तमिल के इस अभिनेता पर नहीं फिल्माया जाता ‘मौत’ का दृश्य, असफलता का लगता है डर

पिछले 9 दिनों से बॉक्स ऑफिस पर तूफान मचा रही निर्देशक एस.शंकर की फिल्म ‘2.0’ के मुख्य अभिनेता रजनीकांत का तीन दिन बाद 68वाँ जन्म दिन है। टॉलीवुड से जिस प्रकार के समाचार प्राप्त हो रहे हैं उनके अनुसार इस बार उनके जन्म दिन को बड़े पैमाने पर मनाने की तैयारियाँ चल रही हैं, इसका कारण उनकी हालिया प्रदर्शित और सुपरहिट हुई फिल्म 2.0 है।

रजनीकांत को दक्षिण में भगवान की तरह पूजा जाता है। उनकी फिल्मों को राउण्ड द क्लॉक चलाया जाता है। दर्शक प्रदर्शन वाले दिन सुबह 4 बजे से ही सिनेमाघरों के बाहर एकत्रित होने लग जाते हैं और सिनेमाघर मालिकों को मजबूरन सुबह 5 बजे से फिल्मों को चलाना पड़ता है।

टॉलीवुड फिल्म उद्योग में एक कहावत चरितार्थ है कि यदि किसी फिल्म में रजनीकांत की मौत का दृश्य रखा गया तो उनकी यह फिल्म असफल हो जाएगी। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि वहाँ का दर्शक रजनीकांत को भगवान मानता है और वो कभी इस बात को स्वीकार नहीं करेगा कि ‘भगवान’ मर सकता है। इसी विचारधारा के चलते दक्षिण की किसी भी भाषा में बनी रजनीकांत की फिल्म में मौत का सीन शूट नहीं किया जाता है।

इसके साथ ही एक और बड़ी अचरज की बात यह है कि 68 वर्ष की उम्र में भी टॉलीवुड निर्माता निर्देशक रजनीकांत में केन्द्र में रखकर कथा-पटकथा लिखते हैं और फिल्मों का निर्माण करते हैं। रजनीकांत फिल्म में मुख्य नायक के तौर पर ही रखे जाते हैं। यदि कोई दूसरा सितारा होता भी है तो वह सहनायक या चरित्र भूमिका में ही नजर आता है।

यदि बात उनकी हिन्दी फिल्मों की करें तो उन पर यहाँ के निर्माता निर्देशकों ने ‘मौत’ के दृश्य फिल्माये हैं। 8 अप्रैल 1983 को प्रदर्शित हुई ‘अंधा कानून’ के बाद रजनीकांत ने 28 अन्य हिन्दी फिल्मों में बतौर नायक, चरित्र अभिनेता व मेहमान कलाकार के तौर नजर आए थे। हिन्दी फिल्मों में रजनीकांत की कुछ ऐसी फिल्में—गिरफ्तार (अमिताभ बच्चन), जॉन जॉनी जनार्दन (रजनीकांत तिहरी भूमिका), गंगवा—रही हैं जिनमें उनकी मृत्यु के दृश्य फिल्माये गये हैं। हिन्दी फिल्म निर्देशकों ने दक्षिण वाली कहावत पर ध्यान नहीं दिया। वैसे भी यहाँ पर मुख्य नायक की मौत होने पर फिल्म को सफल माना जाता है। उदाहरण अमिताभ बच्चन का दिया जाता है, जिन-जिन फिल्मों में अमिताभ बच्चन की मौत दिखायी गई वे फिल्में बॉक्स ऑफिस पर सफल रही हैं।

वर्ष 2000 में निर्देशक टी.रामाराव की फिल्म ‘बुलंदी’ रजनीकांत की अन्तिम प्रदर्शित हिन्दी फिल्म थी, जिसमें अनिल कपूर के साथ उन्होंने स्क्रीन शेयर की थी। इसके बाद उनकी हिन्दी में कोई फिल्म नहीं आई। वर्ष 2010 में उनकी हिन्दी में डब फिल्म ‘रोबोट’ आई थी, जिसका सीक्वल इस वर्ष गत 29 नवम्बर को ‘2.0’ के नाम से प्रदर्शित हुआ है।

‘रोबोट’ के बाद उनकी हिन्दी में डब ‘लिंगा’, ‘कबाली’, ‘काला कारिकरण’ फिल्मों का प्रदर्शन हुआ था। दक्षिण भारत में जहाँ इन फिल्मों ने सफलता प्राप्त की, वहीं हिन्दी वर्जन को दर्शकों ने पूरी तरह से नकार दिया। हालांकि टीवी पर प्रदर्शित हिन्दी वर्जन को दर्शकों ने सफलता प्रदान की।

रजनीकांत के हिन्दी सिनेमा के करियर को देखा जाए तो 1983 से लेकर 2018 तक के 36 फिल्मों में काम किया है, जिसमें सिर्फ 2 फिल्में—‘अंधा कानून’ और ‘हम’—सुपर हिट रही, जबकि ‘जॉन जानी जर्नादन’ हिट रही और शेष 26 फिल्मों में कुछ सफल और कुछ असफल रही हैं।