बच्चों की अच्छी सेहत के लिए आज ही डाइट में शामिल करें ये 10 सुपरफूड, तेज होगा शारीरिक और मानसिक विकास

बच्चा स्मार्ट और इंटेलिजेंट बने यह हर पेरेंट्स की ख्वाहिश होती है। इसके लिए पेरेंट्स बच्चों की डाइट पर काफी ध्यान देते है। दरअसल, आजकल के बच्चों में जंक फूड का सेवन अधिक हो गया है। उन्हें दाल, रोटी-सब्जी और फल बोर लगते हैं, जबकि पिज्जा, बर्गर, पेस्ट्री, चॉकलेट और केक जैसी चीजों को बड़े चाव के साथ खाते हैं। इस तरह के अनहेल्दी फूड से न सिर्फ बच्चे की सेहत पर बुरा असर डालते है साथ ही मानसिक विकास पर भी दखल डालते है। ज्यादा लंबे समय तक अनहेल्दी फूड के सेवन से बच्चों की इम्यूनिटी पर भी बुरा असर पड़ता है। ऐसे में हम आपको कुछ ऐसे सुपरफूड के बारे में बताने जा रहे है जिनकों डाइट में नियमित रूप से शामिल किया जाए तो बच्चों के ग्रोथ में फायदा होगा...

अंडे

अंडे में प्रोटीन, आयरन, विटामिन ए, बी 6, बी 12, फोलेट, एमिनो एसिड, फास्फोरस और सेलेनियम एसेंशियल अनसैचुरेटेड फैटी एसिड्स (लिनोलिक, ओलिक एसिड) पाए जाते हैं। जिससे बच्चे शारीरिक और मानसिक ग्रोथ अच्छी तरह से होती है। अंडे में विटामिन डी और प्रोटीन पोषक तत्व मौजूद रहते हैं, जो शरीर को स्वस्थ्य रखने में मदद करते हैं और हड्डियों को मजबूत बनाते हैं। अंडे के सफेद भाग में प्रोटीन और अमीनो एसिड्स की भरपूर मात्रा रहती है, जो शरीर में मांसपेशियों के निर्माण में सहायक होता है।

दूध

दूध को बच्चे के लिए संपूर्ण भोजन माना जाता है। उन्‍हें दिन में दो बार सुबह और शाम को दूध पिलाया जाता है। दूध कैल्शियम से भरपूर होता है जिससे बच्‍चों की हड्डियां स्‍वस्‍थ और मजबूत बनती है। कैल्शियम सिरदर्द से भी बचाता है और बचपन में ही मोटापा होने से बचाव होता है। दूध में कैल्शियम और फास्‍फोरस होता है जो बच्‍चों के दांतों को स्‍वस्‍थ रखते हैं।

ड्राई फ्रूट्स

बच्चों को रोजाना ड्राई फ्रूट्स खाने को दे। बादाम, काजू, अंजीर और अखरोट खिलाने से बच्चे का दिमाग विकसित होता है। ड्राईफ्रूट्रस लड्डू से लेकर रोस्‍टेड स्‍नैक्‍स, पाउडर या स्‍प्रेड की तरह भी इसे यूज़ किया जा सकता है। जिन बच्‍चों को ड्राईफ्रूट्स पसंद नहीं आता उनको आप राइस के साथ या रोटी के आटे में मिलाकर भी खिला सकते हैं। ड्राई फ्रूट्स में विटामिन्‍स, मिनिरल्‍स, हेल्‍दी फैट, एंटी ऑक्सिडेंट और डायट्री फाइबर भरपूर मात्रा में पाया जाता है। पेरेंन्‍टसर्कल के मुताबिक, आप 7 से 8 महीने की उम्र से बच्‍चों को ड्राई फ्रूट्स खिला सकते हैं। लेकिन इस बात का ध्‍यान रखना जरूरी है कि इसे पेस्‍ट या पाउडर के रूप में ही खिलाया जाए। मेवा खाने से बच्चों को एनर्जी मिलती है और शारीरिक विकास भी अच्छी तरह होता है।

केला

बच्‍चों के लिए केले को बहुत फायदेमंद माना जाता है क्‍योंकि इसमें कई ऐसे पोषक तत्‍व होते हैं जो बच्‍चे के संपूर्ण विकास में मदद करते हैं। बढ़ते बच्चे को केला खिलाने से शरीर को विटामिन B6, विटामिन C, विटामिन A, मैग्निशियम, पोटैशियम, बाओटिन और फाइबर मिलता है। केला में ग्लूकोज होता है जिससे तुरंत एनर्जी मिलती है। पोटैशियम और कैल्शियम से युक्‍त केला बच्‍चों की हड्डियों को मजबूत बनाता है। इसमें मौजूद आयरन खून में हीमोग्‍लोबिन का निर्माण करता है। आपको बता दें कि 100 ग्राम केले में 89 कैलोरी, फैट 0।3 ग्राम, 1 मि.ग्रा सोडियम, 358 मि.ग्रा पोटैशियम, कार्बोहाइड्रेट 23 ग्राम, प्रोटीन 1.1 ग्राम, विटामिन ए 1%, विटामिन सी 14%, आयरन 1%, विटामिन बी6 20% और मैग्‍नीशियम 6% होता है।

घी

घी का सेवन सही मात्रा में किया जाए तो इससे स्‍वास्‍थ्‍य को कई तरह के लाभ मिलते हैं। घी में सैचुरेटेड फैटी एसिड होते हैं जो आसानी से पच जाते हैं। घी विटामिनों और खनिज पदार्थों का बेहतरीन स्रोत है। इससे शिशु के विकास में बहुत मदद मिल सकती है। बच्‍चे को एक साल का होने तक नमक नहीं खिलाना चाहिए इसलिए उसके ठोस आहार में स्‍वाद और पोषण बढ़ाने के लिए घी डाला जा सकता है। 6 महीने से अधिक उम्र के बच्‍चे के आहार में घी को शामिल कर सकते हैं। दाल और चावल की खिचड़ी में घी की कुछ बूंदें डालकर इसकी शुरुआत की जा सकती है।घी में एंटीफंगल, एंटीऑक्सीडेंट्स और एंटीबैक्टिरियल गुण होते हैं। जिससे बच्चों की इम्यूनिटी, आंखे और पाचन मजबूत होता है। एक साल के बच्‍चे को दिन में 3 बार कर के एक से डेढ़ चम्‍मच घी और दो साल के बच्‍चे को दिन में तीन बार कर के डेढ़ से दो चम्‍मच घी खिलाना चाहिए।

दही

शिशु को दिए जाने वाले कुछ आहारों में दही का नाम भी शामिल है। गाय के दूध के अलावा भैंस, बकरी या ऊंट के दूध से भी दही बन सकता है। अधिकतर बच्‍चे 4 से 6 महीने का होने पर ठोस आहार लेना शुरू कर देते हैं। ठोस आहार शुरू करने पर आप अपने बच्‍चे को दही खिलाना शुरू कर सकते हैं। बच्‍चे के लिए दही बहुत फायदेमंद होता है क्‍योंकि इसमें कैल्शियम, प्रोटीन और विटामिन पाए जाते हैं। दही में लैक्टिक एसिड होता है जो कि बच्‍चों के इम्‍यून सिस्‍टम को मजबूत करने के लिए बहुत जरूरी है। रोज दही खाने से बीमारी पैदा करने वाले बैक्‍टीरिया पेट से नष्‍ट हो जाते हैं।

ओट्स

ओट्स का सेवन बच्चों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है, क्योंकि ओट्स में कई आवश्यक पोषक तत्व पाए जाते हैं। मेडिकल रिपोर्ट के अनुसार, 2-18 वर्ष तक के बच्चों को ओट्स का सेवन कराया जा सकता है। इससे उन्हें पर्याप्त पोषक तत्व मिलते हैं, जिससे उन्हें मोटापे व अन्य बीमारियों से बचाए रखने में मदद मिल सकती है। ओट्स एक ग्रेन फूड की श्रेणी में आता है। बेहतर रेड ब्लड सेल्स के बेहतर स्वास्थ्य के लिए ओट्स का सेवन कराया जा सकता है। इस मामले में ओट्स में मौजूद विटामिन-ई अपना काम करते हैं। बच्चों को आप स्नैक्स के तौर पर भी ओट्स दे सकते हैं।

फल और सब्ज्यिां

फल सब्जियां और पोषण युक्त आहार बच्चों की शारीरिक सेहत के लिए जरूरी है, यह तो सभी जानते हैं। फल और सब्जियां खाने से शारीरिक और मानसिक विकास में मदद मिलती है। अध्ययन के मुताबिक जो बच्चे पोषण युक्त ब्रेकफास्ट और अधिक सब्जियां व फलों का सेवन करते हैं उनकी मानसिक सेहत अच्छी होती है। फल-सब्जियों में भरपूर एंटीऑक्सीडेंट्स पाए जाते हैं, जिससे शरीर कई तरह के संक्रमण और बीमारियों से बचता है।

बेरीज़

स्ट्रॉबेरी और ब्लूबेरी के अलावा चेरी और देसी बेरीज भी दिमाग के विकास के लिए जरूरी हैं। स्‍ट्रॉबेरी और ब्‍लू बेरी में एंटी ऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में होता है जो कि दिमाग की कार्य करने की क्षमता को बूस्‍ट करता है। बेरीज़ खाने से शरीर को पोटैशियम, विटामिन सी, फाइबर और कार्बोहाइड्रेट मिलता है।

आलू

कार्बोहाइहाड्रेट से भरे आलू का सेवन छोटे बच्चों के लिए लाभदायक हो सकता है। यह उबलने के बाद मुलायम हो जाते हैं। यही वजह है कि छोटे बच्चे इसे आसानी खा लेते हैं। आप बच्चों को स्वीट पोटैटो भी खिला सकते है। स्वीट पोटैटो यानि शकरकंद से शरीर को फाइबर, कैल्शियम और विटामिन ए मिलता है। इससे बच्चे को तुरंत एनर्जी मिलती है। आप दूध में डालकर, उबालकर या फ्राई करके खिला सकते हैं। न्यूट्रीशनिस्ट शैली तोमर का कहना है शिशु जब बड़ा होता है तब उसे ऊर्जा की जरूरत पड़ती है। ऐसे में वह केवल मां के दूध पर निर्भर नहीं रह सकता है। इस जरूरत पूरा करने के लिए बच्चे को आलू दिया जा सकता है। आलू कार्बोहाइड्रेट से भरपूर होते हैं, जो सही मात्रा में ऊर्जा बच्चे को देते हैं। इसेक साथ ही बच्चे की भूख का भी निदान हो जाता है। 1 मध्यम साइज आलू में 70 से 80 किलोकैलोरीज होती हैं।