रोजाना करें ये 3 योग आसन, राहुल गांधी की तरह आपको भी नहीं होगा सर्दी में ठंड का अहसास

राहुल गांधी का दिल्ली की कड़ाके की सर्दी में सिर्फ टीशर्ट में घूमना इस समय देश में चर्चा में विषय बना हुआ है। राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस इन दिनों 3570 किलोमीटर लंबी भारत जोड़ो यात्रा निकाल रही है। यात्रा के दौरान राहुल गांधी सिर्फ एक टीशर्ट पहने दिखाई दे रहे हैं। दिल्ली समेत उत्तर भारत में कड़ाके की ठंड के बावजूद राहुल गांधी की टी शर्ट वाली तस्वीरें न सिर्फ छाई हुई हैं। हर किसी की जुबान पर एक ही सवाल है कि इतनी ठंड में राहुल गांधी कैसे सिर्फ एक टीशर्ट पहने दिखाई दे रहे हैं। क्या राहुल गांधी को ठंड नहीं लगती? इस सवाल का जवाब हर कोई तलाश कर रहा है। इस बीच आपको बताते है कि एक्सपर्ट्स इस पर क्या कहते है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि जो लोग अधिक ठंड वाली जगहों पर रहते है उनका शरीर उसी हिसाब से अपने आप को एडजस्ट कर लेता है। दिल्ली में रहने वाले को 2 डिग्री सेल्सियस टेम्प्रेचर में ठंड लगती है। अगर वह व्यक्ति किसी ऐसी जगह पर पहुंच जाए जहां का तापमान 10 डिग्री है तो हो सकता है उसे ठंड का अहसास नहीं हो। इसके साथ ही जो लोग रोजाना फिजिकल एक्टिविटी करते है उनका मेटाबॉलिज्म अच्छा होता है। इसलिए ऐसे लोगों को ठंड ज्यादा नहीं लगती है। जैसे भारत जोड़ो यात्रा में राहुल गांधी रोजाना कई किलोमीटर वॉक करते हैं। इस रेगुलर एक्सरसाइज की वजह से संभव है कि उनकी फिजिकल फिटनेस अच्छी हो गई है। इसलिए ठंड नहीं लगती। ऐसा कई स्पोटर्सपर्सन के साथ भी होता है।

इसके साथ ही एक्सपर्ट्स का यह भी कहना है कि ठंड लगने या न लगने का सीधा संबंध हमारी शारीरिक बनावट से है। छोटे कद के लोगों की मसल्स से एन्वायर्नमेंट में कम हीट यानी गर्माहट रिलीज होती है। वहीं लंबे कद के लोगों की मसल्स से ज्यादा हीट एन्वायर्नमेंट में रिलीज होती है। इस वजह से छोटे कद के लोगों को कम ठंड लगती है।

आज हम इस आर्टिकल में आपको तीन ऐसे योग के बारे में बताने जा रहे है जिनको रोजाना करने से आपको भी सर्दी में ठंड का अहसास नहीं होगा। तो चलिए जानते है इनके बारे में...

सूर्य मुद्रा

सूर्य मुद्रा एक ऐसा योग है जो हमारे शरीर के लिए काफी लाभदायक होता है, अगर आप रोजाना सूर्य मुद्रा करते हैं तो आपके शरीर में गर्माहट बनी रहती है। सूर्य मुद्रा हमारे भीतर के अग्नि तत्व को संचालित करती है। सूर्य की ऊंगली अनामिका को रिंग फिंगर भी कहते हैं। इस ऊंगली का संबंध सूर्य और यूरेनस ग्रह से है। सूर्य ऊर्जा स्वास्थ्य का प्रतिनिधित्व करती है। इसे शुरू करने के एक हफ्ते के अंदर ही इसके नतीजे दिखना शुरू हो जाते है। वजन कम करने के लिए भी इस मुद्रा का उपयोग किया जाता है। पेट संबंधी रोगों में भी यह मुद्रा लाभदायक है। बेचैनी और चिंता कम होकर दिमाग शांत बना रहता है। यह मुद्रा शरीर की सूजन मिटाकर उसे हलका बनाती है।

ऐसे करें

अनामिका को हथेली की ओर मोड़कर उसे अगुठे से दबाएं, बाकी बची तीनों ऊंगलियों को सीधा रखें। इसे सूर्य मुद्रा कहते हैं। इस मुद्रा का रोज दो बार 5 से 15 मिनट के लिए अभ्यास करने से शरीर का कोलेस्ट्रॉल घटता है।

सूर्य नमस्कार

'सूर्य नमस्कार' का मतलब है सूर्य को नमन करना यानि सन सेल्यूटेशन। सूर्य नमस्कार एक साथ 12 योगासनों का फायदा देता है और इसीलिए इसे सर्वश्रेष्ठ योगासन भी कहा जाता है। इस आसन को करने से आपको सर्दी में ठंड का अहसास नहीं होगा। साथ ही इसको करने से आपको वजन कम करने में मदद मिलेगी। साथ ही इस आसन को करने से और भी कई फायदे हो सकते है जैसे पाचन और भूख में सुधार, शरीर का लचीला बनना, कब्ज की समस्या से छुटकारा, शारीरिक और मानसिक मजबूती मिलना, बाजू, कंधों, कमर, पैर, क्वैड्स, काफ़्स और हिप्स की मांसपेशियों का टोन होना।

ऐसे करें

जैसा की हम आपको बता चुके है ये आसन 12 योगासनों से मिलकर बनता है ऐसे में आपको स्टेप-बाई-स्टेप इस बारे में बताते हैं...

प्रणामासन

सबसे पहले सूरज की तरफ चेहरा करके सीधे खड़े हों और दोनों को पैरों को मिलाएं, कमर सीधी रखें। अब हाथों को सीने के पास लाएं और दोनों हथेलियों को मिलाकर प्रणाम की अवस्था बनाएं।

हस्तउत्तनासन

पहली अवस्था में ही खड़े होकर अपने हाथों को सिर के ऊपर उठाकर सीधा रखें। अब हाथों को प्रणाम की अवस्था में ही पीछे की ओर ले जाएं और कमर को पीछे की तरफ झुकाएं।

पादहस्तासन

अब धीरे-धीरे सांस छोड़ें और आगे की ओर झुकते हुए हाथों से पैरों की उंगलियों को छुएं। इस समय आपका सिर घुटनों से मिला होना चाहिए।

अश्व संचालनासन

धीरे-धीरे सांस लें और सीधा पैर पीछे की ओर फैलाएं। सीधे पैर का घुटना जमीन से मिलना चाहिए। अब दूसरे पैर को घुटने से मोड़ें और हथेलियों को जमीन पर सीधा रखें। सिर को आसमान की ओर रखें।

दंडासन

अब सांस छोड़ते हुए दोनों हाथों और पैरों को सीधी लाइन में रखें और पुश-अप की पोजीशन में आ जाएं।

अष्टांग नमस्कार

अब सांस लेते हुए अपनी हथेलियों, सीने, घुटनों और पैरों को जमीन से मिलाएं। इस अवस्था में रहें और सांस को रोकें।

भुजंगासन

अब हथेलियों को जमीन पर रखकर पेट को जमीन से मिलाते हुए सिर को पीछे आसमान की ओर जितना हो सके झुकाएं।

अधोमुख शवासन

इसे पर्वतासन भी कहा जाता है। इसके अभ्यास के लिए अपने पैरों को जमीन पर सीधा रखें और कूल्हे को ऊपर की ओर उठाएं। सांस छोड़ते हुए कंधों को सीधा रखें और सिर को अंदर की तरफ रखें।

अश्व संचालनासन

धीरे-धीरे सांस लें और सीधा पैर पीछे की ओर फैलाएं। सीधे पैर का घुटना जमीन से मिलना चाहिए। अब दूसरे पैर को घुटने से मोड़े और हथेलियों को जमीन पर सीधा रखें। सिर को आसमान की ओर रखें।

पादहस्तासन

अब धीरे-धीरे सांस छोड़ें और आगे की ओर झुकते हुए हाथों से पैरों की उंगलियों को छुएं। इस समय आपका सिर घुटनों से मिला होना चाहिए।

हस्तउत्तनासन

पहली अवस्था में ही खड़े होकर अपने हाथों को सिर के ऊपर उठाकर सीधा रखें। अब हाथों को प्रणाम की अवस्था में ही पीछे की ओर ले जाएं और कमर को पीछे की तरफ झुकाएं। इस दौरान आप आधे चांद का आकार बनाएंगी। इस आसन को अर्धचंद्रासन भी कहा जाता है।

प्रणामासन

सूरज की तरफ चेहरा करके सीधे खड़े हों और दोनों को पैरों को मिलाएं, कमर सीधी रखें। अब हाथों को सीने के पास लाएं और दोनों हथेलियों को मिलाकर प्रणाम की अवस्था बनाएं।

प्राणायाम

सूर्य मुद्रा और सूर्य नमस्कार करने के बाद प्राणायाम करना बेहद जरुरी है। इसको करने से बॉडी का तापमान रेगुलेट होता है। इस वजह से सर्दी में गर्मी और गर्मी में ठंडक का अहसास होता है

ऐसे करें

सबसे पहले एक मिनट के लिए शांत मुद्रा में बैठ जाए। इसके बाद नार्मल तौर से सांस लें और छोड़े। इसके बाद आंखे बंद कर लें, अपनी द्रष्टि को नाक पर केंद्रित करें। पीठ सीधी रखें और दिमाग को शांत करें। धीरे-धीरे गहरी सांस लें और धीरे-धीरे सांस को बाहर छोड़ें। अपनी सुविधा के अनुसार 10-20 बार दोहराएं।