पाना चाहते हैं गर्दन दर्द में राहत, ये 7 योगासन दिलाएंगे आपको आराम

तेजी से दौड़ती-भागती इस जिंदगी में सेहत का ख्याल रखना एक बड़ी चुनौती साबित हो रहा हैं। देखने को मिल रहा हैं कि आए दिन कई शारीरिक समस्याएं हमें परेशान करती हैं जिनमें से कुछ छोटी होती हैं तो कुछ बड़ी। ऐसी ही एक समस्या हैं गर्दन दर्द की जो दिखने में तो बेहद आम हैं लेकिन लंबे समय तक बनी रहें तो बेहद पीड़ादायी साबित होती हैं। कई लोग इसके दर्द से परेशान होकर पेनकिलर का सहारा लेने लग जाते हैं, लेकिन वास्तव में यह तरीका आपकी बॉडी के लिए बिल्कुल भी सही नहीं है। इस समस्या से राहत दिलाने में योगासनों के अभ्यास की आदत आपके लिए काफी मददगार हो सकती है। आज हम आपको कुछ ऐसे ही योगासन के बारे में बताने जा रहे हैं जो गर्दन दर्द में राहत दिलाने का काम करेंगे। आइये जानते हैं इन योगासन के बारे में...

मार्जरी आसन

मार्जरी आसन या चाइल्ड पोज योग का अभ्यास गर्दन की समस्याओं से राहत दिलाने में आपकी मदद कर सकती है। सामान्यतौर पर इस योगाभ्यास को पीठ और पेट के लिए फायदेमंद माना जाता है, पर इस अभ्यास के दौरान गर्दन की भी स्ट्रेचिंग हो जाती है। मार्जरी आसन के नियमित अभ्यास से गर्दन के तनाव, अकड़न और दर्द को दूर करने में मदद मिल सकती। यह अभ्यास दर्द को कम करने के साथ लचीलेपन को बढ़ावा देता है। इस आसन में हमारे शरीर की आकृति बिल्ली की तरह हो जाती है इसलिए इसे कैट पोज भी कहते हैं। इस आसन के दौरान सांस छोड़ें और अपनी रीढ़ की हड्डी को कूबड़ की तरह गोल करते हुए अपने सिर को नीचे ले जाएं। धीरे से अपने ठोड़ी को अपनी गर्दन से लगा दें। इसको करने से आपकी रीढ़ की हड्डी और पेट की हल्की मालिश होगी। साथ ही गर्दन के दर्द से भी छुटकारा मिल जाएगा।

विपरीत करणी आसन

विपरीत करणी आसन सिर्फ गर्दन के दर्द के लिए ही नहीं, बल्कि कमर दर्द से भी राहत दिलाता है। हालांकि, अगर आपको पीठ या कमर दर्द से जुड़ी कोई गंभीर समस्या है तो एक्सपर्ट की सलाद के बिना इस आसन का अभ्यास नहीं करना चाहिए। इस आसन का अभ्यास करने के लिए सबसे पहले पीठ के बल लेट जाएं। अब, अपने पैरों को सीधा ऊपर उठाएं। पैर छत के समानांतर हैं और आपके पैर दीवार को छू रहे हैं। हथेलियों को ऊपर की ओर रखते हुए शरीर के बगल में अपनी बाहों के साथ आराम करें। लंबी गहरी सांसें लें। घुटनों को पहले लाते हुए धीरे-धीरे नीचे आएं। फिर अपनी बाईं ओर मुड़ें और धीरे से बैठ जाएं।

शवासन

गर्दन के दर्द की रोकथाम के लिए कोबरा पोज़ बहुत अच्छा अभ्यास है, यह गर्दन की मांसपेशियों को मजबूत करने में मदद करता है। मजबूत मांसपेशियां लंबे समय तक गर्दन के दर्द को रोकने में मदद करती हैं। पेट के बल लेटकर छाती को ऊपर उठाने की स्थिति में गर्दन और रीढ़ की हड्डी पर दबाव बढ़ता है, जिससे इन मांसपेशियों का सक्रियता बढ़ती है और तनाव कम होता है। शवासन योग का अभ्यास गर्दन के दर्द और अकड़न से राहत दिलाने में काफी फायदेमंद है। इस आसन में शरीर को जमीन पर स्थिर अवस्था में रखना है। जमीन पर सीधे लेट जाएं। हाथों को शरीर के दोनों ओर रखें और पैरों को थोड़ा खोल दें। यह आसन सभी आसनों के अंत में किया जाता है और सबसे सरल आसन है। मांसपेशियों और खुद को गहरा विश्राम देने के लिए शरीर को इस स्थिति में 5 मिनट तक विश्राम दें।

उत्थित त्रिकोणासन

यह आसन तनाव को दूर करने के साथ-साथ पीठ दर्द से भी राहत दिलाता है। साथ ही साथ अगर आपको गर्दन में दर्द की समस्या है तो भी आप इस आसन का अभ्यास कर सकते हैं। इस आसन का अभ्यास करने के लिए सबसे पहले सीधे खड़े हो जाएं। इस दौरान, जितना हो सके अपने पैरों को फैलाएं। अपनी पीठ को सीधा रखते हुए, अपने हाथों को बगल की ओर फैलाएं। श्वास लें और धीरे-धीरे दाहिनी ओर झुकें, अपने दाहिने हाथ से अपने टखने को स्पर्श करें। इस मुद्रा में रहते हुए अपने बाएं हाथ को देखें। अब धीरे से अपनी बॉडी को सामान्य अवस्था में ले आएं। इसके बाद, आप दूसरी साइड से भी इसी आसन का अभ्यास करें।

नटराजासन

नटराजासन (रेक्लाइनिंग ट्विस्ट) पोज शारीरिक मुद्रा में सुधार करने के साथ रीढ़ को फैलाने, मांसपेशियों के तनाव को कम करने, गर्दन के दर्द से राहत दिलाने और मन को शांत करने के लिए काफी फायदेमंद है। गर्दन के साथ यह योग आपके कंधे, पीठ, हाथ और पैरों को भी मजबूत बनाता है। इस आसन को मेटाबॉलिज्म को बढ़ाकर वजन घटाने में भी मददगार माना जाता है। शरीर के लिए इस योग का अभ्यास कई तरह से लाभप्रद हो सकता है। सबसे पहले सीधे खड़े हो जाएं। दाएं पैर का घुटना मोड़ें और दाएं हाथ से दाएं पैर का टखना पीछे की ओर पकड़ें। अब सांस भरें और दाएं पैर को पीछे की तरफ से ऊपर उठाएं। पैर के तलवे को पीछे की ओर खींचे। दायां बाजू सीधा रखें। बाएं पैर का घुटना न मोड़ें। इस अवस्था में कुछ सेकंड ठहरें और फिर प्रारंभिक अवस्था में वापस आ जाएं।

बितिलासन

इस आसान को काउ पोज के नाम से भी जाना जाता है। इसे करने के लिए पैर और हाथ को जमीन के सहारे टिका दीजिए, आपका पूरा शरीर सीधा होना चाहिए। यानी अपनी जांघों, धड़ और हाथों की सहायता से एक मेज का रूप धारण करें। इसी मुद्रा में थोड़ी देर तक रहें। यह आसन पीठ को मजबूत बनाने के साथ ही गर्दन के दर्द से भी छुटकारा दिलाता है। इसे करने के लिए सबसे पहले अपने घुटनों और हाथों को फर्श पर रखें। इस दौरान घुटने हिप्स के नीचे और कलाइयां कंधों के ठीक नीचे सीधी होनी चाहिए। इसके बाद कूल्हों को ऊपर की तरफ उठाने का प्रयास करें और पेट को जमीन की तरफ ले जाएं। अब लंबी गहरी सांस लेते हुए जितना संभव हो सके सिर को पीछे की तरफ ले जाएं और आसमान की तरफ देखने का प्रयास करें। इस अवस्था में शरीर की मुद्रा पूरी तरह से गाय की तरह नजर आती है। कुछ देर इसी मुद्रा में बने रहें और सामान्य गति से सांस लेते रहें। फिर धीरे-धीरे सामान्य मुद्रा में आ जाएं और वज्रासन में बैठ जाएं। इसके बाद कुछ सेकंड आराम करें और थोड़ी देर बार फिर से इसका अभ्यास करें।

बालासन

घुटने के बल जमीन पर बैठ जाएं और शरीर का सारा भार एड़ियों पर डालें। गहरी सांस लेते हुए आगे की ओर झुकें। आपका सीना जांघों से छूना चाहिए और अपने माथे से फर्श को छूने की कोशिश करें। कुछ सेकंड इस अवस्था में रहें और वापस उसी अवस्था में आ जाएं। इस आसन से केवल गर्दन और पीठ के दर्द से ही आराम नहीं मिलता बल्कि मन भी शांत होता है। यह आसन कूल्हों, जांघों और पिंडलियों को लचीला बनाकर ताजगी का अहसास कराता है। इस आसन का अभ्यास करने के लिए सबसे पहले मैट बिछाकर एड़ी पर बैठ जाएं। अब, अपने कूल्हों को एड़ी पर टिकाएं, आगे झुकें, और अपने माथे को फर्श पर नीचे की ओर ले जाएं। अपनी बाहों को अपने शरीर के साथ फर्श पर रखें, हथेलियां ऊपर की ओर होनी चाहिए। धीरे से अपनी छाती को अपनी जांघों पर दबाएं और कुछ मिनट के लिए इस स्थिति में रहें। इसके बाद, धीरे-धीरे पुनः सामान्य अवस्था में लौट आएं।