ब्लड प्रेशर-शुगर मे रामबाण है काला चावल, जाने इसके सेवन से होने वाले और भी फायदों के बारे में

सदियों से हमारे देश में चावल का सेवन किया जा रहा है। बिरयानी से लेकर डोसा और इडली तक चावलों से ना जाने कितने ही व्यंजनों को तैयार किया जाता है। आज से कुछ समय पहले तक ज्यादातर लोग केवल सफेद चावल के बारे में ही जानते थे या उसका सेवन करते थे लेकिन अब लोग चावल की अलग-अलग किस्मों को ना केवल जान ते हैं बल्कि इनका सेवन भी करते है। चावल कई किस्म के होते हैं और उन्हीं में से एक है ‘काला चावल’। यह ऑरिजा सतिवा चावल की प्रजाति का है और इसका सेवन इसके औषधीय गुणों और इसमें मौजूद पौष्टिक तत्वों के लिए किया जाता है। यह एक पौष्टिक खाद्य पदार्थ है, जिसका सेवन फंक्शनल फूड के तौर पर किया जाता है। इसका उत्पादन चीन, श्रीलंका और भारत जैसे कई देशों में होता है। इसके अलावा, इसमें प्रोटीन, विटामिन और आयरन जैसे अनेक पोषक मौजूद होते हैं, जो सेहत के लिए फायदेमंद साबित हो सकते है ।

कैंसर से बचाव के लिए

ब्लैक राइस के फायदे की अगर बात करें, तो यह कैंसर जैसी घातक बीमारी से बचाव में कुछ हद तक मददगार साबित हो सकता है। दरअसल, इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट गुण फ्री रेडिकल के प्रभाव को कम करने और शरीर को ऑक्सीडेटिव क्षति से बचाव कर कैंसर के जोखिम को कम करने में सहायक हो सकता है। वहीं, स्टडीज के अनुसार एंटीऑक्सीडेंट सप्लीमेंट कैंसर के जोखिम को कम कर सकते हैं। इसके अलावा, काले चावल में एंटी- कैंसर गुण भी मौजूद होते हैं, जिस कारण यह कैंसर के खतरे को कम कर सकता है ।

हृदय के लिए फायदेमंद

काले चावल का सेवन ह्रदय को स्वस्थ रखने के लिए भी किया जा सकता है। यह धमनियों में प्लाक को जमने से रोक सकता है। दरअसल, प्लाक एक तरह का चिपचिपा पदार्थ होता है। धमनियों में इसके जमने से ह्रदय रोग, हार्ट अटैक और स्ट्रोक का जोखिम हो सकता है । ऐसे में काले चावल का सेवन करने से धमनियों में प्लाक जमने का जोखिम कम हो सकता है और साथ ही अच्छे कोलेस्ट्रॉल का स्तर भी बढ़ सकता है । तो, ह्रदय रोग के जोखिम को कम करने के लिए काले चावल को डाइट में शामिल करना एक अच्छा विकल्प हो सकता है।

लिवर को डिटॉक्सिफाई करने के लिए

ब्लैक राइस के फायदे की बात की जाए, तो यह लिवर के लिए भी उपयोगी हो सकता है। डाइट में काले चावल को शामिल करने से फैटी लिवर की समस्या का जोखिम कम हो सकता है। इसके साथ ही काले चावल के एंटीऑक्सीडेंट गुण लिवर को डिटॉक्सीफाई यानी लिवर से विषैले तत्वों को निकालकर, उसे स्वस्थ बना सकता है । तो, हेल्दी लिवर के लिए काले चावल को डाइट में जरूर शामिल करें। वहीं, डॉक्टर की सलाह लेकर फैटी लिवर डाइट में भी इसे शामिल किया जा सकता है।

डायबिटीज के लिए

टाइप 2 डायबिटीज डाइट में काले चावल का उपयोग प्रभावकारी हो सकता है। दरअसल, ब्लैक राइस में मौजूद एंथोसायनिन ब्लड ग्लूकोज के स्तर को कम कर सकता है। एंथोसायनिन, इन्सुलिन रेजिस्टेंस में सुधार का काम कर सकता है। इन्सुलिन रेजिस्टेंस वह स्थिति है, जब शरीर की कोशिकाएं इन्सुलिन को सही प्रतिक्रिया नहीं देती हैं। इसके अलावा, एंथोसायनिन, बीटा कोशिकाओं में सुरक्षा कर, इंसुलिन को बनने में मदद कर और छोटी आंत में शुगर के पाचन को कम कर ब्लड ग्लूकोज को नियंत्रित करने का काम कर सकता है ।

आंखों के लिए

काले चावल के फायदे की बात की जाए, तो यह आंखों के लिए भी उपयोगी हो सकता है। दरअसल, एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित चूहों पर किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि काले चावल में मौजूद एंथोसायनिडिन तीव्र रोशनी के कारण होने वाली रेटिना की क्षति को रोकने और कम करने में मदद कर सकता है । इस आधार पर हम मान सकते हैं कि काले चावल का सेवन आंखों के लिए लाभकारी हो सकता है।

ब्लड प्रेशर के लिए

रक्तचाप को नियंत्रित करने के लिए भी काले चावल के फायदे हो सकते हैं। दरअसल, ब्लैक राइस में मौजूद डाइटरी फाइबर हाई ब्लड प्रेशर के जोखिम को कम कर सकता है । ऐसे में रक्तचाप को नियंत्रित करने के लिए कभी-कभी काले चावल का सेवन करना अच्छा विकल्प हो सकता है। हालांकि, अगर किसी को लो बीपी की शिकायत है, तो वह डॉक्टरी सलाह के बाद ही काले चावल का सेवन करें।

वजन नियंत्रण के लिए

काले चावल का सेवन वजन संतुलित रखने के लिए भी उपयोगी हो सकता है। 40 ओवर वेट महिलाओं पर किए गए शोध से इस बात की पुष्टि हुई है। दरअसल, 20 से 35 साल की उम्र की चालीस महिलाओं को 2 समूहों में विभाजित किया गया था। 6 हफ्तों तक एक ग्रुप को सफेद चावल और दूसरे ग्रुप को ब्राउन या ब्लैक राइस का सेवन कराया गया। अध्ययन के अंत में यह बात सामने आई कि ब्राउन/ब्लैक राइस खाने वाली महिलाओं में वाइट राइस का सेवन करने वाली महिलाओं की तुलना में वजन के साथ फैट भी कम हुआ है । ऐसे में वजन बढ़ने की समस्या से राहत पाने के लिए ब्राउन राइस के अलावा, ब्लैक राइस भी अच्छा विकल्प हो सकता है। हालांकि, इसके साथ नियमित व्यायाम करना भी जरूरी है।