छोटी-छोटी गलतियों का नतीजा है जॉइंट पेन, पीड़ा से बचना है तो रखनी होगी ये सावधानियां

यह युग बीमारियों के लिहाज से स्वर्ण युग है। इन बीमारियों में भी जॉइंट्स की समस्या अपने चरम पर हैं। जॉइंट्स (जोड़ों) से हमारा तात्पर्य वे सभी संधियां जहां दो या दो से अधिक हड्डियां मिलती हैं जैसे घुटना या कलाई के जॉइंट्स।


ग़लत जूते पहनना

ऊंची हील के जूते पहनना टखने घुटने और कमर के जोड़ों के लिए घातक है। जब हम लंबे समय तक इस प्रकार के जूते पहनते हैं तो वह इन जॉइंट्स को विकृत करते हैं तथा जॉइंट्स के रोगों को उत्पन्न कर देते हैं। घिसे हुए तलों वाले चप्पल या जूते पहनने से भी इन जॉइंट्स पर बुरा असर पड़ता है। इसलिए घुटने, टखने और कमर के दर्द से बचने के लिए हमें समतल या पैरों के आकार को सपोर्ट करने वाले जूते या सैंडल ही पहनना चाहिए।

यदि आपको कुछ ही दिनों से टखने घुटने और कमर में दर्द शुरू हुआ है और आपने अभी कुछ दिन पहले ही कोई नया जूता ख़रीदा है तो बहुत ज़्यादा संभावना है कि उस जूते के कारण ही आपके घुटनो और अन्य जॉइंट्स में दर्द शुरू हुआ है। यदि ऐसा है तो आप तुरंत उन जूतों को पहनना छोड़ दीजिए। बहुत संभावना है कि ऐसा करने से आपके जॉइंट्स के दर्द में आराम मिल जाएगा।


मोबाइल फ़ोन का लगातार ग़लत ढंग से इस्तेमाल

मोबाइल के आने के बाद भी कई प्रकार के जॉइंट्स के दर्द में बढ़ोतरी हुई है जिनमें प्रमुख है कलाई के जॉइंट्स का दर्द, अंगूठे का दर्द, उंगलियों के जॉइंट्स का दर्द और गर्दन का दर्द। मोबाइल यूजर्स को यह ध्यान रखना चाहिए कि वे कम से कम टाइपिंग अपने अंगूठे से करें। टाइपिंग के लिए वे वॉइस टेक्स्ट का उपयोग कर सकते हैं जिससे उनके कलाई, अंगूठे और उंगलियों के जॉइंट्स को राहत मिलेगी। मोबाइल का उपयोग करते समय गर्दन को ना झुकाएं। |

गर्दन को झुकाने से हमारी स्पाइन का कर्व गड़बड़ाता है और वह गर्दन के दर्द को उत्पन्न करता है, इसे सर्वाइकल स्पॉन्डिलॉसिस कहते हैं। इसमें रोगी को गर्दन और हाथों में दर्द, हाथों में सुन्नपन, हाथों में गर्म लगना तथा हाथों में झुनझुनी यह लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं। इसलिए मोबाइल यूजर्स को चाहिए कि वे अपने मोबाइल का प्रयोग करें लेकिन सावधानी के साथ ताकि स्वास्थ्य समस्याएं ना हो।


वज़न ग़लत ढंग से उठाना

भारी बैग को ग़लत तरीके से उठाने से भी कमर और कंधों का दर्द हो सकता है क्योंकि ऐसा करने से हमारे स्पाइन का कर्व गड़बड़ा आता है और यह स्लिप डिस्क या सर्वाइकल स्पोन्डिलॉसिस या साइटिका जैसे दर्द दे सकता है। आगे झुककर वज़न उठाने से भी कमर का दर्द हो सकता है और यह कमर दर्द की एक आम वजह भी है इसलिए हमें चाहिए कि हम आगे झुककर वज़न ना उठाएं ख़ास तौर से गैस सिलेंडर, सोफ़ा, पानी की बाल्टी, अनाज की बोरी, शटर गेट आदि। क्योंकि अधिकांश स्लिप डिस्क केस इन्हीं वस्तुओं को ग़लत ढंग से उठाने के कारण उत्पन्न होते हैं।


धूप से दूरी

धूप से दूरी भी जॉइंट्स के दर्द की एक बड़ी वजह है क्योंकि हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए आवश्यक विटामिन डी हमें धूप से ही मिलती है और यदि हम धूप में ना बैठे तो शरीर में विटामिन डी की कमी हो जाएगी जिसके चलते हमारी हड्डियां और जॉइंट्स कमजोर हो जाएंगे। ऐसा बहुत लंबे समय तक रहने से ओस्टियोआर्थराइटिस और ऑस्टियोपोरोसिस जैसी समस्याएं भी हो सकती है। इसलिए कम से कम आधा घंटा रोज़ाना धूप में बैठें।


ग़लत तरीक़े से सोना

सोने का ग़लत तरीका भी जॉइंट्स के दर्द की बड़ी बड़ी वजह है। यदि हम ऊंचा तकिया लगाकर सोते हैं तो वह हमारी गर्दन के कर्व को बिगाड़ता है जोकि सर्वाइकल स्पोन्डिलॉसिस के लिए है। बहुत नर्म गद्दा भी हमारी रीढ़ के लिए नुक़सानदेह है। पेट के बल सोना कंधों के दर्द, पसलियों और गर्दन के दर्द की वजह हो सकता है।


एक्सरसाइज़ और योग से दूरी

सोकर उठने के बाद हमें स्ट्रेचिंग करना चाहिए जिससे कि हमारी मसल्स और जॉइंट्स अपनी सही स्थिति में आ जाते हैं और फिर वे अपने दैनिक कार्यों में लग जाते हैं। यदि ऐसा ना किया जाए तो जॉइंट्स ग़लत स्थिति में रहकर ही अपना कार्य शुरू कर देते हैं जोकि रीढ़ के कार्य और अन्य जोड़ों में विकृति उत्पन्न करते हैं।

यह आगे चलकर जोड़ों के दर्द में परिवर्तित हो जाती है। आराम तलब ज़िंदगी भी जॉइंट्स के दर्द के लिए ज़िम्मेदार है। वे व्यक्ति जो रोज़ाना 5000 क़दम से कम चलते हैं उन्हें घुटनों की समस्या होने की संभावना 5000 क़दम रोज़ाना चलने वाले से ज़्यादा होती है। इसलिए हमें चाहिए कि हम अपने जोड़ों का उपयोग करें।

हम उनका जितना सही उपयोग करेंगे वे उतने ही ज़्यादा शक्तिशाली और स्वस्थ रहेंगे। जोड़ों और मांसपेशियों को लचीला और शक्तिशाली बनाने के लिए हमें रोज़ाना योग और कसरत करना चाहिए जो लोग ऐसा नहीं करते हैं उन्हें जोड़ों की समस्याएं होने लगती है। इसलिए हमें चाहिए कि हम रोज़ाना कम से कम 30 मिनट योग और कसरत करें।


ग़लत पॉश्चर

कुर्सी पर कम्प्यूटर के आगे या कोई अन्य ऑफ़िस वर्क करते समय बहुत लंबे समय तक बैठे रहने और ग़लत पॉश्चर में बैठे रहने से भी हमारी रीढ़ पर ग़लत प्रभाव पड़ता है जिसके कारण भी हमें गर्दन, कंधों, हाथों, कमर और उंगलियों में दर्द हो सकता है। यदि आपका जॉब ऐसा है जिसमें कि लंबे समय तक बैठना ही होता है तो आपको चाहिए कि आप कुछ घंटों के अंतराल से गर्दन की एक्सरसाइज़ करें, थोड़ी-सी चहलक़दमी करें।