामना करना पड़ा। लेकिन अब, कोरोना महामारी को लगभग 3 साल हो गए हैं, और अब हम ऐसी स्थिति में हैं जहां हमारे लोगों में नेचुरल इंफेक्शन और वैक्सीन कवरेज की दर बहुत ज्यादा है।

उन्होंने बताया कि हमारे लोगों की इम्यूनिटी इतनी ज्यादा स्ट्रॉन्ग हो गई है कि कोई भी नया वायरस हमें गंभीरता सेप्रभावित नहीं कर सकता।

उन्होंने बताया कि पिछले तीन सालों में लोगों ने कोरोना वायरस के अलग-अलग वेरिएंट्स जैसे अल्फा, बीटा, डेल्टा आदि सब-वैरिएंट्स का सामना किया है। जिसके चलते भारतीयों के लिए कोरोना वायरस उतना खतरनाक साबित नहीं हो रहा है जितना पहले था। लेकिन हमने पिछले एक साल के भीतरओमिक्रॉन के कई अलग-अलग रूप विकसित होते हुए देखा है। ये वैरिएंट्स एक-दूसरे से बहुत ज्यादा अलग नहीं हैलेकिन इसके बावजूद हमें चीन में तेजी से बढ़ रहे कोरोना वायरस के BF.7 वेरिएंटपर ध्यान देना होगा और इसके प्रति सतर्क भी रहना होगा। हमें नहीं पता है कि आने वाले वक्त में वायरस किस तरह से बिहैव करेगा। ये वायरस अब पहले से कम खतरनाक और स्थिर दिख रहा है लेकिन हमें चीन में कोरोना की वजह से हो रहे हॉस्पिटलाइजेशन और मौतों पर करीबी से नजर रखनी होगी।