व्यक्ति को अपने जीवन में मानसिक और शारीरिक दोनों रूप से स्वस्थ होने की आवश्यकता होती है और इसके लिए अगर प्राणायाम का सहारा लिया जाए तो यह दोनों रूप से स्वस्थ रहने के लिए बेहद फायदेमंद होता हैं। योग में प्राणायाम का भी अपना विशेष महत्व होता हैं और इस कड़ी में आज हम आपको जिस प्राणायाम की विधि और फायदे बताने जा रहे हैं वो हैं भस्त्रिका प्राणायाम। तो चलिए जानते हैं भस्त्रिका प्राणायाम की विधि और फायदे।
* भस्त्रिका प्राणायाम करने की विधि किसी भी शांत वातावरण में बैठ जाएँ। सिद्धासन, वज्रासन या पद्मासन जैसे किसी भी सुविधाजनक आसन में बैठें। आखें बंद करें और थोड़ी देर के लिए शरीर को शिथिल कर लें। मूह बंद रखें। हाथों को चिन या ज्ञान मुद्रा में रखें। 10 बार दोनों नथनों से तेज़ गति से श्वास लें और छोड़ें। मान में गिनती अवश्य रखे। दोनों नाक के माध्यम से धीमी और गहराई से श्वास लें। दोनों नथ्नो को बंद कर लें और कुछ सेकंड के लिए सांस रोक कर रखें। धीरे-धीरे दोनों नथ्नो से श्वास छोड़ें। ऊपर बताए गये तरीके से बाएं, दाएं और दोनों नथ्नो के माध्यम से श्वास लेना एक भास्त्रिका प्राणायाम का पूरा चक्र होता है। इस प्रक्रिया को 5 बार दोहराएँ। भस्त्रिका का अभ्यास तीन अलग सांस दरों से किया जा सकता है: धीमी (2 सेकेंड में 1 श्वास), मध्यम (1 सेकेंड में 1 श्वास) और तेज (1 सेकेंड में 2 श्वास), आपकी क्षमता के आधार पर। मध्यम और तेज गति केवल काफ़ी अभ्यास होने के बाद ही करें, शुरुआत में केवल धीमी गति से ही करें।
* भस्त्रिका प्राणायाम करने के फायदे :- भस्त्रिका प्राणायाम के अभ्यास से आपके शरीर के विषाक्त पदार्थों ख़तम हो जाते हैं और तीनों दोष (कफ, पित्त और वात) संतुलित हो जाते हैं।
- फेफड़ों में हवा के तेजी से अंदर-बाहर होने की वजह से रक्त से ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड की अदला-बदली ज़्यादा जल्दी होती है। इस वजह से चयापचय का दर बढ़ जाता है, शरीर में गर्मी उत्पन्न होती है और विषाक्त पदार्थ शरीर से बाहर निकल जाते है।
- डायाफ्राम के तेजी से और लयबद्ध तरीके से काम करने से अंद्रूणी अंगों की हल्की मालिश होती है और वह उत्तेजित होते है। इस से पाचन तंत्र टोन हो जाता है।
- लेबर और डिलीवेरी के दौरान महिलाओं के लिए यह एक उपयोगी अभ्यास है। परंतु इसके लिए पहले भास्त्रिका प्राणायाम को कुछ महीनों के लिए अभ्यास करना आवश्यक है।
- भस्त्रिका प्राणायाम फेफड़ों में कार्बन डाइऑक्साइड के स्तर को कम करता है। यह अस्थमा अन्य फेफड़ों के विकारों के लिए एक उत्कृष्ट अभ्यास है (लेकिन आपको अस्थमा हो तो किसी योग्य योग प्रशिक्षक के मार्गदर्शन में ही करें)।
- यह गले में सूजन और कफ के संचय को कम करता है।
- यह तंत्रिका तंत्र को संतुलित करता है और ध्यान के लिए आपको तैयार करता है।