एक नहीं दो नहीं तिहरी भूमिका में आया यह तमिल स्टार, हुआ हिट

रजनीकांत (Rajinikanth) हिन्दी सिनेमा में दक्षिण के नायक कमल हासन की सफलता को देखने के बाद उतरे। हिन्दी फिल्म उद्योग में भी रजनीकांत ने अपनी शुरूआत एक्शन हीरो के तौर पर ही की और इसी के चलते उन्होंने यहाँ पर भी दक्षिण भारत के अन्य नायकों से ज्यादा सफलता प्राप्त की। हिन्दी भाषी दर्शकों को अपने एक्शन का दीवाने बनाने वाले रजनीकांत ने उन्हें अपनी सिग्नेचर स्टाइल ‘सिगरेट’ पीने की अदा से खासा प्रभावित किया था।

हिन्दी फिल्मों में कई नायकों ने दोहरी भूमिकाओं का निर्वाह किया है लेकिन तिहरी भूमिका का निर्वाह करने वाले कुछेक अभिनेता ही हुए हैं। इन अभिनेताओं में संजीव कुमार सबसे आगे रहे हैं जिन्होंने ‘नया दिन नई रात’ में 9 प्रकार के किरदारों को जीवन्त किया था। उन्होंने इन 9 किरदारों के जरिए ‘नवरस’ को पेश किया। अमिताभ (महान्), दिलीप कुमार (बैराग), आई.एस. जौहर (जॉनी मेरा नाम) और मेहमूद फिल्मों में तिहरी भूमिका अदा कर चुके हैं लेकिन दक्षिणी सितारों में रजनीकांत ऐसे एकमात्र सितारे हैं जिन्हें तिहरी भूमिका में लेकर कोई फिल्म बनाई गई थी।

हिन्दी व दक्षिण फिल्मों के जाने माने निर्माता ए.पूर्णचन्द्र राव ने टी.रामाराव के निर्देशन में रजनीकांत को लेकर हिन्दी में वर्ष 1984 में ‘जॉन जॉनी जनार्दन’ नामक फिल्म बनाई थी, जिसमें रजनीकांत ने पिता और दो पुत्रों की भूमिका को निभाया था। मूल रूप से यह तमिल फिल्म मोन्दरू मुगम (1982) का रीमेक थी, जिसमें रजनीकांत और राधिका ने मुख्य भूमिकाएँ अभिनीत की थी। इस फिल्म का शीर्षक अमिताभ की फिल्म नसीब के गाने ‘जॉन जॉनी जनार्दन' से लिया गया था।

रजनीकांत हिन्दी फिल्मों में 1983 में इन्हीं निर्माता-निर्देशक की जोड़ी के साथ ‘अंधा कानून’ के जरिये अपना डेब्यू कर चुके थे। इसी के चलते उन्होंने उनकी फिल्म में तिहरी भूमिका निभाने का हौंसला दिखाया। बॉक्स ऑफिस पर इस फिल्म को खासी सफलता प्राप्त हुई थी। दर्शकों ने रजनीकांत की तिहरी भूमिका की सराहना की थी। आश्चर्य की बात यह है कि जहाँ तिहरी भूमिका में दक्षिण का यह नायक सफल रहा था वहीं हिन्दी सिनेमा के सुपर सितारे—दिलीप कुमार—बैराग और अमिताभ बच्चन—महान् में असफल हो गए थे।