ग्रंथियों में खिंचाव की समस्या को सुलझाये उष्ट्रासन

मनुष्य की ग्रंथियों में खिंचाव और पाचन की समस्या होना आम बात हैं। इसके लिए सही समय पर योग को अपनाना बेहद आवश्यक हैं। योग में कई तरह के आसन होते हैं और इस कड़ी में आज हम आपको जिस आसन की विधि और फायदे बताने जा रहे हैं वो हैं उष्ट्रासन। तो चलिए जानते हैं उष्ट्रासन की विधि और फायदे के बारे में।

* उष्ट्रासन करने की विधि


वज्रासन में बैठ जायें। बाज़ुओं को धड़ के साथ रख कर घुटनों पर खड़े हो जायें। घुटनों को एक साथ जोड़ कर रखें और पैरों को भी। लेकिन अगर यह मुश्किल लगे तो अलग भी रख सकते हैं। अब पीछे की तरफ झुकें, और दायें हाथ से दाईं एड़ी को पकड़ने की कोशिश करें और बाएं हाथ के साथ बाएं एड़ी को। उदर को आगे बढ़ाएं, जांघों को सीधा रखने की कोशिश करें, और जितना संभव हो सिर और मेरुदण्ड को पीछे झुकाएँ। जब खिचाव महसूस हो तब पूरे शरीर, विशेष रूप से पीठ की मांसपेशियों, को शिथिल रखने की कोशिश करें। शरीर का वजन समान रूप से पैरों और भुजाओं पर होना चाहिए। पीठ का धनुष जैसा आकार बनाए रखने के लिए भुजाओं को कंधों का सहारा दें। जितनी देर तक आरामदायक लगे, उतनी देर अंतिम स्थिति में रहें। धीमी गति से हाथों को एक-एक करके एड़ियों से हटायें और शुरू की स्थिति पर लौटें।

* उष्ट्रासन करने के फायदे

- उष्ट्रासन पाचन और प्रजनन प्रणाली के लिए फायदेमंद है।

- यह पेट और आंतों को फैलाता है, जिस से कब्ज कम होती है।

- पीछे मुड़ने की क्रिया से रीढ़ की हड्डी उत्तेजित होती है जिस से पीठ के दर्द से मुक्ति मिलती है।

- कमर और कंधों में खराब पोस्चर से आई गोलाई को ख़तम करता है उष्ट्रासन।

- उष्ट्रासन हिप फ्लेक्सर्स में खिचाव लाता है।

- उष्ट्रासन गर्दन के क्षेत्र के अंगों को पूरी तरह से खिचाव मिलता है, जिस से थाइरोइड ग्रंथि को विनियमित होती है।