कोरोना का कहर थमने का नाम ही नहीं ले रहा हैं और दुनिया भर में यह आंकड़ा लगातार बढ़ता ही जा रहा हैं और संक्रमितों की संख्या 75 लाख के करीब पहुंच गई हैं। ऐसे में सभी को इसके वैक्सीन और दवाई का इंतजार हैं। पहले बात उठी थी कि गर्मियों में वायरस का संक्रमण कम हो जाएगा जिसको लेकर WHO ने जानकारी दी थी कि वायरस पर गर्मी के मौसम के असर को लेकर सटीक अध्ययन नहीं हुए हैं। लेकिन हाल ही में हुए एक अध्ययन में गर्मियों में कोरोना संक्रमण के अंत को लेकर चौंकाने वाली जानकारी सामने आई हैं। तो आइये जानते हैं इसके बारे में।
इस नए अध्ययन ने अधिक गर्मी और उमस (Heat Weather and Humidity) से कोरोना संक्रमण कम होने की बात को खारिज कर दिया है। जियोग्राफिकल एनालिसिस नाम के जर्नल में प्रकाशित एक रिसर्च स्टडी में बताया गया है कि लंबे समय तक धूप खिली होने से महामारी के मामले बढ़े हैं। इस स्टडी के अनुसार, धूप निकलने से लोग बड़ी संख्या में बाहर निकलने लगते हैं और संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।
कनाडा की मैकमास्टर यूनिवर्सिटी के नेतृत्व में हुए अध्ययन में शोधकर्ताओं ने व्यापक वैज्ञानिक बहस को लेकर इस बारे में जानकारी दी है कि मौसम में बदलाव, खासकर गर्मी के मौसम से कोरोना के फैलने की रफ्तार पर क्या असर पड़ता है। अध्ययन के मुताबिक, अधिक गर्मी और आर्द्रता से कोरोना संक्रमण में बढ़ोतरी हुई है।
शोधकर्ता बताते हैं कि इन्फ्लुएंजा और सार्स जैसे विषाणुजनित रोग कम तापमान और आर्द्रता में पैदा होते हैं। वहीं कोविड-19 फैलाने वाले वायरस सार्स-सीओवी-2 के बारे में ऐसी कम ही जानकारी है। शोधकर्ताओं के मुताबिक, अर्थव्यवस्था को फिर से खोलने का बहुत दबाव रहा है और लोग यही जानना चाहते हैं कि क्या गर्मियों के महीनों में यह सुरक्षित होगा।
मैकमास्टर यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर और प्रमुख अध्ययनकर्ता अंतोनियो पायेज के मुताबिक, मौसम में बदलाव से कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों पर क्या प्रभाव पड़ेगा, यह आंशिक रूप से आवाजाही में पाबंदियों पर निर्भर करता है। उन्होंने कहा कि दुनियाभर में अब पाबंदियों में ढील दी जा रही है।
प्रो. पायेज और उनके सहयोगियों ने स्पेन के अनेक प्रांतों में कोविड-19 के फैलने में जलवायु संबंधी कारकों की भूमिका की पड़ताल की है। शोधकर्ताओं ने पाया कि गर्मी और आर्द्रता में एक फीसदी की बढ़ोतरी होने पर कोविड-19 के मामलों में कमी आई है। हालांकि तापमान अधिक होने से वायरस की क्षमता में कमी पर ठोस प्रमाण की जगह संभावना ही जताई गई है।
प्रो. पायेज के मुताबिक, अधिक धूप की स्थिति में उल्टी ही बात देखने में आई है। उन्होंने कहा कि ज्यादा देर सूरज निकलने में कोरोना के मामले अधिक होते देखे गए। शोधकर्ताओं का मानना है कि इसक कारण मानवीय व्यवहार से जुड़ा हो सकता है। हो सकता है कि धूप खिली होने से लोग लॉकडाउन के नियमों को तोड़ते हुए भी बाहर निकले हों। हालांकि इस संबंध में सटीक वैज्ञानिक शोध होना बाकी है।