आज के समय में देखा जाता है कि हार्ट अटैक मौत का एक सामान्य कारण बनता जा रहा हैं और कई लोग दिल की इस बिमारी से जूझ रहे है। इससे जुड़ी कई शोध की जा रही है ताकि इसका निस्तारण किया जा सकें। हाल ही में, ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में प्रकाशित हुई एक स्टडी में हैरान करने वाली बातें सामने आई हैं जिसके अनुसार जिन लोगों का जन्म गर्मी के मौसम में होता है, उनमें कार्डियोवस्कुलर डिजीज होने का खतरा शरद ऋतु में पैदा हुए लोगों की तुलना में कहीं अधिक होता है। यह हैरान करनेवाला लेकिन इंट्रस्टिंग शोध यूएस में किया गया है और वीकली मेडिकल जर्नल The BMJ के क्रिसमस एडिशन में इसे पब्लिश किया गया है।
हालांकि मृत्यु के इन आंकड़ों में अंतर और मृत्यु की वजह अभी पूरी तरह साफ नहीं हो सकी हैं। लेकिन इनके बारे में शोधकर्ताओं का कहना है कि मृत्यु के इन आंकड़ों की वजह डायट में उतार-चढ़ाव, एयर पलूशन लेवल होते हैं। साथ ही जन्म से पहले और जीवन के शुरुआती समय में आपको कितना सन एक्सपोजर मिला है, यह बात भी खास मायने रखती है।
नॉदर्न हेमिसफेयर (उत्तरी गोलार्ध) में पूर्व में हुई स्टडीज के आधार यह बात कही जा रही है कि वसंत और गर्मियों के मौसम में जो लोग पैदा होते हैं, उमें कार्डियोवस्कुलर डिजीज के कारण मत्यु का जोखिम अधिक होता है। लेकिन इस सबसे साथ ही शोधकर्ताओं ने यह भी साफ कर दिया है कि इन सभी कारणों के साथ फैमिली हिस्ट्री, मेडिकल कंडीशन और लाइफस्टाइल को अनदेखा नहीं किया जा सकता है।
इस शोध में शामिल किए गए लोगों की उम्र 30 से 55 वर्ष के बीच रही और स्टडी के दौरान पंजीकृत 43 हजार मौतों के डेटा को शोध में शामिल किया गया। इनमें से 8 हजार 360 लोगों की मौत कार्डियवस्कुलर डिजीज के कारण हुई थी। शोधकर्ताओं का कहना है कि अगर फैमिली हिस्ट्री और सामाजिक आर्थिक कारणों को हटा दिया जाए तो वसंत और गर्मियों में जन्म लेने वाली महिलाओं की शरद ऋतु में जन्म लेने वाली महिलाओं की तुलना में हृदय की मृत्यु में मामूली लेकिन महत्वपूर्ण वृद्धि हुई है।