265 किलो के 'डॉ. हाथी', नहीं घटाना चाहते थे वजन, डरते थे इस वजह से...

सब टीवी के सीरियल 'तारक मेहता का उल्‍टा चश्‍मा' के एक्‍टर कवि कुमार आजाद की मौत ने लगभग हर किसी को सदमे में डाल दिया। लेकिन कवि कुमार का इलाज कर चुके एक डॉक्‍टर ने उनसे जुड़े एक चौकाने वाली बात बताई है जिसको जान कर आपको झटका लग सकता है। यह तो हम सभी जानते है कि मोटापा कई बिमारियों की जड़ होता है और अपने मोटापे से जुड़ी बीमारियों के बारे में कवि कुमार भी जानते थे। लेकिन एक मजबूरी के चलते उन्होंने खुद इस मोटापे को चुना था।

स्‍पॉटबॉयई की रिपोर्ट के अनुसार दरअसल कवि कुमार ने मुटापे को अपने टीवी करियर के चलते चुना था। डॉ. मुफी लकदावाला का कहना है कि कवि अपना वजन घटाने से डरते थे क्‍योंकि उन्‍हें लगता था कि अगर उनका वजन कम हो जाएगा, तो शायद उन्‍हें काम न मिले। एक सवाल के जवाब में डॉ. लकदावाला ने बताया कि उन्‍होंने जब कवि कुमार को दूसरी बार बेरियाट्रिक सर्जरी (वजन कम करने के लिए की जाने वाली सर्जरी) कराने की सलाह दी तो एक्‍टर ने उन्‍हें कहा था, 'मैं मोटा ही रहना चाहता हूं ताकि मैं स्‍क्रीन पर मोटा ही दिख सकूं।'

दरअसल कवि कुमार आजाद 8 साल पहले मोटापे से मुक्ति पाने के लिए डॉ. लकदावाला से मिले थे। उस समय उनका वजन 265 किलो था। अपनी बीमारी के चलते वह सेट पर बेहोश हो गए थे और उन्‍हें वेंटिलेटर पर रखना पड़ा था। पहली बेरियाट्रिक सर्जरी के बाद उनका वजन 140 किलो हो गया था। इसी के चलते डॉक्‍टर ने उन्‍हें दूसरी बेरियाट्रिक सर्जरी कराने की सलाह दी थी।

इस रिपोर्ट की माने तो डॉक्‍टर ने उन्‍हें कहा था कि वह पेडिंग या मेकअप का इस्‍तेमाल कर मोटे दिख सकते हैं लेकिन एक्‍टर ने उन्‍हें कहा था कि वह अपने चेहरे पर पेडिंग नहीं कर पाएंगे।